ETV Bharat / state

वैकल्पिक अकादमिक कैलेंडर में पंजाबी भाषा शामिल ना किए जाने से शिक्षक नाराज

एनसीईआरटी के वैकल्पिक कैलेंडर में पंजाबी भाषा को बतौर मुख्य विषय शामिल नहीं किया गया है, जिससे सभी पंजाबी शिक्षकों में रोष है. वहीं इस मामले को लेकर गुरु हरकिशन पब्लिक स्कूल के पंजाबी के शिक्षक जगजीत सिंह ने कहा कि ऐसा पहली बार नहीं है, जब पंजाबी भाषा को महत्व ना दिया गया हो.

Teacher angry over not including Punjabi language
पंजाबी भाषा
author img

By

Published : May 21, 2020, 3:23 PM IST

नई दिल्ली: एनसीईआरटी की ओर से शैक्षणिक सत्र 2020-21 के लिए जारी किए गए वैकल्पिक अकादमिक कैलेंडर में पंजाबी भाषा का विषय शामिल नहीं किया गया है. जिसको लेकर पंजाबी भाषा के शिक्षकों ने आपत्ति जताई है. उनका कहना है कि सभी भाषाओं को जगह देकर पंजाबी को बाहर करना पंजाबी भाषा का अपमान और पंजाबी पढ़ने पढ़ाने वालों के साथ नाइंसाफी है. ऐसे में उनकी मांग है कि पंजाबी भाषा को सम्मान देते हुए इसे भी वैकल्पिक अकादमिक कैलेंडर में शामिल किया जाए.

वैकल्पिक अकादमिक कैलेंडर को लेकर नाराजगी
'हर बार पंजाबी भाषा पर ही लटकती है तलवार'

बता दें कि राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) के वैकल्पिक कैलेंडर में पंजाबी भाषा को बतौर मुख्य विषय शामिल नहीं किया गया है, जिससे सभी पंजाबी शिक्षकों में रोष है. वहीं इस मामले को लेकर गुरु हरकिशन पब्लिक स्कूल के पंजाबी के शिक्षक जगजीत सिंह ने कहा कि ऐसा पहली बार नहीं है जब पंजाबी भाषा को महत्व ना दिया गया हो.

उन्होंने बताया कि पहले भी कई बार ऐसा हो चुका है. जब भी किसी तरह का बदलाव करना होता है या विषय कम करने की बात चलती है तो सबसे पहले तलवार पंजाबी भाषा पर ही लटकती है.



'शिक्षकों और छात्रों के साथ नाइंसाफी'

वहीं पंजाबी शिक्षकों का कहना है कि दिल्ली में बोले जाने वाली पंजाबी दूसरी सबसे बड़ी भाषा है. साथ ही बड़ी संख्या में छात्र इस भाषा को मुख्य विषय के तौर पर पढ़ते हैं. ऐसे में वैकल्पिक अकादमिक कैलेंडर से इस भाषा को हटा देना ना केवल पंजाबी सीखने वाले बच्चों के प्रति बल्कि पंजाबी पढ़ाने वाले शिक्षकों के साथ भी भेदभाव दिखाता है.

जगजीत सिंह ने कहा कि इस नए अकादमिक कैलेंडर में जहां सभी विषयों के लिए जगह बन सकती है तो पंजाबी विषय की ही अहमियत क्यों कम की जाती है. इससे पंजाबी में कैरियर बनाने वाले बच्चों पर भी असर पड़ता है. साथ ही शिक्षकों की आजीविका भी खतरे में आ जाती है.



कई स्कूलों में मुख्य भाषा के तौर पर पढ़ाई जाती है पंजाबी

जगजीत सिंह ने कहा कि दिल्ली में कई खालसा और पंजाबी स्कूल है, जहां मुख्य भाषा पंजाबी पढ़ाई जाती है. इसके अलावा सरकारी स्कूलों में भी सैकड़ों पंजाबी के शिक्षक हैं, जो छात्रों पंजाबी सिखा रहे हैं लेकिन वैकल्पिक कैलेंडर के अनुसार पूरे साल छात्र पंजाबी नहीं पढ़ पाएंगे. जिससे उनका काफी नुकसान होगा.


'केंद्रीय मंत्री से गुहार, पंजाबी को दें सम्मान'

जगजीत सिंह ने कहा कि एनसीईआरटी की जिम्मेदारी है कि भारत की प्रत्येक भाषा संस्कृति को छात्रों के लिए समान रूप से उपलब्ध कराए. ऐसे में पंजाबी को सिलेबस से बाहर करना पूरी तरह गलत है. उनकी मांग है कि केंद्रीय संसाधन मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक इस मामले में हस्तक्षेप करें और पंजाबी भाषा को सम्मान देते हुए इसे मुख्य विषय के तौर पर वैकल्पिक अकादमिक कैलेंडर में शामिल करवाएं, जिससे किसी शिक्षक के साथ नाइंसाफी ना हो और ना ही पंजाबी विषय का महत्व कम हो. वहीं उन्होंने कहा कि इस पूरे मामले को लेकर एमएचआरडी और एनसीईआरटी को भी पत्र लिखा गया है.

