नई दिल्ली: कांग्रेस अध्यक्ष के लिए सोमवार को चुनाव हुआ. इसे लेकर पार्टी में उत्साह का माहौल दिखा. 22 साल बाद होने जा रहे इस चुनाव को गहरी दिलचस्पी से देखा जा रहा है. मतदान के लिए दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में मतदान केंद्र बनाया गया था, जहां दिल्ली के पदाधिकारियों ने वोट डाले. सुबह 10 बजे से शाम 4 बजे तक वोटिंग हुई.
बताया जा रहा है कि वोट नहीं डालने वालों में पूर्व सांसद कर्ण सिंह, पूर्व मंत्री किरण वालिया सहित 4 अन्य डेलिगेट्स बीमारी की वजह से नहीं पहुंच पाए. एक डेलिगेटस की मौत हो चुकी थी. सूत्रों के अनुसार, पूर्व सांसद और शीला दीक्षित के बेटे संदीप दीक्षित वोट देने के बाद दिल्ली प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अनिल चौधरी पर भड़क गए. यह वाक्या तब हुआ जब चौधरी ने दीक्षित को चाय पीने के लिए रोका. इस पर उन्होंने जवाब दिया कि आपकी पार्टी से हमें कोई लेना देना नहीं है. यह कहकर वहां से चले गए.
अपना वोट डालने के लिए सुबह प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अनिल चौधरी यहां पहुंचे और उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने हमेशा लोकतंत्र को जिंदा रखा है. उसी के तहत आज राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए देशभर में वोटिंग हो रही है. दिल्ली में भी व्यवस्था की गई है. जहां पर दिल्ली के 280 पदाधिकारी हैं, वे आकर यहां वो डाल सकते हैं. जो किसी कारणवश दिल्ली में नहीं है वह अन्य राज्यों में भी वहां के मतदान केंद्र पर वोट डाल सकते हैं. सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस में 24 साल बाद गैर गांधी को अध्यक्ष के रूप में चुना जाएगा. हालांकि गांधी परिवार पार्टी का नेतृत्व करना जारी रखेगा.
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वहीं, नए अध्यक्ष से संगठन को मजबूत करने, राज्य के चुनावों में जीत सुनिश्चित करने और 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले विपक्षी एकता बनाने जैसी भविष्य की चुनौतियों का सामना करने के लिए मिलकर काम करने की उम्मीद है.
बता दें कि कांग्रेस में पिछला अध्यक्ष का चुनाव 2000 में हुआ था. जिसमें सोनिया गांधी ने जितेंद्र प्रसाद को भारी अंतर से हराया था. इससे पहले उन्होंने 1998 में पार्टी की कमान संभाली थी. वहीं 1996 में कांग्रेस का आखिरी गैर-गांधी अध्यक्ष था, जब सीताराम केसरी, शरद पवार और राजेश पायलट को हराकर पार्टी के शीर्ष पद के लिए चुने गए थे. इसी क्रम में 17 अक्टूबर 2022 को 9000 से अधिक पीसीसी प्रतिनिधि मल्लिकार्जुन खड़गे और शशि थरूर में से अगले गैर-गांधी अध्यक्ष का चुनाव करेंगे. दोनों ही नेता राहुल गांधी द्वारा पर्चा दाखिल करने से इनकार करने के बाद मैदान में आए थे. राहुल गांधी 2017 में सर्वसम्मति से पार्टी अध्यक्ष चुने गए थे लेकिन 2019 में लोकसभा चुनाव में हार की जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा दे दिया. तब से सोनिया गांधी अंतरिम अध्यक्ष बनी रहीं.
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