नई दिल्ली: साउथ MCD में वार्ड के मुताबिक सफाई कर्मचारियों की असमानता पर पार्षद भड़क गए, सदन में गहमागहमी का माहौल बन गया. हो हल्ले के बीच ये तय किया गया कि यार्डस्टिक सर्वे एक बार फिर कराया जाएगा.
दक्षिणी दिल्ली नगर निगम में सदन की कार्यवाही में खूब हंगामा देखने को मिला. यहां सफाई कर्मचारियों के असमान बंटवारे पर पार्षद भड़क गए. देखते ही देखते सदन में हंगामा हो गया. एक सवाल के जरिए निगम आयुक्त पुनीत कुमार गोयल से पूछा गया था कि हर वार्ड में कितने सफाई कर्मचारी काम कर रहे हैं. इसके जवाब में जब पार्षदों ने इसमें असमानता देखी तो सदन में इस बात को लेकर बहस छिड़ गई कि जहां कर्मचारियों की जरूरत है वहां कमी है और जहां जरूरत नहीं है वहां ये ज्यादा है.
बीजेपी पार्षद इस पर अधिकारियों का जवाब लेने के लिए अड़ गए जिस पर खूब हंगामा हुआ. हालांकि बाद में ये तय किया गया कि यार्डस्टिक सर्वे एक बार फिर कराया जाएगा और उसी हिसाब से कर्मचारियों का विभाजन भी होगा.
बता दें यार्डस्टिक सर्वे के जरिए हर वार्ड में इलाके के क्षेत्रफल के हिसाब से समानुपातिक कर्मचारी दिए जाएंगे. इससे पहले साल 2017 में ये सर्वे कराया गया था जिसके बाद कर्मचारियों को बांटा गया.
संबंधित अधिकारी ने सदन की बैठक के दौरान ही जवाब दिया और कहा कि इससे पहले साल 2015 और 2017 में निगम की ओर से सर्वे कराया जा चुका है. हालांकि ये लागू नहीं हुआ. अभी अगर यार्डस्टिक के हिसाब से विभाजन किया जाएगा तो सर्वे दोबारा कराया जाएगा जिसमें थोड़ा समय लगेगा. इसके लिए जून तक का समय भी लिया गया है.
बता दें कि मौजूदा साउथ एमसीडी के अधीन आने वाले नजफगढ़ जोन में सफाई कर्मचारियों की कुल संख्या 5332, वेस्ट जोन में 3406, साउथ जोन में 5065 जबकि सेंट्रल जोन में 5378 है. किसी किसी वार्ड में कुल कर्मचारियों की संख्या बहुत कम है, जबकि कहीं-कहीं से 800 तक पहुंच रही है. इसमें पार्षदों ने आरोप लगाया कि सफाई कर्मचारियों का फायदा भी चुनिंदा नेताओं को ही मिल रहा है.