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हाईकोर्ट ने UPSC प्रीलिम्स परीक्षा में दिव्यांगों को आरक्षण नहीं देने पर केंद्र से मांगा जवाब

दिल्ली हाई कोर्ट ने आज संघ लोक सेवा आयोग की प्रीलिम्स परीक्षा में दिव्यांगों के वैधानिक आरक्षण के मामले में दायर याचिका पर सुनवाई की. 'संभावना' एनजीओ की ओर से दायर याचिका में कहा गया कि यूपीएससी की प्रीलिम्स परीक्षा में दिव्यांगों को वैधानिक आरक्षण नहीं दिया जा रहा है. हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार और यूपीएससी को 29 जनवरी तक जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया.

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Published : Jan 6, 2021, 2:01 PM IST

Delhi High Court
दिल्ली हाई कोर्ट

नई दिल्ली: दिल्ली हाई कोर्ट ने संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की प्रीलिम्स परीक्षा में दिव्यांगों को वैधानिक आरक्षण नहीं देने के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए यूपीएससी से सीटों की संख्या निर्धारित करने पर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया. चीफ जस्टिस डीएन पटेल ने केंद्र सरकार और यूपीएससी को 29 जनवरी तक जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया.


संभावित नियुक्ति शब्द का विरोध
हाई कोर्ट ने 31 अगस्त 2020 को यूपीएससी और केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया था. याचिका संभावना नामक एनजीओ ने दायर की है. याचिका में कहा गया है कि यूपीएससी की प्रीलिम्स परीक्षा के लिए जारी नोटिफिकेशन में नियुक्तियों का सही आंकड़ा नहीं बताया गया. उसकी जगह नोटिफिकेशन में कहा गया है कि संभावित नियुक्तियां 796 पदों पर होंगी. ऐसी स्थिति में दिव्यांग कैटेगरी के लिए 4 फीसदी पदों की गणना करना असंभव है. याचिका में कहा गया है कि यूपीएससी के नोटिफिकेशन में संभावित नियुक्तियों जैसे शब्द का इस्तेमाल सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ है.

ये भी पढ़ें- पूर्व मुख्य सचिव के साथ मारपीट मामला: सीएम की याचिका पर 15 जनवरी को HC में सुनवाई




'नोटिफिकेशन में बैकलॉग नियुक्ति का कोई जिक्र नहीं'
याचिका में कहा गया है कि अगर संभावित नियुक्ति जैसे शब्द को स्वीकार भी कर लिया जाए तो भी 796 नियुक्तियों के हिसाब से 32 सीटें दिव्यांग अभ्यर्थियों के लिए होनी चाहिए. लेकिन नोटिफिकेशन में दिव्यांग अभ्यर्थियों के लिए 24 सीटें बताई गई हैं. याचिका में कहा गया है कि ये गंभीर गणितीय चूक है कि मंत्रालयों से पूछने पर दिव्यांगों के लिए बैकलॉग नियुक्तियों की कोई जानकारी नहीं दी गई. दिव्यांगों के लिए बैकलॉग नियुक्तियों पर यूपीएससी के नोटिफिकेशन में भी कोई चर्चा नहीं है.

नई दिल्ली: दिल्ली हाई कोर्ट ने संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की प्रीलिम्स परीक्षा में दिव्यांगों को वैधानिक आरक्षण नहीं देने के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए यूपीएससी से सीटों की संख्या निर्धारित करने पर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया. चीफ जस्टिस डीएन पटेल ने केंद्र सरकार और यूपीएससी को 29 जनवरी तक जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया.


संभावित नियुक्ति शब्द का विरोध
हाई कोर्ट ने 31 अगस्त 2020 को यूपीएससी और केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया था. याचिका संभावना नामक एनजीओ ने दायर की है. याचिका में कहा गया है कि यूपीएससी की प्रीलिम्स परीक्षा के लिए जारी नोटिफिकेशन में नियुक्तियों का सही आंकड़ा नहीं बताया गया. उसकी जगह नोटिफिकेशन में कहा गया है कि संभावित नियुक्तियां 796 पदों पर होंगी. ऐसी स्थिति में दिव्यांग कैटेगरी के लिए 4 फीसदी पदों की गणना करना असंभव है. याचिका में कहा गया है कि यूपीएससी के नोटिफिकेशन में संभावित नियुक्तियों जैसे शब्द का इस्तेमाल सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ है.

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'नोटिफिकेशन में बैकलॉग नियुक्ति का कोई जिक्र नहीं'
याचिका में कहा गया है कि अगर संभावित नियुक्ति जैसे शब्द को स्वीकार भी कर लिया जाए तो भी 796 नियुक्तियों के हिसाब से 32 सीटें दिव्यांग अभ्यर्थियों के लिए होनी चाहिए. लेकिन नोटिफिकेशन में दिव्यांग अभ्यर्थियों के लिए 24 सीटें बताई गई हैं. याचिका में कहा गया है कि ये गंभीर गणितीय चूक है कि मंत्रालयों से पूछने पर दिव्यांगों के लिए बैकलॉग नियुक्तियों की कोई जानकारी नहीं दी गई. दिव्यांगों के लिए बैकलॉग नियुक्तियों पर यूपीएससी के नोटिफिकेशन में भी कोई चर्चा नहीं है.

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