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Jahangirpuri: आयुर्वेदिक डिस्पेंसरी बनी बकरीगाह, सालभर बाद भी डॉक्टर का इंतजार - जहांगीरपुरी आयुर्वेदिक डिस्पेंसरी में बकरी

दिल्ली के जहांगीरपुरी वार्ड 22 में लाखों की लागत से आयुर्वेदिक डिस्पेंसरी बनाई गई है, लेकिन अभी तक इसमें डॉक्टर नहीं बैठ रहे हैं. जिसके चलते लोग यहां बकरियां बांधने लगे हैं और जनता की गाढ़ी कमाई से तैयार आयुर्वेदिक डिस्पेंसरी खंडहर में तब्दील होती जा रही है.

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आयुर्वेदिक डिस्पेंसरी बनी बकरीगाह
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Published : Aug 10, 2021, 11:43 AM IST

नई दिल्ली: राजधानी में नगर निगम की एक और बड़ी लापरवाही सामने आई है. जहांगीर पुरी के वार्ड 22 में स्थित एक आयुर्वेदिक डिस्पेंसरी इन दिनों बकरियों के आराम का केंद्र बन चुकी है. जबकि इस आयुर्वेदिक डिस्पेंसरी को लाखों रुपयों को खर्च कर जनता की सेवा के लिए बनाया गया था.

आयुर्वेदिक डिस्पेंसरी बनी बकरीगाह

पिछले कई सालों से इस बिल्डिंग को बनाया जा रहा था. जब यह बनकर तैयार हुई तो लोगों ने राहत की सांस ली कि उन्हें आयुर्वेदिक इलाज के लिए पैसे खर्च करने की जरूरत नहीं पड़ेगी, बल्कि नगर निगम द्वारा ही आयुर्वेदिक डिस्पेंसरी में लोगों का इलाज हो पाएगा. लेकिन अब तक यहां डॉक्टरों के बैठने का काम शुरू नहीं हुआ, जिसके चलते लोग यहां बकरियां बांधने लगे हैं और डिस्पेंसरी के गेट पर उनका चारा बांधा जाता है.

डिस्पेंसरी की गेट पर बंधी बकरियां न सिर्फ चारा खा रही हैं. बल्कि निगम की लापरवाही को भी दिखा रही हैं कि कैसे जनता की गाढ़ी कमाई का लाखों रुपया बर्बाद किया जा रहा है. बिल्डिंग लग चुकी काई बता रही है कि निगम के जिम्मेदार नेता कितनी गहरी नींद में हैं कि डिस्पेंसरी अभी खुली भी नहीं और काई लग गई दरवाजों में जंग लग गई और बिल्डिंग खंडहर में तब्दील हो रही है.

अब इस बड़ी लापरवाही पर कांग्रेसी नेता लगातार सवाल उठा रहे हैं. उनका कहना है कि भाजपा के भ्रष्टाचार के चलते बिल्डिंग तो बन जाती है लेकिन उद्घाटन के बाद ना तो वहां डॉक्टर बैठ रहे हैं और ना ही किसी का इलाज हो पा रहा है. यह सीधे तौर पर लापरवाही और भ्रष्टाचार को उजागर करता है.

नई दिल्ली: राजधानी में नगर निगम की एक और बड़ी लापरवाही सामने आई है. जहांगीर पुरी के वार्ड 22 में स्थित एक आयुर्वेदिक डिस्पेंसरी इन दिनों बकरियों के आराम का केंद्र बन चुकी है. जबकि इस आयुर्वेदिक डिस्पेंसरी को लाखों रुपयों को खर्च कर जनता की सेवा के लिए बनाया गया था.

आयुर्वेदिक डिस्पेंसरी बनी बकरीगाह

पिछले कई सालों से इस बिल्डिंग को बनाया जा रहा था. जब यह बनकर तैयार हुई तो लोगों ने राहत की सांस ली कि उन्हें आयुर्वेदिक इलाज के लिए पैसे खर्च करने की जरूरत नहीं पड़ेगी, बल्कि नगर निगम द्वारा ही आयुर्वेदिक डिस्पेंसरी में लोगों का इलाज हो पाएगा. लेकिन अब तक यहां डॉक्टरों के बैठने का काम शुरू नहीं हुआ, जिसके चलते लोग यहां बकरियां बांधने लगे हैं और डिस्पेंसरी के गेट पर उनका चारा बांधा जाता है.

डिस्पेंसरी की गेट पर बंधी बकरियां न सिर्फ चारा खा रही हैं. बल्कि निगम की लापरवाही को भी दिखा रही हैं कि कैसे जनता की गाढ़ी कमाई का लाखों रुपया बर्बाद किया जा रहा है. बिल्डिंग लग चुकी काई बता रही है कि निगम के जिम्मेदार नेता कितनी गहरी नींद में हैं कि डिस्पेंसरी अभी खुली भी नहीं और काई लग गई दरवाजों में जंग लग गई और बिल्डिंग खंडहर में तब्दील हो रही है.

अब इस बड़ी लापरवाही पर कांग्रेसी नेता लगातार सवाल उठा रहे हैं. उनका कहना है कि भाजपा के भ्रष्टाचार के चलते बिल्डिंग तो बन जाती है लेकिन उद्घाटन के बाद ना तो वहां डॉक्टर बैठ रहे हैं और ना ही किसी का इलाज हो पा रहा है. यह सीधे तौर पर लापरवाही और भ्रष्टाचार को उजागर करता है.

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