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थैलेसीमिया के मरीजों को नहीं मिल पा रहा खून, कोरोना और लॉकडाउन के चलते नहीं मिल रहे डोनर्स

थैलेसीमिया के बारे में विशेषज्ञों का कहना कि यह एक ऐसी बीमारी है, जिसमें इसके मरीज को हर महीने खून की आवश्यकता होती है. लेकिन कोरोना और लॉकडाउन के कारण ऐसे मरीज काफी परेशान हैं. इसी को लेकर ईटीवी भारत की टीम ने ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज में रक्त रोग विशेषज्ञ सहित अन्य डॉक्टरों से बात की.

thalassemia patients cannot get blood on time due to corona and lockdown in delhi
डॉक्टर जयस्तु सेनापति
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Published : May 10, 2021, 1:39 PM IST

नई दिल्ली: एक तरफ कोरोना तेजी से फैल रहा है. स्वास्थ्य सेवाओं से लेकर सरकार इसके इलाज में दिन-रात लगी हुई है. वहीं सभी अस्पतालों में डॉक्टर और स्वास्थ्य कर्मी इससे संक्रमित मरीजों का इलाज कर रहे हैं, लेकिन इस बीमारी के चलते अन्य गंभीर बीमारियों से पीड़ित मरीजों को सही समय पर इलाज नहीं मिल पा रहा है. ऐसी ही एक गंभीर बीमारी है थैलेसीमिया. यह एक ऐसी बीमारी है, जिसमें इसके मरीज को हर महीने खून की आवश्यकता होती है. लेकिन कोरोना और लॉकडाउन के चलते न तो ब्लड बैंक में ब्लड डोनर्स पहुंच रहे हैं और न ही इससे ग्रसित मरीजों को समय पर ब्लड मिल पा रहा है.

थैलेसीमिया के मरीजों को नहीं मिल पा रहा समय पर खून

थैलेसीमिया से पीड़ित मरीजों को नहीं मिल पा रहा हर महीने खून

28 साल की सोनकी ने ETV भारत को बताया कि उन्हें मेजर थैलेसीमिया है और हर महीने उन्हें खून की आवश्यकता होती है. जिस अस्पताल में उनका इलाज चल रहा है, पहले वहां से हर महीने खून आसानी से मिल जाता था. लेकिन जब से दिल्ली में लॉकडाउन लगा है, तब से उन्हें खून के लिए काफी परेशान होना पड़ रहा है. आसानी से कोई भी डोनर नहीं मिल रहा है. सोनकी ने बताया 20 से 29 दिन के बीच उन्हें ट्रांसफ्यूजन कराना होता है, लेकिन ब्लड बैंक में ब्लड ही नहीं है और ना ही कोई डोनर मिल पा रहा है.



लोगों से की ब्लड डोनेट करने की अपील

सोनकी ने मौजूदा समय को देखते हुए उन सभी लोगों से अपील की, जो हर 3 महीने बाद ब्लड डोनेट करते हैं. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि कोरोना और लॉकडाउन के चलते ऐसा नहीं है कि आप अस्पतालों या ब्लड बैंक तक ब्लड डोनेट करने नहीं जा सकते, क्योंकि वहां पर कोरोना का कोई खतरा नहीं है. आप कैम्स में जाकर भी ब्लड डोनेट कर सकते हैं, या फिर अस्पताल के बाहर मोबाइल ब्लड डोनेशन वैन होती हैं, वहां पर भी ब्लड डोनेट कर सकते हैं. क्योंकि आपका खून किसी और के लिए जीवन दान होता है. इसलिए उन्होंने लोगों से अपील की कि मौजूदा समय में भी कृपया ब्लड डोनेट करें.

ये भी पढ़ें:-दिल्ली में 1 दिन की को-वैक्सीन, 3-4 दिन की कोविशिल्ड शेष: सत्येंद्र जैन

ब्लड बैंकस् तक नहीं पहुंच रहे डोनर्स

इसके साथ ही एक अन्य व्यक्ति नमन ने बताया कि उनके 27 साल के दोस्त को हर महीने खून की आवश्यकता होती है, लेकिन पिछले 6 महीने से उन्हें खून के लिए काफी परेशान होना पड़ रहा है. खून के लिए उसे अलग-अलग ब्लड बैंक के चक्कर काटने को मजबूर होना पड़ रहा है. यहां तक कि डोनर्स की भी तलाश कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि हालात यह हैं कि वैक्सीनेशन से पहले जिन लोगों ने ब्लड डोनेट किया है, उनका ब्लड ले सकते हैं, लेकिन डोनर्स ब्लड बैंक तक ही नहीं पहुंच रहे हैं, उन्होंने लोगों से अपील की कि कृपया अपना ब्लड जरूर दान करें.

