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100 करोड़ रुपए मुआवजा घोटाला: नोएडा अथॉरिटी में एसआईटी का छापा, कई बड़े अधिकारी जांच के घेरे में

Noida Authority: नोएडा के सेक्टर 6 स्थित प्राधिकरण कार्यालय में उस समय अधिकारियों और कर्मचारियों में हड़कंप मच गया, जब एसआईटी की टीम 100 करोड़ रुपए मुआवजा घोटाला केस में प्राधिकरण द्वारा बांटे गए जमीन अधिग्रहण के मुआवजे की जांच करने पहुंची.

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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Dec 4, 2023, 6:25 PM IST

100 करोड़ रुपए मुआवजा घोटाला
100 करोड़ रुपए मुआवजा घोटाला

नई दिल्ली/नोएडा: सेक्टर-6 स्थित प्राधिकरण कार्यालय में सोमवार को एसआईटी की टीम 10 से 15 सालों में प्राधिकरण द्वारा बांटे गए जमीन अधिग्रहण के मुआवजे की जांच करने पहुंची. एसआईटी टीम का नेतृत्व बोर्ड ऑफ रेवेनुए के अध्यक्ष और एसआईटी हेड हेमंत राव ने किया. उन्होंने प्राधिकरण में पहुंचकर बोर्ड रूम में संबंधित अधिकारियों को तलब किया और पूछताछ की.

बताया जा रहा कि यह पूछताछ और पूरी जांच लंबी चल सकती है. अभी भी एसआईटी की टीम अथॉरिटी में मौजूद है, जो तमाम दस्तावेजों को खंगाल रही है. इस जांच में कितने लोग दोषी पाए जाते हैं, यह जांच के बाद ही निश्चित होगा. फिलहाल एसआईटी की टीम सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी के बाद जांच करने पहुंची है.

दरअसल, सुप्रीम कोर्ट की नाराजगी टिप्पणी के बाद विशेष जांच दल (SIT) की टीम नोएडा प्राधिकरण पहुंची. 10-15 साल पूर्व नोएडा प्राधिकरण के तत्कालीन बड़े अधिकारी भी इस जांच के घेरे में आ सकते हैं. एसआईटी ने कार्मिक विभाग से संबंधित समय में तैनात रहे अधिकारियों की सूची मांगी है. पुराने और नए अधिकारी भी एसईटी के रडार पर हैं.

बता दें, नोएडा के गेझा तिलपताबाद गांव में पुराने भूमि अधिग्रहण पर गैरकानूनी ढंग से 100 करोड़ रुपये से अधिक मुआवजा देने के मामले में उत्तर प्रदेश सरकार ने स्पेशल इन्वेस्टीगेशन टीम का गठन किया था. वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने किसानों को अतिरिक्त मुआवजा बांटने के मामले में विधि विभाग के सिर्फ दो अधिकारियों को दोषी मानने से इनकार कर दिया और कहा कि इस मामले कई अन्य अधिकारियों की संलिप्तता है, जिसकी गहनता से जांच होनी चाहिए. इसी जांच को अब अंतिम रूप देने और अन्य की संलिप्तता को जानने के लिए एसआईटी नोएडा प्राधिकरण आई.

रेवड़ियों की तरह बांटे गए मुआवजे: रेवड़ियों की तरह बांटे गए मुआवजे के लिए चार गांवों की जांच की गई. इसमें अकेले गेझा तिलपताबाद के 15 मामलों में करीब 100 करोड़ 16 लाख 81 हजार रुपए का अतिरिक्त मुआवजा देकर प्राधिकरण को बड़े राजस्व का नुकसान पहुंचाया गया था. अब SIT जांच कर पूरे मामले का खुलासा करेगी. कयास लगाए जा रहे हैं कि इस जांच में अधिकारियों की संलिप्तता पाए जाने के बाद उनके खिलाफ मुकदमा भी दर्ज किया जा सकता है.

नई दिल्ली/नोएडा: सेक्टर-6 स्थित प्राधिकरण कार्यालय में सोमवार को एसआईटी की टीम 10 से 15 सालों में प्राधिकरण द्वारा बांटे गए जमीन अधिग्रहण के मुआवजे की जांच करने पहुंची. एसआईटी टीम का नेतृत्व बोर्ड ऑफ रेवेनुए के अध्यक्ष और एसआईटी हेड हेमंत राव ने किया. उन्होंने प्राधिकरण में पहुंचकर बोर्ड रूम में संबंधित अधिकारियों को तलब किया और पूछताछ की.

बताया जा रहा कि यह पूछताछ और पूरी जांच लंबी चल सकती है. अभी भी एसआईटी की टीम अथॉरिटी में मौजूद है, जो तमाम दस्तावेजों को खंगाल रही है. इस जांच में कितने लोग दोषी पाए जाते हैं, यह जांच के बाद ही निश्चित होगा. फिलहाल एसआईटी की टीम सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी के बाद जांच करने पहुंची है.

दरअसल, सुप्रीम कोर्ट की नाराजगी टिप्पणी के बाद विशेष जांच दल (SIT) की टीम नोएडा प्राधिकरण पहुंची. 10-15 साल पूर्व नोएडा प्राधिकरण के तत्कालीन बड़े अधिकारी भी इस जांच के घेरे में आ सकते हैं. एसआईटी ने कार्मिक विभाग से संबंधित समय में तैनात रहे अधिकारियों की सूची मांगी है. पुराने और नए अधिकारी भी एसईटी के रडार पर हैं.

बता दें, नोएडा के गेझा तिलपताबाद गांव में पुराने भूमि अधिग्रहण पर गैरकानूनी ढंग से 100 करोड़ रुपये से अधिक मुआवजा देने के मामले में उत्तर प्रदेश सरकार ने स्पेशल इन्वेस्टीगेशन टीम का गठन किया था. वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने किसानों को अतिरिक्त मुआवजा बांटने के मामले में विधि विभाग के सिर्फ दो अधिकारियों को दोषी मानने से इनकार कर दिया और कहा कि इस मामले कई अन्य अधिकारियों की संलिप्तता है, जिसकी गहनता से जांच होनी चाहिए. इसी जांच को अब अंतिम रूप देने और अन्य की संलिप्तता को जानने के लिए एसआईटी नोएडा प्राधिकरण आई.

रेवड़ियों की तरह बांटे गए मुआवजे: रेवड़ियों की तरह बांटे गए मुआवजे के लिए चार गांवों की जांच की गई. इसमें अकेले गेझा तिलपताबाद के 15 मामलों में करीब 100 करोड़ 16 लाख 81 हजार रुपए का अतिरिक्त मुआवजा देकर प्राधिकरण को बड़े राजस्व का नुकसान पहुंचाया गया था. अब SIT जांच कर पूरे मामले का खुलासा करेगी. कयास लगाए जा रहे हैं कि इस जांच में अधिकारियों की संलिप्तता पाए जाने के बाद उनके खिलाफ मुकदमा भी दर्ज किया जा सकता है.

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