नई दिल्ली: दिल्ली एनसीआर में प्रदूषण की समस्या लगातार बढ़ती जा रही है, जिसे देखते हुए 17 नवंबर को वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) ने ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान के चौथे चरण को लागू कर दिया. इस चरण के अंतर्गत डीजल बीएस-4 और पेट्रोल बीएस-3 वाहनों के संचालन पर प्रतिबंध लगा दिया गया है. फिर भी यूपीएसआरटीसी नियमों का पालन नहीं कर रहा है.
दिल्ली सरकार की सख्त कार्रवाई: दिल्ली सरकार ने प्रदूषण कम करने के लिए सख्ती बरतने का निर्णय लिया है. दिल्ली पुलिस और ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट ने पूरे शहर में 500 से अधिक जांच टीमों का गठन किया है, ताकि प्रतिबंधित वाहनों के खिलाफ कार्रवाई की जा सके. इससे यह सुनिश्चित किया जा सकेगा कि बीएस-3 और बीएस-4 वाहनों का संचालन ना हो.
बीएस-3 और बीएस-4 बसों का संचालन जारी: दिल्ली सरकार की सख्ती के बाद उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम (यूपीएसआरटीसी) ने दिल्ली के प्रमुख इंटरस्टेट बस टर्मिनल (आईएसबीटी) जैसे कश्मीरी गेट, आनंद विहार और सराय काले खां पर डीजल के बीएस-3 और बीएस-4 बसों को भेजना बंद कर दिया है, लेकिन फिर भी यूपीएसआरटीसी नियमों का पालन नहीं कर रहा है. आनंद विहार आईएसबीटी के पास गाजियाबाद सीमा में कौशांबी डिपो से बड़ी संख्या में बीएस-3 और बीएस-4 बसों का संचालन जारी है.
कौशांबी डिपो का प्रभाव: कौशांबी डिपो से रोजाना लगभग 750 बसें चलती हैं, जिनमें से 80 प्रतिशत, यानी करीब 600 बसें बीएस-3 और बीएस-4 हैं. ये वाहनों की श्रेणी प्रदूषण का एक प्रमुख कारण बनी हुई है. सीएक्यूएम ने स्पष्ट कर दिया है कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का उल्लंघन बेहद गंभीर है और प्रदूषण की रोकथाम के लिए लागू किए गए ग्रैप-4 को हटाने की संभावना नहीं है.
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प्रदूषण का बढ़ता स्तर: दिल्ली का एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) हाल ही में 500 तक पहुंच गया था, जो कि सबसे उच्चतम मानकों में से एक है. इस स्थिति को देखते हुए दिल्ली सरकार मजबूती से आगे बढ़ रही है. प्रदूषण की समस्या केवल दिल्ली तक सीमित नहीं है, बल्कि यह पूरे एनसीआर में फैली हुई है. विभिन्न रिपोर्टों के अनुसार, बढ़ते प्रदूषण के स्तर स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव डाल रहे हैं, जिसमें श्वसन रोग और अन्य संबंद्ध समस्याएं शामिल हैं.
प्रदूषण का सबसे बड़ा हॉटस्पॉट: आनंद विहार आईएसबीटी के सामने कौशांबी इलाका है, यहां पर दर्जनों हाईराइज सोसाइटियां हैं. इस मुद्दे पर कौशांबी अपार्टमेंट रेजिडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन (कारवा) ने राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) में एक याचिका दायर की थी, कारवा के पूर्व अध्यक्ष, वीके मित्तल, ने बताया कि आनंद विहार और कौशांबी क्षेत्र में प्रदूषण के नियंत्रण के लिए एनजीटी ने कई आदेश जारी किए थे. उनके अनुसार, दिल्ली और उत्तर प्रदेश सरकार ने इन आदेशों का पालन नहीं किया, जिससे कारवा को सुप्रीम कोर्ट का सहारा लेना पड़ा.
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सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि आनंद विहार और कौशांबी में प्रदूषण की रोकथाम के लिए एक संपूर्ण एनवायरनमेंटल एंड ट्रैफिक मैनेजमेंट प्लान तैयार किया जाए. इसके साथ ही, सुप्रीम कोर्ट ने यूपीएसआरटीसी को कौंशांबी डिपो से केवल सीएनजी बसें चलाने के लिए भी निर्देशित किया. वीके मित्तल ने आरोप लगाया कि सुप्रीम कोर्ट के इन आदेशों की अनदेखी की जा रही है और प्रभावी कदम नहीं उठाए जा रहे हैं. ऐसे समय में जब प्रदूषण की समस्या जटिल होती जा रही है.
प्रदूषण का सबसे बड़ा हॉटस्पॉट है आनंद विहारः दिल्ली का आनंद विहार इलाका प्रदूषण के लिहाज से सबसे बड़ा हॉटस्पॉट माना जाता है. क्योंकि यहां सबसे अधिक प्रदूषण रहता है. इसके पीछे कई कारण हैं, जैसे- आनंद विहार में दो बस अड्डा और बड़ी संख्या में निजी बसों का संचालन, ट्रैफिक जाम, टूटी सड़कें, इंडस्ट्रियल एरिया, गाजीपुर का डंपिंग ग्राउंड, आरआरटीएस का काम, नालों से निकलने वाली गैसें आदि हैं. आनंद विहार के प्रदूषण के कारण आसपास के रिहायशी इलाकों के लोग परेशान रहते हैं.
"दिल्ली में आल इंडिया टूरिस्ट परमिट की बीएस-4 व बीएस-3 बसों को भी प्रवेश मिल रहा है. अभी यूपीएसआरटीसी के पास प्रयाप्त बीएस-6 की बसें नहीं हैं. ऐसे में मजबूरी में बीएस-4 व इससे नीचे की डीजल बसों को कौशांबी डिपो से चलाना पड़ रहा है. ऐसा न करने पर यात्रियों को परेशानी होने लगती है. नई बसें जल्द ही आने की उम्मीद है. नई बसें आते ही पुरानी बसों को हटा दिया जाएगा. इसके बाद समस्या का समाधान हो जाएगा. बीएस-3 व बीएस-4 बसों को चलाने की अनुमति के लिए यूपीएसआरटीसी के मुख्यालय स्तर से सीएक्यूएम को पत्र भी लिखा गया है." - केसरी नंदन, क्षेत्रीय अधिकारी, यूपीएसआरटीसी
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