नई दिल्ली: एनसीईआरटी की ओर से शैक्षणिक सत्र 2020-21 के लिए जारी किए गए वैकल्पिक अकादमिक कैलेंडर में पंजाबी भाषा का विषय शामिल नहीं किया गया है. जिसको लेकर पंजाबी भाषा के शिक्षकों ने आपत्ति जताई है. उनका कहना है कि सभी भाषाओं को जगह देकर पंजाबी को बाहर करना पंजाबी भाषा का अपमान और पंजाबी पढ़ने पढ़ाने वालों के साथ नाइंसाफी है. ऐसे में उनकी मांग है कि पंजाबी भाषा को सम्मान देते हुए इसे भी वैकल्पिक अकादमिक कैलेंडर में शामिल किया जाए.

वैकल्पिक अकादमिक कैलेंडर को लेकर नाराजगी
'हर बार पंजाबी भाषा पर ही लटकती है तलवार'

बता दें कि राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) के वैकल्पिक कैलेंडर में पंजाबी भाषा को बतौर मुख्य विषय शामिल नहीं किया गया है, जिससे सभी पंजाबी शिक्षकों में रोष है. वहीं इस मामले को लेकर गुरु हरकिशन पब्लिक स्कूल के पंजाबी के शिक्षक जगजीत सिंह ने कहा कि ऐसा पहली बार नहीं है जब पंजाबी भाषा को महत्व ना दिया गया हो.

उन्होंने बताया कि पहले भी कई बार ऐसा हो चुका है. जब भी किसी तरह का बदलाव करना होता है या विषय कम करने की बात चलती है तो सबसे पहले तलवार पंजाबी भाषा पर ही लटकती है.



'शिक्षकों और छात्रों के साथ नाइंसाफी'

वहीं पंजाबी शिक्षकों का कहना है कि दिल्ली में बोले जाने वाली पंजाबी दूसरी सबसे बड़ी भाषा है. साथ ही बड़ी संख्या में छात्र इस भाषा को मुख्य विषय के तौर पर पढ़ते हैं. ऐसे में वैकल्पिक अकादमिक कैलेंडर से इस भाषा को हटा देना ना केवल पंजाबी सीखने वाले बच्चों के प्रति बल्कि पंजाबी पढ़ाने वाले शिक्षकों के साथ भी भेदभाव दिखाता है.

जगजीत सिंह ने कहा कि इस नए अकादमिक कैलेंडर में जहां सभी विषयों के लिए जगह बन सकती है तो पंजाबी विषय की ही अहमियत क्यों कम की जाती है. इससे पंजाबी में कैरियर बनाने वाले बच्चों पर भी असर पड़ता है. साथ ही शिक्षकों की आजीविका भी खतरे में आ जाती है.



कई स्कूलों में मुख्य भाषा के तौर पर पढ़ाई जाती है पंजाबी

जगजीत सिंह ने कहा कि दिल्ली में कई खालसा और पंजाबी स्कूल है, जहां मुख्य भाषा पंजाबी पढ़ाई जाती है. इसके अलावा सरकारी स्कूलों में भी सैकड़ों पंजाबी के शिक्षक हैं, जो छात्रों पंजाबी सिखा रहे हैं लेकिन वैकल्पिक कैलेंडर के अनुसार पूरे साल छात्र पंजाबी नहीं पढ़ पाएंगे. जिससे उनका काफी नुकसान होगा.


'केंद्रीय मंत्री से गुहार, पंजाबी को दें सम्मान'

जगजीत सिंह ने कहा कि एनसीईआरटी की जिम्मेदारी है कि भारत की प्रत्येक भाषा संस्कृति को छात्रों के लिए समान रूप से उपलब्ध कराए. ऐसे में पंजाबी को सिलेबस से बाहर करना पूरी तरह गलत है. उनकी मांग है कि केंद्रीय संसाधन मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक इस मामले में हस्तक्षेप करें और पंजाबी भाषा को सम्मान देते हुए इसे मुख्य विषय के तौर पर वैकल्पिक अकादमिक कैलेंडर में शामिल करवाएं, जिससे किसी शिक्षक के साथ नाइंसाफी ना हो और ना ही पंजाबी विषय का महत्व कम हो. वहीं उन्होंने कहा कि इस पूरे मामले को लेकर एमएचआरडी और एनसीईआरटी को भी पत्र लिखा गया है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.