ये भी पढ़ें:-सरोज अस्पताल के 80 कर्मचारी कोरोना संक्रमित, वैक्सीन के दोनों डोज के बाद भी डॉक्टर की मौत

पीड़ित मरीजों के शरीर में नहीं बन पाता खून

इसके साथ ही ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेजमें रक्त रोग विशेषज्ञ डॉक्टर जयस्तु सेनापति ने बताया थैलेसीमिया एक ऐसी बीमारी है, जोकि जन्म से ही बच्चों में पाई जाती है और इस बीमारी के चलते शरीर में खून बनने की प्रक्रिया में कई रुकावटें आती है. इसके चलते शरीर में खून नहीं बन पाता. जिसके चलते मरीज को हर महीने खून चढ़ाना होता है, जो मेजर थैलेसीमिया के मरीज होते हैं. उन्हें हर महीने में कम से कम 20 दिन बाद खून की आवश्यकता होती है. डॉक्टर ने बताया कि इस बीमारी का केवल एक ही इलाज है कि पीड़ित व्यक्ति को हर महीने समय पर सही मात्रा में खून मिलता रहे और 8 से 9 ग्राम पर डेसीलीटर से ज्यादा शरीर में खून की मात्रा बनी रहे.

ये भी पढ़ें:-26 दिन बाद थोड़ी राहत, नए कोरोना संक्रमितों की संख्या गिरकर पहुंची 13,336

अब भी नहीं है लोगों में जागरूकता

इसके साथ ही गयनेकोलॉजिस्ट डॉक्टर ध्वनि मागो ने बताया यह एक ऐसी बीमारी है, जो कि जन्म से ही बच्चे को अपने माता-पिता के जरिए प्राप्त होती है. मौजूदा समय में फिलहाल इस बीमारी का कोई इलाज नहीं है, केवल हर महीने इससे पीड़ित बच्चे को खून चढ़ाने की आवश्यकता होती है. इसके साथ ही उन्होंने बताया कि इसको लेकर लोगों के बीच में जागरूकता की कमी है. इसके चलते भी बच्चों में यह बीमारी पाई जाती है. इसका इलाज यही है कि बच्चे के जन्म से पहले 3 महीने के गर्भ के दौरान ही जांच कराएं, जिससे कि बच्चे में इस बीमारी का पता लगाया जा सके. उन्होंने बताया कि यदि माता-पिता दोनों को माइनर थैलेसीमिया है तो बच्चे में मेजर थैलेसीमिया होगा. उसे हर 20 दिन बाद खून की आवश्यकता होगी. उन्होंने कहा कि मौजूदा समय में इससे पीड़ित मरीजों को खून नहीं मिल पा रहा है. जिसके लिए सरकार को चाहिए कि वह लोगों को जागरूक करें और जगह-जगह ब्लड डोनेशन कैंप लगाएं, जिससे कि लोग ब्लड डोनेट करने के लिए सामने आए.

नई दिल्ली: एक तरफ कोरोना तेजी से फैल रहा है. स्वास्थ्य सेवाओं से लेकर सरकार इसके इलाज में दिन-रात लगी हुई है. वहीं सभी अस्पतालों में डॉक्टर और स्वास्थ्य कर्मी इससे संक्रमित मरीजों का इलाज कर रहे हैं, लेकिन इस बीमारी के चलते अन्य गंभीर बीमारियों से पीड़ित मरीजों को सही समय पर इलाज नहीं मिल पा रहा है. ऐसी ही एक गंभीर बीमारी है थैलेसीमिया. यह एक ऐसी बीमारी है, जिसमें इसके मरीज को हर महीने खून की आवश्यकता होती है. लेकिन कोरोना और लॉकडाउन के चलते न तो ब्लड बैंक में ब्लड डोनर्स पहुंच रहे हैं और न ही इससे ग्रसित मरीजों को समय पर ब्लड मिल पा रहा है.

थैलेसीमिया के मरीजों को नहीं मिल पा रहा समय पर खून

थैलेसीमिया से पीड़ित मरीजों को नहीं मिल पा रहा हर महीने खून

28 साल की सोनकी ने ETV भारत को बताया कि उन्हें मेजर थैलेसीमिया है और हर महीने उन्हें खून की आवश्यकता होती है. जिस अस्पताल में उनका इलाज चल रहा है, पहले वहां से हर महीने खून आसानी से मिल जाता था. लेकिन जब से दिल्ली में लॉकडाउन लगा है, तब से उन्हें खून के लिए काफी परेशान होना पड़ रहा है. आसानी से कोई भी डोनर नहीं मिल रहा है. सोनकी ने बताया 20 से 29 दिन के बीच उन्हें ट्रांसफ्यूजन कराना होता है, लेकिन ब्लड बैंक में ब्लड ही नहीं है और ना ही कोई डोनर मिल पा रहा है.



