नई दिल्ली: पिछले साल की तरह इस साल भी दिल्ली सरकार ने कोविड-19 गाइड लाइन के तहत छठ के सार्वजनिक कार्यक्रमों पर पूरी तरीके से प्रतिबंध लगा दिया है. जबकि रामलीला, दुर्गा पूजा और अन्य कार्यक्रम को अनुमति दे दी. जिस पर बीजेपी को भी राजनीति करने का मौका मिल गया. इसी कड़ी में दिल्ली के बीजेपी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और सांसद मनोज तिवारी 'छठ यात्रा' निकाल रहे हैं.
दिल्ली सरकार के फैसले के खिलाफ दिल्ली के अलग-अलग इलाकों से छठ यात्रा निकाली जा रही है. जहां लोगों से दिल्ली सरकार के इस फैसले पर राय ली जा रही है और बात की जा रही है. इसी के तहत सांसद मनोज तिवारी भलस्वा डेरी इलाके पहुंचे, जहां उन्होंने लोगों के सामने दिल्ली सरकार के इस फैसले को रखा और खुलकर इसका विरोध किया.
ये भी पढ़ें: दिल्ली में छठ पूजा पर रोक के बाद छठ पूजा आयोजकों ने सरकार पर लगाए भेदभाव के आरोप
भलस्वा इलाके में बहुतायत में पूर्वांचल वासी रहते हैं. यही वजह है कि बीजेपी सांसद मनोज तिवारी भलस्वा डेरी पहुंचे और छठ पूजा समितियों के पदाधिकारियों के साथ बातचीत की. उन्होंने घाटों पर छठ पर्व मनाने के दौरान कोविड-19 के नियमों का पालन करने के लिए वहां मौजूद सभी लोगों को 7 संकल्प दिलवाया.
इस दौरान सांसद ने कहा कि जिसने भी पूर्वांचल के अस्तित्व से छेड़छाड़ की और महापर्व छठ और उसके व्रतधारियों का अपमान किया, उसे दंड मिला है. छठ पूजा का यह अपमान ऐसे लोगों पर भारी पड़ेगा. उन्होंने कहा कि बीजेपी के हजारों कार्यकर्ता कोरोना गाइडलाइन का पालन करते हुए छठ पूजा सुनिश्चित कराने के लिए वचनबद्ध है.
ये भी पढ़ें: छठ के सार्वजनिक आयोनज की मांग, पूर्व महापौर ने दीपक जलाकर अभियान किया शुरू
वहीं छठ कार्यक्रम करने वाली समितियां बीजेपी सांसद मनोज तिवारी पर छठ के इस मुद्दे पर राजनीति करने का आरोप लगा रही हैं. उनका कहना है कि अगर वो छठ पर्व के प्रति वचनबद्ध हैं तो उन्हें छठ यात्रा की बजाय एलजी साहब से मुलाकात करनी चाहिए और इस समस्या का जल्द से जल्द समाधान निकालना चाहिए था.