नई दिल्ली : दिल्ली सरकार कई दशकों से बच्चों के लिए मासिक रियायती बस पास बनाकर उनको किराए में छूट देती थी, जो अब स्कूलों की लापरवाही के चलते ज्यादातर बच्चों की नहीं मिल रही है. इस वजह से स्कूल आने-जाने वाले बच्चे और अभिभावक परेशान (Parents upset for subsidized bus pass) हैं.
उन्हें चार से पांच किलोमीटर दूर जाने के लिए एक बच्चे पर प्रति दिन के हिसाब से 20 रुपये खर्च करने पड़ते हैं. अगर किसी परिवार के तीन से चार बच्चे इसी तरह स्कूल जा रहे हैं तो उन्हें प्रतिदिन 100 रुपये तक खर्च करने पड़ रहे हैं. जिसको लेकर बच्चों के परिजन ज्यादा परेशान हैं.
![स्कूली बच्चों के रियायती मासिक बस पास नहीं बनने से अभिभावक परेशान](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/dl-nwd-01-dtcbuspasstory-viss-dl10003_13092022090417_1309f_1663040057_605.jpg)
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कई दशक से सरकार दे रही है ये सुविधा :ईटीवी भारत से बात करते हुए आरटीआई एक्टिविस्ट हरपाल राणा ने बताया कि वह पिछले पांच सालों से दिल्ली सरकार से आरटीआई लगाकर पत्राचार कर रहे हैं कि दिल्ली सरकार के ज्यादातर स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के पास क्यों नहीं बनाए जा रहे हैं. विभाग की ओर से आरटीआई में हैरान करने वाले जवाब मिले हैं.
आरटीआई का जवाब आया कि दिल्ली सरकार ने स्कूल के प्रधानाचार्य को इस बाबत धमकाया है कि बच्चों के पास क्यों नहीं बनाए जा रहे हैं, जैसे कई तरह के जवाब आते हैं. साथ ही बच्चों को 3 किलोमीटर के दायरे में स्कूलों में ही पढ़ने के लिए कहा जाता है. लेकिन जब इस बारे में स्कूल प्रधानाचार्य से बात की गई तो उनका कहना है कि बच्चे पास बनवाने के लिए तैयार नहीं हैं.
![स्कूली बच्चों के रियायती मासिक बस पास नहीं बनने से अभिभावक परेशान](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/dl-nwd-01-dtcbuspasstory-viss-dl10003_13092022090417_1309f_1663040057_753.jpg)
हालांकि, पिछले कई दशकों से दिल्ली सरकार सरकारी और निजी स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों के लिए सुविधा दे रही है. छात्रों के लिए विशेष छूट पर मासिक पास बनाए जाते हैं, लेकिन अब मौजूदा समय में दिल्ली के स्कूलों में पढ़ने वाले ज्यादातर गरीब और जरूरतमंद बच्चों के पास नहीं बन रहे हैं. यह हालत किसी एक स्कूल की नहीं है.
![स्कूली बच्चों के रियायती मासिक बस पास नहीं बनने से अभिभावक परेशान](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/dl-nwd-01-dtcbuspasstory-viss-dl10003_13092022090417_1309f_1663040057_1046.jpg)
प्रधानाचार्य के हस्ताक्षर बस पास विभाग में नहीं : आरटीआई एक्टिविस्ट हरपाल राणा ने अपने क्षेत्र कादीपुर, बुराड़ी, नत्थूपुरा, नंगली व स्वरूप नगर स्कूल के कई प्रधानाचार्य से बात की तो पता चला कि प्रधानाचार्य के हस्ताक्षर बस पास विभाग के पास नहीं हैं, जिसकी वजह से बच्चों को पास बनवाने में दिक्कत आ रही है. जिसके लिए काफी हद तक स्कूल के प्रधानाचार्य और दिल्ली सरकार दोनों ही जिम्मेदार हैं.
दिल्ली सरकार के स्कूलों में गरीब और जरूरतमंद बच्चे पढ़ते हैं. यदि बच्चा अच्छी शिक्षा के लिए तीन किलोमीटर के दायरे से निकलकर घर से 10 किलोमीटर दूर जाता है तो यह खर्च और भी बढ़ जाता है. बच्चे को स्कूल भेजने के लिए परिजनों को दूसरे खर्चे भी करने पड़ते हैं और कई परिवार ऐसे हैं जिनके चार से पांच बच्चे प्रतिदिन स्कूल पढ़ने के लिए जाते हैं तो उनका 150 से 200 रुपये प्रतिदिन का खर्चा होता है और परिवार इस बोझ को उठाने में मजबूर है.
बच्चों के परिजनों को नहीं मालूम क्यों नहीं बन रहे पास : हरपाल राणा ने बताया कि उनकी इस बारे में बच्चों के परिजनों से भी बात हुई तो उन्हें भी नहीं मालूम कि पास क्यों नहीं बनाए जा रहे हैं. बच्चे पैदल ही तेज धूप, बरसात व सर्दी में स्कूल आ जा रहे हैं, जिससे हादसे भी हो सकते हैं.
जब स्कूलों की छुट्टी होती है और बच्चे बस पकड़ने के लिए बस स्टैंड पर खड़े होते हैं, तो बस ड्राइवर भी बच्चों की भीड़ देखकर बस नहीं रोकते. जिसके चलते बच्चों को वैकल्पिक संसाधनों का प्रयोग करते हुए किराया देना पड़ता है.अब देखने वाली बात है कि दशकों से चली आ रही स्कूली बच्चों के लिए रियायती मासिक बस पास बनाने की स्कीम पर फिर कब से अमल होगा और बच्चों के परिजनों पर अतिरिक्त किराये का पड़ रहा बोझ कब कम होगा.
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