नई दिल्ली: राजधानी के सरकारी अस्पतालों में कोरोना मरीजों के लिए काफी अच्छी सुविधा है, लेकिन इसके बाद भी लोगों का भरोसा निजी अस्पतालों पर ही ज्यादा दिखाई दे रहा है. एक तरफ जहां सरकारी अस्पतालों में मरीजों की संख्या कम हो रही है. वहीं दिल्ली के निजी क्षेत्र के 10 बड़े अस्पतालों में कोरोना के लिए आरक्षित सभी वेंटिलेटर भरे हुए हैं.
27 प्रतिशत वेंटिलेटर हैं फुल
दिल्ली में कोरोना के मामले कम होने के बाद एक बार फिर से बढ़ने लगे हैं. राजधानी में अब एक्टिव केसों की संख्या बढ़कर एक बार फिर 11 हजार को पार कर गई है, लेकिन इसके बाद भी सरकारी अस्पतालों में मरीजों की संख्या कम ही है.
अगर बात वेंटिलेटर की करें तो दिल्ली के सभी अस्पतालों में कोरोना के लिए जितने वेंटिलेटर आरक्षित किए गए थे. उनमें से केवल 27 प्रतिशत ही भरे हैं. जबकि 63 प्रतिशत वेंटिलेटर अभी भी खाली हैं. खास बात ये है कि जहां वेंटिलेटर खाली हैं वो ज्यादातर सरकारी या निजी क्षेत्र के छोटे अस्पताल हैं.
दो हप्तों में बढे मरीज
दिल्ली सरकार की 'दिल्ली फाइट्स कोरोना' वेबसाइट के मुताबिक जो 27 प्रतिशत वेंटिलेटर भरे हुए हैं. उसमें 5 से 7 प्रतिशत बेड बीते दो हफ्ते में भरे हैं. यानी की 5 अगस्त से जब दोबारा कोरोना वायरस के केस बढ़ने शुरू हुए, तो कोविड वार्ड और वेंटिलेटर में भी इनकी संख्या बढ़ने लगी. अगर दिल्ली के 10 बड़े प्राइवेट अस्पतालों की बात करें तो यहां कोविड मरीजों के लिए कुल 91 वेंटिलेटर हैं. इनमें से अब एक भी बेड खाली नहीं है.
अस्पताल | वेंटिलेटर | बेड खाली |
मूलचंद अस्पताल | 2 | 0 |
आकाश हेल्थकेयर | 5 | 0 |
फोर्टिस,सुखदेव विहार | 5 | 0 |
वेंकेटेश्वर अस्पताल | 7 | 0 |
श्रीबालाजी एक्शन अस्पताल | 4 | 0 |
बीएल कपूर अस्पताल | 7 | 0 |
मैक्स पटपड़गंज | 10 | 0 |
फोर्टिस वसंतकुंज | 7 | 0 |
मैक्स स्मार्ट, साकेत | 32 | 0 |
इंद्रप्रस्थ अपोलो | 12 | 0 |