ETV Bharat / state

Sharadiya Navratri 2023: इस दिन शुरू हो रही है नवरात्रि, हाथी पर बैठकर आएगी मां दुर्गा, जानिए कलश स्थापना के शुभ मुहूर्त

Sharadiya Navratri 2023 की शुरुआत 15 अक्टूबर, आश्विन शुक्ल प्रतिपदा रविवार से हो रही है. इस वर्ष मां दुर्गा हाथी पर बैठकर आएंगी. जानिए क्या हैं कलश स्थापना के शुभ मुहूर्त...

Etv Bharat
Etv Bharat
author img

By ETV Bharat Delhi Team

Published : Oct 2, 2023, 6:03 AM IST

शिव कुमार शर्मा

नई दिल्ली/गाजियाबाद : सनातन धर्म में शारदीय नवरात्रि का विशेष महत्व है. इस वर्ष शारदीय नवरात्रि का आरंभ 15 अक्टूबर, आश्विन शुक्ल प्रतिपदा रविवार से हो रहा है. शारदीय नवरात्रि सर्वार्थ सिद्धि योग और पदम योग में आरंभ होंगे.

शशि सूर्ये गजारूढा,शनिभौम तुरंगमे।
गुरौशुक्रेदोलायां,बुधे नौका प्रकीर्तिता।।

अर्थात रविवार और सोमवार को घटस्थापना होने पर दुर्गा माता हाथी पर सवार होकर आती हैं. शनिवार और मंगलवार के दिन प्रतिपदा होने पर दुर्गा की सवारी घोड़ा होती है. गुरुवार और शुक्रवार के दिन अगर नवरात्र शुरू होते हैं तो मां दुर्गा डोली पर सवार होकर आती हैं और बुधवार के दिन मां दुर्गा नाव पर बैठकर आती हैं. रविवार को नवरात्र आरंभ होने के कारण मां भगवती हाथी पर सवार होकर आएंगी.

हाथी पर सवार होकर आने का अर्थ होता है कि धन-धान्य, फसल की प्रचुरता, वर्षा की मात्रा अच्छी होगी संपन्नता बढ़ेगी. जैसा कि शास्त्रीय प्रमाण है.

गजे च जलदा देवी,क्षत्रभंग तुरंगमे।
नौकायां सर्व सिद्धि दोलायां मरणं ध्रुवम्।

अर्थात हाथी पर सवार होने पर वर्षा की अधिकता होती है. धन-धान्य बढ़ता है. घोड़े पर सवार होने पर राजनीतिक व्यक्ति का निधन होता है. नाव पर सवार होने से वर्षा और धन-धान्य प्राप्ति होती है और झूले में बैठकर आने का मतलब अनिष्ट होता है.

कलश स्थापना के शुभ मुहूर्त

वैसे तो रविवार को चित्रा नक्षत्र शाम 6:11 बजे तक रहेगा जो सर्वार्थ सिद्धि योग और पदम योग बनाएगा. इसमें कलश स्थापना करना बहुत शुभ होगा. किंतु विशेष शुभ मुहूर्त इस प्रकार है: प्रातः काल सूर्य उदय 6:26 से 8:49 तक तुला लग्न, उसके पश्चात बजे से 8:53 बजे से 11: 11:00 बजे तक वृश्चिक लग्न और दोपहर 11: 36 बजे से 12:24 बजे तक अभिजीत महामुहूर्त में कलश स्थापना अत्यंत शुभ है.

यदि किसी कार्यवश किसी के यहां इस समय तक कलश स्थापना नहीं होती तो शाम 4:30 बजे तक स्थापना कर सकते हैं. यद्यपि 6:11 बजे तक अच्छे योग हैं. लेकिन 4:30 बजे से 6 बजे तक राहुकाल है इस समय को त्याग देना चाहिए.

  • नवरात्रि के पहले दिन माँ दुर्गा के प्रथम स्वरूप माता शैलपुत्री की पूजा-अर्चना की जाती है.
  • नवरात्रि के दूसरे दिन माता ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है.
  • नवरात्रि के तीसरे दिन माँ दुर्गा के चंद्रघंटा स्वरूप की पूजा की जाती है.
  • नवरात्रि के चौथे दिन दुर्गा मां के कुष्मांडा स्वरूप की पूजा अर्चना की जाती है.
  • नवरात्रि के पांचवे दिन मां स्कंदमाता की पूजा अर्चना की जाती है.
  • नवरात्रि के छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा अर्चना की जाती है.
  • नवरात्रि के सातवें दिन मां कालरात्रि की पूजा अर्चना की जाती है.
  • नवरात्रि के आठवे दिन स्वरूप महागौरी की पूजा अर्चना की जाती है.
  • नवरात्रि के नौंवे और आखरी दिन मां सिद्धिदात्री स्वरूपपूजा अर्चना की जाती है.

