नई दिल्ली: दिल्ली में बजट सत्र का आगाज सोमवार से हो जाएगा. दिल्लीवासियों की निगाहें डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया के सूटकेस पर टिकी हुई हैं. बजट के प्रावधानों का असर प्रदेशवासियों पर पड़ता ही है. लेकिन कई लोग बजट से संबंधित टर्मिनोलॉजी नहीं समझ पाते हैं. इन शब्दों को समझने के लिए ईटीवी भारत एक स्पेशल रिपोर्ट लेकर आया है.
जब देश का वित्त मंत्री बजट पेश करने वाला होता है, तो हर भारतीय की नजर उस पर टिकी रहती है. ठीक उसी तरह नौ मार्च के दिन डिप्टी सीएम और दिल्ली के वित्त मंत्री मनीष सिसोदिया पर दिल्लीवासियों की निगाहें टिकी रहेंगी. बजट से जुड़े शब्दों को समझने के लिए ईटीवी भारत एकदम सरल भाषा में लेकर आया है बजट की ABCD. जिसे जानने के बाद बजट की शब्दावली जटिल नहीं रह जाएगी.
बजट के प्रकार: बजट तीन प्रकार के होते हैं.
बैलेंस बजट: सरकार की कमाई और खर्च बराबर
सरप्लस बजट: सरकार की कमाई खर्च से ज्यादा
डेफिसिट बजट: सरकार की कमाई खर्च से कम
क्या होती है महंगाई दर
जब किसी देश में वस्तुओं या सेवाओं की कीमतें सामान्य से अधिक हो जाती हैं तो इस स्थिति को महंगाई कहते हैं. एक निश्चित अवधि में चुनिंदा वस्तुओं या सेवाओं के मूल्य में जो वृद्धि या गिरावट आती है, उसे मुद्रास्फीति कहते हैं. इसे जब प्रतिशत में व्यक्त करते हैं तो यह महंगाई दर कहलाती है.
जीडीपी का मतलब जानिए
ग्रॉस डोमेस्टिक प्रोडक्ट (जीडीपी) किसी भी देश की आर्थिक सेहत को मापने का पैमाना है. जीडीपी का आंकड़ा अर्थव्यवस्था के प्रमुख उत्पादन क्षेत्रों में उत्पादन की वृद्धि दर पर आधारित होता है.
बजट में होता है जीडीपी जिक्र
जीडीपी को सकल घरेलू उत्पाद कहते हैं. भारतीय जीडीपी में सबसे ज्यादा योगदान सर्विस सेक्टर का है. एक वित्तीय वर्ष में उपभोक्ता, व्यापार, सरकार के खर्च को जोड़ने पर जीडीपी निकलती हैकितने मूल्य की गुड्स और सर्विस को पैदा करना भी जीडीपी कहा जाता है.
डायरेक्ट और इन-डायरेक्ट टैक्स
डायरेक्ट टैक्स: किसी व्यक्ति और संस्थान की आय पर लगने वाला टैक्स डायरेक्ट टैक्स होता है.इसमें इनकम, कॉर्पोरेट और इनहेरिटेंस टैक्स शामिल हैं.
इन-डायरेक्ट टैक्स: गुड्स और सर्विस पर लगने वाले टैक्स इन-डायरेक्ट टैक्स होता है.इसमें कस्टम ड्यूटी (सीमा शुल्क), एक्साइज ड्यूटी (उत्पाद शुल्क), जीएसटी शामिल हैं.
जानें क्या है मौद्रिक नीति
डॉ. अनिल कुमार ने मौद्रिक नीति के बारे में बताया कि मौद्रिक नीति को मॉनेटरी पॉलिसी भी कहा जाता है. इसमें रिजर्व बैंक अर्थव्यवस्था में रुपए की आपूर्ति को कंट्रोल करता है जिससे महंगाई पर रोक लगती है. साथ ही कहा कि इससे आर्थिक विकास दर के लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है.
आइए जानें क्या होता है फाइनेंस बिल
डॉ. अनिल कुमार ने एक और बहुत महत्वपूर्ण शब्द बताया जिसे वित्त विधेयक या फाइनेंस बिल कहा जाता है. उन्होंने बताया कि जो वित्तीय मामले राजस्व या व्यय से संबंधित होते हैं उसे वित्त विधेयक कहा जाता है. साथ ही उन्होंने कहा कि वित्त विधेयक में सरकार की आय के तमाम स्रोतों का जिक्र होता है. साथ ही इसमें आगामी वित्तीय वर्ष में किसी नए प्रकार के कर लगाने या कर में संशोधन आदि से संबंधित विषय शामिल होते हैं. आम बजट पेश करने के तुरंत बाद इस बिल को पास किया जाता है. उसे वित्त विधेयक (फाइनेंस बिल) कहा जाता है. वित्त विधेयक में सरकार की आय के तमाम स्रोतों को जिक्र होता हैवित्त विधेयक लागू करना सबसे अहम कदम होता है.
क्या है नॉन टैक्स रेवेन्यू?
इसके बाद डॉ. कुमार ने नॉन टैक्स रेवेन्यू के बारे में विस्तार से बताया. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार के लिए नॉन टैक्स रेवेन्यू जुटाने का एक अच्छा जरिया है. साथ ही कहा कि पिछले दो दशकों में इसमें विनिवेश भी बढ़ा है. वहीं उन्होंने बताया कि सरकारी विनिवेश का मतलब है कि पब्लिक सेक्टर एंटरप्राइजेज में सरकारी हिस्सेदारी बेचने की प्रक्रिया. वहीं डॉ. अनिल कुमार ने बताया कि टैक्स और नॉन टैक्स रेवेन्यू से हुई कमाई का इस्तेमाल सरकार अपने खर्चों पर करती है. यह खर्च प्रशासनिक काम के अलावा सब्सिडी और विकास योजनाओं पर किया जाता है. वहीं अगर सरकारी खर्च उसके राजस्व से ज्यादा होता है तो फिर उसकी भरपाई के लिए सरकार को उधार लेना पड़ता है.