नई दिल्ली: दिल्ली में सड़क हादसे की कमी लाने के लिए मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की अध्यक्षता में मंगलवार को अहम बैठक हुई. इसमें सड़क सुरक्षा से संबंधित नियमों का कड़ाई से पालन कराने पर सहमति बनी. बैठक में बस लेन में बसों का अनिवार्य रूप से परिचालन, फरिश्ते स्कीम के प्रभाव का विश्लेषण किया गया. 100 स्कूलों पर सेफ्टी जोन का विकास और ट्रैफिक नियमों का कड़ाई से पालन कराने का निर्णय लिया गया.
दिल्ली की तमाम सड़कों पर गति सीमा निर्धारित की गई है. उसकी समीक्षा करने के भी निर्देश दिए गए. साथ ही ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन करने पर निर्धारित कंपाउंडिंग फीस का 50 फीसदी सड़क सुरक्षा कोष में लगाने के निर्देश दिए गए हैं.
बैठक में दिल्ली सरकार के परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत समेत संबंधित विभागों के तमाम अधिकारी मौजूद थे. समीक्षा बैठक के दौरान मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि विभिन्न प्रोजेक्ट और प्रस्तावों का फायदा तभी मिलेगा, जब सड़क हादसे कम होंगे. इसके लिए सड़क सुरक्षा लीड एजेंसी की स्थापना, सड़क सुरक्षा कोष, सड़क दुर्घटनाओं और मौतों में कमी का वार्षिक लक्ष्य, ब्लैक स्पॉट की पहचान समेत अन्य बिंदु शामिल है. बैठक में दिल्ली सरकार द्वारा सड़क सुरक्षा को लेकर उठाए गए कदमों की भी समीक्षा की गई. इसमें परिवहन विभाग के प्रवर्तन शाखा द्वारा बस लेन की पहल, स्कूलों में सड़क सुरक्षा क्लबों की स्थापना आदि शामिल है.
हाईवे पर होती हैं 47 फीसदी दुर्घटनाएं: एक प्रेजेंटेशन के जरिए मुख्यमंत्री को अवगत कराया गया कि राष्ट्रीय और राज्य की सड़कों पर 47 फीसद दुर्घटनाएं होती हैं. जबकि यह सड़क नेटवर्क शहर की सड़कों का मात्र 10 फीसदी है. आंकड़ों के अनुसार, दुर्घटना के पीछे ओवरस्पीडिंग प्रमुख कारण है. वाहन चालक चौड़ी सड़कों पर तेज गति से वाहन चलाते हैं. स्कूल, मेट्रो स्टेशन और व्यवसायिक एरिया में इस तरह की दुर्घटनाएं अधिक होती हैं. यहां पैदल यात्री सड़कों से अधिक गुजरते हैं.
दुर्घटओं को स्टडी करने के लिए किया गया अध्ययन: हाल में दिल्ली सरकार ने सड़क सुरक्षा प्रैक्टिसेज का अध्ययन करने के लिए जॉन हापकिंस विश्वविद्यालय की इंटरनेशनल इंजरी प्रीवेंशन यूनिट और केंद्रीय सड़क अनुसंधान संस्थान के साथ मिलकर एक अध्ययन किया था. इसके तहत 225 ऑब्जर्वेशन सेशन और 15 स्थानों पर ऑब्जरवेशन स्टडी की गई. इस स्टडी में दोपहिया वाहनों के लिए हेलमेट पहनने, चार पहिया वाहनों के लिए सीट बेल्ट लगाने और तेज गति से चलने वाले वाहनों के आंकड़ों को देखा गया.
स्टडी के अनुसार, 87 फीसदी मोटरसाइकिल चालकों को हेलमेट पहने देखा गया. वहीं चार पहिया वाहन चालकों में से 65 फीसदी सीट बेल्ट का उपयोग किया था. स्टडी में 98,294 वाहनों को शामिल किया गया और यह पाया गया कि सभी वाहनों की औसत गति 44 किलोमीटर प्रति घंटा है.
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इस दौरान विभाग ने 15 चौराहों पर रोड इंप्रूवमेंट प्रोजेक्ट, सड़क सुधार परियोजनाओं को लेकर प्रोग्रेस रिपोर्ट प्रस्तुत की. परिवहन विभाग की ओर से पैदल चलने वालों की परेशानी कम करने के लिए मूवेबल स्ट्रीट फर्नीचर, जंक्शन रीडिजाइन को लागू किया गया. इनको लागू करके परिवहन विभाग 15 चौराहों पर ट्रैफिक जाम को काफी हद तक कम करने में कामयाब रहा. मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने परिवहन विभाग को सड़क सुरक्षा पहल के तहत उसकी सभी सिफारिशों प्रस्ताव और परियोजनाओं के लिए समय सीमा तैयार करने के निर्देश दिए हैं. उन्होंने कहा कि अब व्यक्तिगत रूप से विभाग के साथ नियमित तौर पर बैठक कर प्रोजेक्ट की गति पर नजर रखेंगे.
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