नई दिल्ली/नोएडाः देश का बहुचर्चित निठारी कांड एक बार फिर सुर्खियों में आने वाला है. इस मामले में मोनिंदर सिंह पंढेर के रिहा होने के बाद पीड़ित परिवारों के लिए सुप्रीम कोर्ट में डीडीआरडब्लूए (डिस्टिक डेवलपमेंट रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन) ने केस लड़ने का फैसला किया है. सोमवार को डीडीआरडब्ल्लूए की टीम ने निठारी गांव जाकर पीड़ित परिवार के लोगों से मुलाकात की और उनसे पेपर पर साइन कराते हुए मामले को देश की सबसे सर्वोच्च अदालत तक ले जाने का आश्वासन भी दिया.
टीम ने पीड़ित झब्बू, उनकी पत्नी सुनीता, रामकृष्ण और जमुना प्रसाद से मुलाकात की. टीम ने कहा कि निठारी कांड से संबंधित मोनिंदर सिंह पंढेर और उसके नौकर को शहर में घुसने नहीं दिया जाएगा. डीडीआरडब्लयूए की कई मामलों में सक्रिय भूमिका रही है. इससे पहले उसने ट्विन टावर और डीएनडी का मामला उठाया था. अब एक बार फिर नोएडा के सबसे चर्चित निठारी कांड की कमान अपने हाथों में ले ली.
क्या था मामलाः दिसंबर 2006 में मोनिंदर सिंह पंढेर की कोठी के पीछे नाले से 19 बच्चों समेत एक युवती के कंकाल मिले थे. पुलिस ने मोनिंदर सिंह पंढेर और उसके नौकर सुरेंद्र कोली को गिरफ्तार किया था. गाजियाबाद की सीबीआई अदालत में सुरेंद्र कोली को 12 मामलों और मोनिंदर सिंह पंढेर को दो मामलों में फांसी की सजा सुनाई थी. लंबी कानूनी लड़ाई के बाद इस साल 16 अक्टूबर को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पंढेर को दो मामलों में बरी कर दिया. उसके नौकर सुरेंद्र कोली को भी 14 मामलों में बरी कर दिया गया है. कोली अभी दो मामलों में उम्रकैद की सजा काट रहा है.
मासूम की मां बोली- फांसी मिलेः निठारी कांड में मारी गई मासूम बच्ची ज्योति की मां सुनीता ने कहा कि सुरेंद्र कोली और मोनिंदर सिंह पंढेर को फांसी की सजा होनी चाहिए. प्रधानमंत्री और यूपी के सीएम से मांग की है कि जिस तरह उनकी बच्ची को तड़पा तड़पा कर मारा गया है, उसी तरह निठारी कांड के दोषियों को फांसी की सजा दी जाए. अगर मालिक के बाद नौकर भी बाहर आ गया तो यह पक्का हो जाएगा कि गरीबों का कोई नहीं होता है.
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