नई दिल्ली: महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव को लेकर भाजपा महायुति गठबंधन में शामिल शिवसेना (शिंदे गुट) और एनसीपी के अजित पवार गुट के साथ सीट बंटवारे को लेकर तालमेल बिठाने में जुटी है. सूत्रों की मानें तो 25 सीटों पर अभी भी फैसला होना बाकी है. लेकिन भाजपा इस कोशिश में है कि चुनाव की घोषणा से पहले सीटों पर तालमेल बन जाए ताकि चुनाव की घोषणा के बाद महायुति में किसी भी तरह का अवरोध देखने को न मिले.
सूत्रों की मानें तो पार्टी हाईकमान लगातार सहयोगी दलों के साथ संपर्क में है ताकि एनडीए गठबंधन को लेकर बीच-बीच में उड़ रही अफवाहों को बल न मिले. जैसे अजित पवार और एनसीपी के बीच नजदीकियां बढ़ रहीं या फिर सहयोगियों में तालमेल की कमी नजर आ रही.
सूत्रों की मानें तो महायुति में भाजपा सबसे ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ेगी. फिर शिवसेना शिंदे गुट और उसके बाद अजित पवार की एनसीपी को सीटें मिलेंगी. भाजपा 150 से 155 सीटों पर चुनाव लड़ सकती है, जबकि शिवसेना शिंदे गुट लगभग 90 से 95 सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी में है. वहीं अजित पवार की एनसीपी को 40 से 45 सीटें देने पर चर्चा हुई है.
पार्टी के सूत्रों की मानें तो महायुति गठबंधन को लेकर पार्टियों ने 2 से 3 बार सर्वे भी करवाया है. उसके बाद जिस नतीजे पर पहुंची है कि मौजूदा विधायकों में से 5 से 10 प्रतिशत विधायकों का टिकट काटा जाए, जिनकी क्षेत्र में लोकप्रियता काफी कम है, जो नॉन-परफॉर्मर में से हैं. इसके अलावा भाजपा के बड़े नेताओं ने ये स्पष्ट आदेश दिए हैं कि सिर्फ टिकट का पैमाना जीत ही जीत रखा जाए यानी पार्टी हर हाल में महाराष्ट्र को हाथ से जाने नहीं देना चाहती है.
सूत्रों की मानें तो 25 सीटों को लेकर अभी भी कई दौर की बैठक होनी है और महायुति में मामला इन 25 सीटों पर ही अटका हुआ है.
वैसे देखा जाए तो इस बार महाराष्ट्र की महायुति सरकार में कई बदलाव देखने को मिल रहे हैं. पिछले 2019 के विधानसभा चुनाव से ये चुनाव काफी अलग है, जहां पिछले विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे तब उधव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना में थे, वहीं अजित पवार भी अपने चाचा यानी शरद पवार की एनसीपी के अहम हिस्सा थे. मगर इस बार भाजपा के नेतृत्व वाले महायुति गठबंधन के साथ ये दोनों पार्टियां हैं.
लड़की बहिन योजना गेम चेंजर!
हालांकि, भाजपा को लोकसभा चुनाव 2024 में राज्य में काफी कम 9 सीटें मिली हैं. पार्टी के आंतरिक सर्वेक्षण के मुताबिक ओबीसी और एससी-एसटी वोट बैंक ने पार्टी का ज्यादा साथ नहीं दिया. यही वजह है कि पार्टी इस मुद्दे को ध्यान में रखते हुए लगातार नई-नई योजनाएं भी लॉन्च कर रही है, जिनमें मुख्य रूप से चर्चा का विषय बनी लड़की बहिन योजना है, जिसके तहत 1500 रुपये एक परिवार की दो महिलाओं को दिए जाएंगे. पार्टी इस योजना को गेम चेंजर की तरह देख रही है. इस योजना की दो किस्त राज्य सरकार द्वारा जारी की जा चुकी है.
यही नहीं, राज्य में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के कार्यक्रम भी लगातार आयोजित किए जा रहे हैं. प्रधानमंत्री की सक्रियता और नए-नए प्रोजेक्ट और योजनाओं के सहारे ही मुख्य तौर पर भाजपा चुनाव में उतरेगी.
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