नई दिल्ली: राजधानी की सत्ता पर काबिज आम आदमी पार्टी सरकार का शुरू से दावा रहा है कि उन्होंने शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में क्रांति ला दी है. आजादी के बाद इन दोनों क्षेत्रों में केजरीवाल सरकार ने जितना काम किया उतना किसी अन्य सरकार ने नहीं किया, लेकिन आरटीआई का हवाला देते हुए BJP ने केजरीवाल सरकार पर गंभीर आरोप लगाया है.
'अधिकांश फंड खर्च नहीं कर पाई सरकार'
भाजपा का कहना है कि केजरीवाल सरकार प्रत्येक वित्तीय वर्ष में शिक्षा मद में सर्वाधिक फंड आवंटित करती रही, मगर अधिकांश फंड वो खर्च नहीं कर पाए. जिसे उन्होंने सार्वजनिक तक नहीं किया.
उन्होंने पूछा यह कौन सी शिक्षा व्यवस्था है? क्या जो बच्चे एमसीडी के स्कूल में पढ़ रहे हैं वह दिल्ली के नहीं है? निगम स्कूल में पांचवी तक पढ़ाई करने के बाद ही कोई छात्र दिल्ली सरकार के स्कूल में जाता है? उसकी नींव ही कमजोर होगी तो आगे भविष्य क्या होगा?
'आवंटित फंड लैप्स हो गया'
भाजपा ने वर्ष 2016-17 के आंकड़ों का जिक्र कर कहा कि दिल्ली सरकार ने इस वर्ष में 3500 करोड़ रुपये शिक्षा बजट के लिए आवंटित किए. जिसे बाद में 3104 करोड़ रुपए कर दिया. जोकि लगभग 400 करोड़ कम होता है. इसके बाद भी उसी वित्त वर्ष में सिर्फ 2666 करोड़ खर्च किए. बाकी आवंटित फंड लैप्स हो गया. इसी तरह वर्ष 2017-2018 में शिक्षा के मद में सरकार ने 2127 करोड़ रुपये आवंटित किए. जिसे 1965 करोड़ रुपये का रिवाइज किया गया. खर्च किए 1677 करोड़ रुपये. बाकी भी लैप्स हो गया. मगर एमसीडी को फंड नहीं दिया गया.
भाजपा ने लगाया भ्रष्टाचार का आरोप
वर्तमान में चुनावी वर्ष में भी सरकार ने शिक्षा का बजट 4696 करोड़ आवंटित किया. जिसमें से इस्तेमाल में केवल 1803 करोड़ रुपये हुए. इन आंकड़ों से पता लगता है कि सरकार बजट में दिखाने और वाहवाही लूटने के लिए बढ़-चढ़कर फंड का आवंटन कर देती है. लेकिन शिक्षा क्षेत्र में भी सुधार के लिए कोई विजन नहीं होने से आवंटित का खर्च नहीं कर पाती.
केजरीवाल सरकार पर मौखिक रूप से प्रोजेक्ट की राशि को बढ़ाकर भ्रष्टाचार करने का भी भाजपा ने आरोप लगाया है. बता दें कि पिछले कुछ दिनों से भाजपा दिल्ली सरकार की शिक्षा नीति पोल खोलने में जुटी हुई है. प्रदेश भाजपा अध्यक्ष मनोज तिवारी ने पिछले महीने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर दिल्ली सरकार द्वारा स्कूल में 1 कमरे के निर्माण पर 25 करोड़ खर्च करने का आरोप लगाया और इस मद में अभी तक 2000 करोड़ रुपये के घोटाले होने की बात कही है. जिसका सरकार की तरफ से कोई जवाब नहीं आया है.