नई दिल्ली: दिल्ली विद्युत विनियामक आयोग (डीईआरसी) के चेयरमैन उमेश कुमार की नियुक्ति की अधिसूचना जारी होने के बाद भी वह शपथ ग्रहण नहीं कर पाए हैं. दिल्ली सरकार के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार सोमवार यानी आज शाम 6 बजे शपथ ग्रहण के लिए तय हुआ था, लेकिन फिर इसे गुरुवार तक के लिए स्थगित कर दिया गया.
दिल्ली सरकार की ऊर्जा मंत्री आतिशी ने पिछले सप्ताह नवनियुक्त चेयरमैन उमेश कुमार को शपथ लेने के लिए पत्र लिखा था और अनुरोध किया था कि वे इस सप्ताह सुविधानुसार शपथ के लिए दिन और समय बताएं. ऊर्जा मंत्री द्वारा लिखे गए पत्र के जवाब में उमेश कुमार ने 3 और 4 जुलाई को शपथ के लिए दिल्ली में उपस्थित होने की जानकारी साझा की थी, लेकिन अब गुरुवार तक के लिए शपथ ग्रहण समारोह को टाल दिया गया है.
शपथ को लेकर बनी भ्रम की स्थितिः डीईआरसी चेयरमैन की नियुक्ति के लिए राष्ट्रपति ने पिछले दिनों अधिसूचना जारी की थी. उसके बाद उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखा था और कहा था कि डीईआरसी चेयरमैन को पद की शपथ दिलाने में अनावश्यक देरी की जा रही है. जानकारी के अनुसार उपराज्यपाल के पत्र पर मुख्यमंत्री ने उसी दिन ऊर्जा मंत्री को शपथ समारोह आयोजित करने के लिए कहा था. इसके बाद भी कई दिनों तक भ्रम की स्थिति बनी रही. इसके बाद ऊर्जा मंत्री ने विभाग के अधिकारियों को जिम्मेदार ठहराया और उनसे कहा कि विभाग के अधिकारियों ने ही नवनियुक्त चेयरमैन को पत्र लिखा था और कहा था कि 29 जून के बाद वह (आतिशी) दिल्ली में मौजूद नहीं रहेंगी. आतिशी के अनुसार अगर विभाग के अधिकारी उनकी मौजूदगी की जानकारी पूछ लेते तो ऐसी नौबत नहीं आती.
दिल्ली विद्युत विनियामक आयोग (डीईआरसी) के चेयरमैन जैसे संवैधानिक पद पर विधि सम्मत तरीके से नियुक्ति होने के बाद भी चेयरमैन को शपथ न दिलाना गैर कानूनी है. यह दिल्ली सरकार की मंशा पर भी सवाल खड़े करता है.
-एपी सिंह, सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता
उपराज्यपाल भी जता चुके हैं नाराजगीः दिल्ली विद्युत विनियामक आयोग के चेयरमैन पद पर इलाहाबाद हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश उमेश कुमार की नियुक्ति की अधिसूचना जारी हुए 10 दिन से अधिक हो गए हैं. इस मामले में उनके शपथ ग्रहण मामले में हो रही देरी को लेकर उपराज्यपाल पहले ही नाराजगी जता चुके हैं.
आयोग में चेयरमैन सहित होते हैं तीन सदस्यः दिल्ली विद्युत अधिनियम 2003 के तहत आयोग के चेयरमैन और सदस्य 5 साल की अवधि के लिए या 65 वर्ष की आयु तक, जो भी पहले हो, तब तक पद पर रह सकते हैं. आयोग में चेयरमैन सहित तीन सदस्य होते हैं. अब नए चेयरमैन की नियुक्ति के बाद वर्ष 2023-24 के लिए बिजली की दरों की घोषणा होने की संभावना जताई जा रही है. अमूमन अप्रैल में नई दरें घोषित हो जाती हैं. मार्च में इसकी प्रक्रिया शुरू हो जाती है, लेकिन आयोग के अध्यक्ष की नियुक्ति में देरी से यह टल गया था. बिजली वितरण कंपनियां घाटे का हवाला देकर बिजली दरें बढ़ाने की मांग कर रही है.