नई दिल्ली: जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी में 15 दिसंबर की शाम को हुई हिंसा के बाद छात्रों ने दिल्ली पुलिस पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं. छात्रों का कहना है कि पुलिस ने कैंपस में घुसकर ना केवल उनके साथ मारपीट की है, बल्कि लाइब्रेरी में भी तोड़फोड़ की. जिस वजह से छात्र ना तो पढ़ पा रहे हैं और ना ही लाइब्रेरी जा पा रहे हैं. जिसके बाद उन्होने कैंपस के बाहर सड़क पर ही 'रीड फॉर रिवॉल्यूशन' नाम से ओपन लाइब्रेरी की शुरुआत की है.
किताबें डोनेट कर छात्रों ने शुरू की ओपन लाइब्रेरी
जामिया में हिंदी ऑनर्स के छात्र अंज़र राही ने बताया 15 दिसंबर की हिंसा के बाद हर एक छात्र की शिक्षा पर गहरा असर पड़ा है. वहीं छात्रों की परीक्षाएं भी सर पर है, ऐसे में छात्र पढ़ नहीं पा रहे हैं जिसके बाद कैंपस के बाहर ही इस ओपन लाइब्रेरी की शुरुआत की गई है. जिसके लिए अलग अलग डिपार्टमेंट से छात्र अपनी खुद की किताबें यहां पर लेकर आए हैं. जिसके बाद तमाम छात्र यहां बैठकर ना केवल पढ़ रहे हैं बल्कि शांतिपूर्ण तरीके से अपना विरोध भी जता रहे हैं.
शिक्षा से डरती है सरकार- छात्र
रीड फॉर रिवॉल्यूशन लाइब्रेरी को लेकर छात्रों का कहना था कि इस वक्त देखा जा रहा है, हर एक यूनिवर्सिटी में छात्रों के ऊपर हमले किए जा रहे हैं. इसका सीधा मतलब यही है कि सरकार एजुकेशन से डरती है. इसीलिए वह छात्रों को शिक्षित नहीं होने देना चाहती. लेकिन हम हर हाल में शिक्षा लेंगे चाहे हमें सड़क पर ही बैठ कर क्यों ना पढ़ना पड़े.
हर जगह छात्रों के साथ हो रहा दुर्व्यवहार
छात्रों का कहना था की सरकार और पुलिस द्वारा छात्रों के साथ दुर्व्यवहार किया जा रहा है छात्रों को मारा पीटा जा रहा है. जबकि छात्र केवल पढ़ना चाहते हैं, हमारे माता पिता हमारी शिक्षा पर काफी पैसा खर्च कर हमें पढ़ने के लिए यूनिवर्सिटीज में भेजते हैं. लेकिन हमारे साथ यहां पर इस तरीके का व्यवहार होता है जो सरासर गलत है. दिल्ली पुलिस ने कैंपस में घुसकर छात्रों के साथ मारपीट की और अभी तक इस मामले में किसी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई है.