नई दिल्ली: दिल्ली सरकार ने स्कूलों को खोलने की अनुमति दे दी है. इसी के तहत 1 सितंबर से 9वीं से 12वीं और 8 सितंबर से छठी से आठवीं तक के छात्रों के लिए स्कूल खुलने जा रहे हैं. इस दौरान स्कूल खोलने को लेकर अभिभावकों की मिली जुली प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है. कुछ अभिभावक बच्चे को स्कूल भेजने के पक्ष में नजर आ रहे हैं तो कुछ अभिभावकों का कहना है कि सरकार स्कूल खोलने में जल्दबाजी कर रही है पहले बच्चों की वैक्सीनशन का व्यवस्था करना चाहिए था.
अभिभावक पूनम ने कहा कि वह अपने बच्चे को स्कूल भेजने के पक्ष में हैं. उन्होंने कहा कि बच्चे घर में करीब डेढ़ साल से बंद हैं. उनकी पढ़ाई सुचारू रूप से नहीं हो पा रही है. ऑनलाइन पढ़ाई क्लास रूम का विकल्प नहीं हो सकता है. वहीं अभिभावक मनीष ने कहा कि वह अपने बच्चे को स्कूल भेजने के पक्ष में नहीं है. उन्होंने कहा कि कोविड-19 बीमारी बहुत ही खतरनाक है. साथ ही कहा कि हमें यह लग रहा है कि बच्चे घर में बैठे हैं, उनके लाइफस्टाइल में परिवर्तन आ गया है, वह परेशान है लेकिन स्कूल भेजकर उनकी सुरक्षा के साथ खिलवाड़ नहीं कर सकते हैं.
वहीं एक अन्य अभिभावक मनीष ने कहा कि कोविड-19 के मामलों को देखते हुए अभी बच्चे को स्कूल भेजने के पक्ष में नहीं है. उन्होंने कहा कि जब तक के बच्चों के लिए वैक्सीन नहीं आती है बच्चे को स्कूल भेजने के बारे में नहीं सोच सकते हैं.वहीं अभिभावक राशिद ने कहा कि वह स्कूल खोलने का सरकार के फैसले का शर्त के साथ स्वागत करते हैं. उन्होंने कहा कि सरकार ने स्कूल खोलने का फैसला कर लिया है लेकिन अब बच्चों की सुरक्षा का भी ख्याल रखना जरूरी है. इसके लिए सरकार को उचित प्रबंध करने की भी आवश्यकता है.
इसके अलावा एक अन्य अभिभावक दीपक ने कहा वह स्कूल खुलने के शुरू से पक्ष में है लेकिन जिस तरह से स्कूलों की ओर से अनुमति पत्र मांगा जा रहा है क्या स्कूल भी अभिभावकों को कंसेंट लेटर देगा कि बच्चे को अगर कुछ हो जाएगा तो उसकी जिम्मेदारी कौन लेगा.
बता दें कि मार्च 2020 से लॉकडाउन के बाद दिल्ली सहित देशभर में स्कूल बंद हो गए थे. वहीं 10 महीने बाद 18 जनवरी को फिर से दिल्ली में दोबारा स्कूल खोले गए थे लेकिन एक बार फिर मार्च में कोरोना संक्रमण बढ़ने के बाद स्कूलों को बंद कर दिया गया था. वहीं जुलाई माह में दिल्ली के शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने स्कूलों को खोले जाने को लेकर अभिभावकों, शिक्षकों, छात्रों और स्कूल के प्रिंसिपल से सुझाव मांगा था. वहीं दिल्ली में 9 अगस्त से एडमिशन, प्रैक्टिकल और काउंसलिंग सहित अन्य कार्यों के लिए 10वीं और 12वीं के छात्रों को स्कूल आने की अनुमति दी गई थी.