नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को राहत देते हुए 2014 में उनके खिलाफ दर्ज एक मुक़दमे की कार्यवाही पर रोक लगा दी है. दरअसल 2014 में केजरीवाल ने उत्तर प्रदेश में चुनाव के दौरान कहा था कि "खुदा में विश्वास रखने वाले अगर बीजेपी को वोट देते हैं तो खुदा उन्हें माफ़ नहीं करेगा."
जस्टिस केएम जोसेफ और बीवी नागरत्ना की पीठ ने मुकदमे की कार्यवाही पर रोक लगा दी और केजरीवाल की याचिका पर नोटिस भी जारी किया. इस मामले की सुनवाई पांच सप्ताह बाद होगी. केजरीवाल ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया, जिसने उनकी याचिका खारिज कर दी थी. इससे पहले सुल्तानपुर कोर्ट ने भी उनकी डिस्चार्ज अर्जी खारिज कर दी थी.
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने केजरीवाल की याचिका खारिज करते हुए कहा था, "ऐसा प्रतीत होता है कि केजरीवाल 'खुदा' के नाम पर मतदाताओं को धमका रहे हैं, यह अच्छी तरह से जानते हुए भी कि अगर वह 'खुदा' शब्द का इस्तेमाल करते हैं, तो विभिन्न धर्मों के मतदाताओं के कुछ समूह गंभीर रूप से प्रभावित हो सकते हैं. मामले की सुनवाई के दौरान पीठ ने केजरीवाल के बयान पर असहमति जताई और कहा, ''आप भगवान को क्यों ला रहे हैं? एक धर्मनिरपेक्ष देश में भगवान को अकेला छोड़ दें. भगवान को किसी की सुरक्षा की जरूरत नहीं है, वह अपनी देखभाल स्वयं कर सकते हैं.
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इस मामले में अरविंद केजरीवाल की वकील ने सफाई देते हुए कहा कि चुनाव प्रचार के दौरान कभी कभी नेताओं के मुँह से अनजाने में कुछ ऐसे शब्द निकल जाते हैं. केजरीवाल के इस भाषण के बाद कानून-व्यवस्था या सांप्रदायिक सौहार्द बिगड़ने का कोई आरोप नहीं है. वकील ने आगे केजरीवाल की तरफ से कहा कि "न्यायालय कार्यवाही पर रोक लगा सकता है, अब मैं मुख्यमंत्री हूं तो हर बार मुझे उत्तर प्रदेश बुलाया जाएगा, केस में वहां से मुक्ति नहीं मिली है. पूरा मकसद मुझे बुलाना और गिरफ्तार करना है. तब तक अदालत पास की एक तारीख दे सकती है, इस बीच माननीय अदालत कार्यवाही पर रोक लगा सकती है.''
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