नई दिल्ली: गोवर्धन पूजा पर दिल्ली में बुंदेलखंडी मोनिया नाच देखने को मिला. बुंदेलखंड की महिलाएं कार्तिक महीने में एक महीने तक कथकारन व्रत रखती है. यह पूजा भगवान श्री कृष्ण की होती है. गोवर्धन पूजा वाले दिन बुंदेलखंड में इस तरह का बुंदेलखंडी मोनिया नाच देखने को मिलता है. जिसमें ढोल और झाल बजाकर, हाथ में मोर का पंख लिए हुए पारंपरिक तरीके से लोग नाच करते हैं.
वहीं, युवक इस त्योहार के मौके पर लाठी लेकर पारंपरिक खेल करते हैं. यह बुंदेलखंड का बेहद लोकप्रिय त्योहार है. इसको मनाने का तरीका भी बेहद अनोखा है. क्षेत्र के युवाओं की टोली मोनिया नाच करते हुए पूरे इलाके में घूमते हैं. जहां भी भगवान गोवर्धन की पूजा होती है वहां पर जाकर ये लोग नाच करते हैं. एक दूसरे से मिलते जुलते हैं.
दिल्ली में कई जगह बुंदेलखंड के लोग रहते हैं, जो इस त्योहार को बेहद पारंपरिक तरीके से मनाते हैं. यह तस्वीर आरके पुरम इलाके का है, जहां पर बुंदेलखंड के रहने वाले लोगों ने इस त्योहार को मनाया. आमतौर पर झुग्गी वाले वाले इलाके में बुंदेलखंड के लोग काफी ज्यादा है, लिहाजा युवाओं की टोली आरके पुरम के कई झुग्गियों में घूमती रही.
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युवाओं ने बताया कि यह उनके यहां का पारंपरिक त्योहार है और दिल्ली में यह त्योहार मनाकर उन्हें ऐसा लगता है कि वह दिल्ली में नहीं बुंदेलखंड में है. युवाओं की टोली दोपहर से निकली थी और देर रात तक ये अपने लोगों के बीच में घूम-घूम कर त्योहार मनाएंगे. इस त्योहार में महिलाएं एक महीने तक एक अन्न खाकर इस व्रत को रखती हैं. ये व्रत कार्तिक मास तक चलता है और दिवाली के अगले दिन यानी गोवर्धन पूजा के दिन इसे उत्सव के रूप में मनाया जाता है. इसमें सुबह से लेकर देर रात तक मोनिया नाच एवं डढ़ा यानी एक तरह से डांडिया नाच और खेल करते हैं.
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