नई दिल्ली: भलस्वा झील दिल्ली की ही नहीं बल्कि दिल्ली एनसीआर की सबसे बड़ी झील है. इसका इतिहास जहांगीर के जमाने से है, लेकिन आज ये झील अपनी ही पहचान की मोहताज है. झील में गंदगी और कूड़े का अंबार लग गया है. स्थानीय लोगों का कहना है कि जनप्रतिनिधियों का ध्यान झील की साफ-सफाई पर नहीं है.
DDA को लगी थी फटकार
भलस्वा झील को बचाने के लिए कुछ निजी संस्थाएं काफी वर्षों से इस पर काम कर रही हैं. कोर्ट ने DDA फटकार के साथ जुर्माना भी लगाया, बावजूद इसके झील का काया पलट नहीं सका है और स्थिति जस की तस बनी हुई है.
बादशाह जहांगीर से जुड़ा हुआ है भलस्वा झील का इतिहास
किसी जमाने में झील के किनारे जहांगीर का अस्तबल हुआ करता था. समय बीतता गया और इस झील के इतिहास भी पन्नो में सिमट कर रह गया. इस झील ने देश को नेशनल, इंटरनेशनल मेडलिस्ट खिलाड़ी भी दिए हैं, क्योंकि इस झील में कुछ वर्षों पहले तक स्विमिंग की प्रैक्टिस करवाई जाती थी. लेकिन अब झील का पानी मवेशियों के मल मूत्र से इतना दूषित हो गया है कि इसमें नहाने से चर्म रोग हो रहे हैं
क्या कहते हैं शिकायकर्ता?
शिकायकर्ता आशीष ने कहा कि 2018 से लगाताल को झील को साफ करने की मांग कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि कई विभाग में जाकर उन्होंने शिकायत दी, मुख्यमंत्री को भी पत्र लिखा. लेकिन काम के नाम पर कुछ भी नहीं हुआ और झील की स्थिति अभी भी बदहाल है.
प्राकृतिक झील
भलस्वा झील एकमात्र प्राकृतिक झील है. लेकिन लोगों ने गंदगी डाल-डालकर इसकी स्थिति बद से बदतर कर दी है. गंदगी की वजह से झील में रहने वाले जलीय जीव भी मर रहे हैं. सुनवाई और जुर्माने के बाद भी DDA झील की सफाई बिल्कुल दिलचस्पी नहीं ले रहा है.
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