ये भी पढ़ें: October 2023 Vrat And Festival List: जीवित्पुत्रिका व्रत से लेकर नवरात्रि और दशहरा तक व्रत-त्योहारों की लिस्ट

ये भी पढ़ें: Gupt Navratri Upay 2023: कल से शुरू होगी गुप्त नवरात्रि, सिद्ध होते हैं तंत्र-मंत्र, जानें शुभ मुहूर्त

शिव कुमार शर्मा

नई दिल्ली/गाजियाबाद : सनातन धर्म में शारदीय नवरात्रि का विशेष महत्व है. इस वर्ष शारदीय नवरात्रि का आरंभ 15 अक्टूबर, आश्विन शुक्ल प्रतिपदा रविवार से हो रहा है. शारदीय नवरात्रि सर्वार्थ सिद्धि योग और पदम योग में आरंभ होंगे.

शशि सूर्ये गजारूढा,शनिभौम तुरंगमे।
गुरौशुक्रेदोलायां,बुधे नौका प्रकीर्तिता।।

अर्थात रविवार और सोमवार को घटस्थापना होने पर दुर्गा माता हाथी पर सवार होकर आती हैं. शनिवार और मंगलवार के दिन प्रतिपदा होने पर दुर्गा की सवारी घोड़ा होती है. गुरुवार और शुक्रवार के दिन अगर नवरात्र शुरू होते हैं तो मां दुर्गा डोली पर सवार होकर आती हैं और बुधवार के दिन मां दुर्गा नाव पर बैठकर आती हैं. रविवार को नवरात्र आरंभ होने के कारण मां भगवती हाथी पर सवार होकर आएंगी.

हाथी पर सवार होकर आने का अर्थ होता है कि धन-धान्य, फसल की प्रचुरता, वर्षा की मात्रा अच्छी होगी संपन्नता बढ़ेगी. जैसा कि शास्त्रीय प्रमाण है.

गजे च जलदा देवी,क्षत्रभंग तुरंगमे।
नौकायां सर्व सिद्धि दोलायां मरणं ध्रुवम्।

अर्थात हाथी पर सवार होने पर वर्षा की अधिकता होती है. धन-धान्य बढ़ता है. घोड़े पर सवार होने पर राजनीतिक व्यक्ति का निधन होता है. नाव पर सवार होने से वर्षा और धन-धान्य प्राप्ति होती है और झूले में बैठकर आने का मतलब अनिष्ट होता है.

कलश स्थापना के शुभ मुहूर्त

वैसे तो रविवार को चित्रा नक्षत्र शाम 6:11 बजे तक रहेगा जो सर्वार्थ सिद्धि योग और पदम योग बनाएगा. इसमें कलश स्थापना करना बहुत शुभ होगा. किंतु विशेष शुभ मुहूर्त इस प्रकार है: प्रातः काल सूर्य उदय 6:26 से 8:49 तक तुला लग्न, उसके पश्चात बजे से 8:53 बजे से 11: 11:00 बजे तक वृश्चिक लग्न और दोपहर 11: 36 बजे से 12:24 बजे तक अभिजीत महामुहूर्त में कलश स्थापना अत्यंत शुभ है.

यदि किसी कार्यवश किसी के यहां इस समय तक कलश स्थापना नहीं होती तो शाम 4:30 बजे तक स्थापना कर सकते हैं. यद्यपि 6:11 बजे तक अच्छे योग हैं. लेकिन 4:30 बजे से 6 बजे तक राहुकाल है इस समय को त्याग देना चाहिए.

  • नवरात्रि के पहले दिन माँ दुर्गा के प्रथम स्वरूप माता शैलपुत्री की पूजा-अर्चना की जाती है.
  • नवरात्रि के दूसरे दिन माता ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है.
  • नवरात्रि के तीसरे दिन माँ दुर्गा के चंद्रघंटा स्वरूप की पूजा की जाती है.
  • नवरात्रि के चौथे दिन दुर्गा मां के कुष्मांडा स्वरूप की पूजा अर्चना की जाती है.
  • नवरात्रि के पांचवे दिन मां स्कंदमाता की पूजा अर्चना की जाती है.
  • नवरात्रि के छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा अर्चना की जाती है.
  • नवरात्रि के सातवें दिन मां कालरात्रि की पूजा अर्चना की जाती है.
  • नवरात्रि के आठवे दिन स्वरूप महागौरी की पूजा अर्चना की जाती है.
  • नवरात्रि के नौंवे और आखरी दिन मां सिद्धिदात्री स्वरूपपूजा अर्चना की जाती है.

ये भी पढ़ें: October 2023 Vrat And Festival List: जीवित्पुत्रिका व्रत से लेकर नवरात्रि और दशहरा तक व्रत-त्योहारों की लिस्ट

ये भी पढ़ें: Gupt Navratri Upay 2023: कल से शुरू होगी गुप्त नवरात्रि, सिद्ध होते हैं तंत्र-मंत्र, जानें शुभ मुहूर्त

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.