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सिंधु बॉर्डर: आंदोलनकारी किसान कपड़े धोने के लिए लुधियाना से वाशिंग मशीन ले आए - किसान सिंधु बॉर्डर पर वाशिंग मशीन लेकर आए

राजधानी दिल्ली में सिंधु बॉर्डर पर मौजूद किसान इस आंदोलन को टेक्नोलॉजी से भी जोड़ दिया गया है. लुधियाना से किसान वॉशिंग मशीन लेकर आए. जिसमें यहां मौजूद हजारों किसानों के मैले कपड़े साफ किये जा रहे है.

Sindhu Border : Agitating farmers brought washing machines from Ludhiana to wash clothes
वॉशिंग मशीन में किसान अपने कपड़े धो रहे
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Published : Dec 14, 2020, 10:13 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली के सिंघु बॉर्डर पर किसान अब टेक्नोलॉजी का भी प्रयोग करने लगे हैं. आंदोलन को टेक्नोलॉजी से जोड़ दिया गया है. फुट मसाजर, रोटी बनाने की मशीने व वॉशिंग मशीने भी यहां पर लगाई गई हैं. किसानों के कपड़े धोने के लिए यहां पर वॉशिंग मशीन लगाई गई है. यहां पर लोगों के फ्री में कपड़े धोने और सुखाने का इंतजाम किया गया है.

वॉशिंग मशीन में किसान अपने कपड़े धो रहे

ये भी पढ़िएः- 'हरियाणा की लापरवाही से घट रहा यमुना का जलस्तर, दिल्ली जल बोर्ड चिंतित'

यहां कपड़े धोने वालों ने कहा कि वे किसान हैं, वे शुरू से ही आंदोलन में आए थे, उन्हें अपने कपड़े धोने के लिए पंजाब जाना पड़ा. तब उनको पता चल समझ आया कि और किसानों को भी इसको लेकर बड़ी समस्या हो गई. इसलिए वह साथ में वॉशिंग मशीन लेकर आए हैं. सड़क पानी बिजली सब खर्च ये खुद उठा रहे हैं. उनका कहना है कि आसपास के लोगों का भी काफी सहयोग मिल रहा है. कपड़े धुलाने वाले लोग भी यहां इनका शुक्रिया कर रहे हैं.


लोग भी कर रहे मदद, कोई बिजली तो कोई दे रहा है पानी

यहां कुछ नौजवान लुधियाना से वाशिंग मशीन लेकर आए हैं. तीन वॉशिंग मशीन के जरिए यहां पर सुबह से लेकर शाम तक जो किसान आंदोलन कर रहे हैं ,उनके गंदे कपड़ों को धोया जाता है. जिससे किसान साफ-सुथरे कपड़े पहन कर इस आंदोलन में अपने आप को स्वस्थ रख सकें. साथ ही साथ उनका कहना है कि आसपास की जो दुकान के लोग हैं वह भी उनका सहयोग कर रहे हैं. किसी ने बिजली का कनेक्शन दिया तो किसी ने मुफ्त पानी दिया हुआ है. जिसके जरिए यह लोग लोगों के मेले कपड़े धो करके सेवा कर रहे हैं.



टेक्नोलॉजी से भी किसान आंदोलन जुड़ा

लगातार दिन जैसे जैसे बीत रहे हैं वैसे वैसे आंदोलन का प्रारूप भी बदलता जा रहा है. अब किसान आंदोलन खेती, पोस्टर-बैनर के साथ-साथ टेक्नोलॉजी से भी पूरी तरीके से जुड़ चुका है.

नई दिल्ली: दिल्ली के सिंघु बॉर्डर पर किसान अब टेक्नोलॉजी का भी प्रयोग करने लगे हैं. आंदोलन को टेक्नोलॉजी से जोड़ दिया गया है. फुट मसाजर, रोटी बनाने की मशीने व वॉशिंग मशीने भी यहां पर लगाई गई हैं. किसानों के कपड़े धोने के लिए यहां पर वॉशिंग मशीन लगाई गई है. यहां पर लोगों के फ्री में कपड़े धोने और सुखाने का इंतजाम किया गया है.

वॉशिंग मशीन में किसान अपने कपड़े धो रहे

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यहां कपड़े धोने वालों ने कहा कि वे किसान हैं, वे शुरू से ही आंदोलन में आए थे, उन्हें अपने कपड़े धोने के लिए पंजाब जाना पड़ा. तब उनको पता चल समझ आया कि और किसानों को भी इसको लेकर बड़ी समस्या हो गई. इसलिए वह साथ में वॉशिंग मशीन लेकर आए हैं. सड़क पानी बिजली सब खर्च ये खुद उठा रहे हैं. उनका कहना है कि आसपास के लोगों का भी काफी सहयोग मिल रहा है. कपड़े धुलाने वाले लोग भी यहां इनका शुक्रिया कर रहे हैं.


लोग भी कर रहे मदद, कोई बिजली तो कोई दे रहा है पानी

यहां कुछ नौजवान लुधियाना से वाशिंग मशीन लेकर आए हैं. तीन वॉशिंग मशीन के जरिए यहां पर सुबह से लेकर शाम तक जो किसान आंदोलन कर रहे हैं ,उनके गंदे कपड़ों को धोया जाता है. जिससे किसान साफ-सुथरे कपड़े पहन कर इस आंदोलन में अपने आप को स्वस्थ रख सकें. साथ ही साथ उनका कहना है कि आसपास की जो दुकान के लोग हैं वह भी उनका सहयोग कर रहे हैं. किसी ने बिजली का कनेक्शन दिया तो किसी ने मुफ्त पानी दिया हुआ है. जिसके जरिए यह लोग लोगों के मेले कपड़े धो करके सेवा कर रहे हैं.



टेक्नोलॉजी से भी किसान आंदोलन जुड़ा

लगातार दिन जैसे जैसे बीत रहे हैं वैसे वैसे आंदोलन का प्रारूप भी बदलता जा रहा है. अब किसान आंदोलन खेती, पोस्टर-बैनर के साथ-साथ टेक्नोलॉजी से भी पूरी तरीके से जुड़ चुका है.

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