लोगों से की ब्लड डोनेट करने की अपील

सोनकी ने मौजूदा समय को देखते हुए उन सभी लोगों से अपील की, जो हर 3 महीने बाद ब्लड डोनेट करते हैं. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि कोरोना और लॉकडाउन के चलते ऐसा नहीं है कि आप अस्पतालों या ब्लड बैंक तक ब्लड डोनेट करने नहीं जा सकते, क्योंकि वहां पर कोरोना का कोई खतरा नहीं है. आप कैम्स में जाकर भी ब्लड डोनेट कर सकते हैं, या फिर अस्पताल के बाहर मोबाइल ब्लड डोनेशन वैन होती हैं, वहां पर भी ब्लड डोनेट कर सकते हैं. क्योंकि आपका खून किसी और के लिए जीवन दान होता है. इसलिए उन्होंने लोगों से अपील की कि मौजूदा समय में भी कृपया ब्लड डोनेट करें.

ये भी पढ़ें:-दिल्ली में 1 दिन की को-वैक्सीन, 3-4 दिन की कोविशिल्ड शेष: सत्येंद्र जैन

ब्लड बैंकस् तक नहीं पहुंच रहे डोनर्स

इसके साथ ही एक अन्य व्यक्ति नमन ने बताया कि उनके 27 साल के दोस्त को हर महीने खून की आवश्यकता होती है, लेकिन पिछले 6 महीने से उन्हें खून के लिए काफी परेशान होना पड़ रहा है. खून के लिए उसे अलग-अलग ब्लड बैंक के चक्कर काटने को मजबूर होना पड़ रहा है. यहां तक कि डोनर्स की भी तलाश कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि हालात यह हैं कि वैक्सीनेशन से पहले जिन लोगों ने ब्लड डोनेट किया है, उनका ब्लड ले सकते हैं, लेकिन डोनर्स ब्लड बैंक तक ही नहीं पहुंच रहे हैं, उन्होंने लोगों से अपील की कि कृपया अपना ब्लड जरूर दान करें.

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पीड़ित मरीजों के शरीर में नहीं बन पाता खून

इसके साथ ही ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेजमें रक्त रोग विशेषज्ञ डॉक्टर जयस्तु सेनापति ने बताया थैलेसीमिया एक ऐसी बीमारी है, जोकि जन्म से ही बच्चों में पाई जाती है और इस बीमारी के चलते शरीर में खून बनने की प्रक्रिया में कई रुकावटें आती है. इसके चलते शरीर में खून नहीं बन पाता. जिसके चलते मरीज को हर महीने खून चढ़ाना होता है, जो मेजर थैलेसीमिया के मरीज होते हैं. उन्हें हर महीने में कम से कम 20 दिन बाद खून की आवश्यकता होती है. डॉक्टर ने बताया कि इस बीमारी का केवल एक ही इलाज है कि पीड़ित व्यक्ति को हर महीने समय पर सही मात्रा में खून मिलता रहे और 8 से 9 ग्राम पर डेसीलीटर से ज्यादा शरीर में खून की मात्रा बनी रहे.

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अब भी नहीं है लोगों में जागरूकता

इसके साथ ही गयनेकोलॉजिस्ट डॉक्टर ध्वनि मागो ने बताया यह एक ऐसी बीमारी है, जो कि जन्म से ही बच्चे को अपने माता-पिता के जरिए प्राप्त होती है. मौजूदा समय में फिलहाल इस बीमारी का कोई इलाज नहीं है, केवल हर महीने इससे पीड़ित बच्चे को खून चढ़ाने की आवश्यकता होती है. इसके साथ ही उन्होंने बताया कि इसको लेकर लोगों के बीच में जागरूकता की कमी है. इसके चलते भी बच्चों में यह बीमारी पाई जाती है. इसका इलाज यही है कि बच्चे के जन्म से पहले 3 महीने के गर्भ के दौरान ही जांच कराएं, जिससे कि बच्चे में इस बीमारी का पता लगाया जा सके. उन्होंने बताया कि यदि माता-पिता दोनों को माइनर थैलेसीमिया है तो बच्चे में मेजर थैलेसीमिया होगा. उसे हर 20 दिन बाद खून की आवश्यकता होगी. उन्होंने कहा कि मौजूदा समय में इससे पीड़ित मरीजों को खून नहीं मिल पा रहा है. जिसके लिए सरकार को चाहिए कि वह लोगों को जागरूक करें और जगह-जगह ब्लड डोनेशन कैंप लगाएं, जिससे कि लोग ब्लड डोनेट करने के लिए सामने आए.

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