नई दिल्ली/नोएडा: अखिल भारतीय किसान सभा के नेतृत्व में ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण पर किसानों के धरने का आज 67वां दिन है. किसान लगातार अपनी मांगों को लेकर यहां पर दिन और रात धरना प्रदर्शन कर रहे हैं. इससे पहले 24 जून को लगभग 2 महीने का धरना प्रदर्शन होने के बाद एक पावर कमेटी बनाने पर किसानों की सहमति हुई थी, जिसके बाद धरने को स्थगित कर दिया गया था, लेकिन प्राधिकरण के द्वारा बनी सहमति पर जब कमेटी का गठन नहीं हुआ तो किसानों ने 18 जुलाई से दुबारा धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया है.
दरअसल, ग्रेटर नोएडा के 50 से ज्यादा गांवों के किसान अपनी मांगों को लेकर ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं. उनका कहना है कि किसानों को जमीन की एवज में नए भूमि अधिग्रहण के तहत मुआवजा दिया जाए, किसानों का बढ़ा हुआ मुआवजा भी किसानों को दिया जाए. 10 प्रतिशत आवासीय प्लॉट, भूमिहीन किसानों को प्लॉट व किसानों को रोजगार सहित कई मुद्दों को लेकर अपनी मांगों के लिए धरना प्रदर्शन कर रहे हैं. किसानों के इस धरना प्रदर्शन में सभी गांवों के किसान युवा और महिलाएं शामिल हो रही है.
किसान सभा के प्रवक्ता रुपेश वर्मा ने बताया कि किसानों के 2 महीने के धरने के बाद 24 जून को राज्यसभा सांसद सुरेंद्र नागर की मध्यस्था में प्राधिकरण की तत्कालीन सीईओ रितु माहेश्वरी के साथ वार्ता हुई थी. किसानों की इस वार्ता में सभी ने सहमति बनी थी कि किसानों की मांगों को पूरा करने के लिए एक हाई पावर कमेटी का गठन किया जाएगा. इस पर किसान सहमत हो गए और प्राधिकरण के लिखित समझौते पर किसानों ने धरने को 15 जुलाई तक स्थगित कर दिया. जब हाई पावर कमेटी का गठन नहीं किया गया तो किसानों में आक्रोश फैल गया और दोबारा धरना शुरू कर दिया है.
उन्होंने कहा कि अभी तक का यह सबसे ऐतिहासिक धरना है. इस धरने की खासियत यह है कि इस धरने में महिलाओं ने बड़ी संख्या में हिस्सा लिया है. अबकी बार आर पार की लड़ाई है. जब तक किसानों की मांगों को पूरा नहीं किया जाएगा यह धरना प्रदर्शन लगातार जारी रहेगा. किसानों के धरने को समर्थन देने के लिए कांग्रेस सपा व अन्य कई किसान संगठन भी शामिल हो रहे हैं.
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