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लॉकडाउन: गरीबों को मुफ्त खाना देने के नाम पर की जा रही है खानापूर्ति - मुफ्त खाना योजना

दिल्ली सरकार ने दावा किया था कि लॉकडाउन के वक्त दिल्ली में कोई भूखा नहीं सोएगा. ईटीवी भारत की टीम सरकार की मुफ्त खाना योजना की पड़ताल करने पहुंची तो हकीकत कुछ और दिखाई दी.

free food plan
मुफ्त खाना योजना
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Published : Apr 5, 2020, 1:56 PM IST

नई दिल्ली: लॉकडाउन के दौरान केजरीवाल सरकार की मुफ्त खाना योजना खानापूर्ति की भेंट चढ़ गई है. हालांकि, दिल्ली सरकार ने 24 मार्च से जब रैन बसेरे से इसकी शुरुआत की थी, तब प्रतिदिन 20 हज़ार लोगों को फ्री खाना देने का दावा किया था.

मुफ्त खाना देने के नाम पर की जा रही है खानापूर्ति

आज सरकार दावा कर रही है कि 10 लाख से अधिक लोग प्रतिदिन सुबह और शाम सरकार प्रदत्त फ्री खाना ले रहे हैं. ईटीवी भारत की टीम सरकार की योजना की पड़ताल करने पहुंची तो हकीकत कुछ और दिखाई दी.

रैन बसेरे से की थी शुरुआत

केजरीवाल सरकार ने लोगों को फ्री खाना देने की योजना की शुरुआत अपने रैन बसेरे से की थी. वहां पर रह रहे बेघर लोगों को लॉकडाउन के दौरान फ्री खाना देने का ऐलान किया गया.

उसके बाद जब लॉकडाउन के दौरान प्रवासी लोगों का पलायन बढ़ा तब सरकार ने पलायन कर रहे लोगों से अपील की कि वे जहां हैं वहीं रुकें. सरकार उन्हें दिन और रात फ्री खाना देगी.

सरकारी स्कूलों में भी फ्री खाना

मुफ्त खाना देने के लिए रैन बसेरे के साथ-साथ दिल्ली सरकार के 500 से अधिक सरकारी स्कूलों में भी खाना परोसना तय हुआ. बाकायदा इसकी सूची भी जारी कर दी गई, लेकिन फ्री खाना परोसे जाने के नाम पर खानापूर्ति ही की जा रही है.

लोगों ने लगाए आरोप

सरकारी स्कूल के बाहर खाना लेने के लिए आए लोग साफ कहते हैं कि जितनी उन्हें जरूरत होती है उसमें खाना नहीं मिलता. अगर घर के हर सदस्य खाना लेने आ जाएंगे तो भारी भीड़ लग जाएगी. इसलिए घर से एक या दो लोग आते हैं. मगर खाना सब को नहीं मिलता.

'विधायक भी नहीं सुनते फरियाद'

लोगों ने बताया कि जब वे शिकायत करने विधायक के पास जाते हैं तो उनकी बात सुनने की बजाय उन्हें वो भगा देते हैं. राशन कार्ड धारकों को राशन देने की सरकारी योजना को लेकर भी लोगों में काफी रोष है. जिन लोगों के पास राशन कार्ड नहीं हैं, उन लोगों को आधार कार्ड पर राशन देने की बात कही गई थी, लेकिन जब वे राशन की दुकान पर पहुंचते हैं तो उन्हें लौटा दिया जाता है.

संकट में मजदूर

लॉकडाउन के दौरान दिहाड़ी मजदूरों के सामने दो वक्त की रोटी का संकट गहरा गया है. इसे देखते हुए ही केजरीवाल सरकार ने गरीबों को मुफ्त भोजन देना शुरू किया. सरकार का दावा है कि प्रतिदिन फ्री खाना लेने वाले लोगों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है, लेकिन जहां खाना दिया जाता है वहां की हकीकत कुछ और ही है.

दिल्ली सरकार का दावा

फ्री खाना देने की शुरुआत 24 मार्च को 20 हज़ार लोगों से हुई थी. उसके बाद 27 मार्च को दो लाख, 28 मार्च को चार लाख, 31 मार्च को 6 लाख और 2 अप्रैल को 10 लाख से अधिक लोगों को सरकार प्रतिदिन फ्री खाना दे रही है.

नई दिल्ली: लॉकडाउन के दौरान केजरीवाल सरकार की मुफ्त खाना योजना खानापूर्ति की भेंट चढ़ गई है. हालांकि, दिल्ली सरकार ने 24 मार्च से जब रैन बसेरे से इसकी शुरुआत की थी, तब प्रतिदिन 20 हज़ार लोगों को फ्री खाना देने का दावा किया था.

मुफ्त खाना देने के नाम पर की जा रही है खानापूर्ति

आज सरकार दावा कर रही है कि 10 लाख से अधिक लोग प्रतिदिन सुबह और शाम सरकार प्रदत्त फ्री खाना ले रहे हैं. ईटीवी भारत की टीम सरकार की योजना की पड़ताल करने पहुंची तो हकीकत कुछ और दिखाई दी.

रैन बसेरे से की थी शुरुआत

केजरीवाल सरकार ने लोगों को फ्री खाना देने की योजना की शुरुआत अपने रैन बसेरे से की थी. वहां पर रह रहे बेघर लोगों को लॉकडाउन के दौरान फ्री खाना देने का ऐलान किया गया.

उसके बाद जब लॉकडाउन के दौरान प्रवासी लोगों का पलायन बढ़ा तब सरकार ने पलायन कर रहे लोगों से अपील की कि वे जहां हैं वहीं रुकें. सरकार उन्हें दिन और रात फ्री खाना देगी.

सरकारी स्कूलों में भी फ्री खाना

मुफ्त खाना देने के लिए रैन बसेरे के साथ-साथ दिल्ली सरकार के 500 से अधिक सरकारी स्कूलों में भी खाना परोसना तय हुआ. बाकायदा इसकी सूची भी जारी कर दी गई, लेकिन फ्री खाना परोसे जाने के नाम पर खानापूर्ति ही की जा रही है.

लोगों ने लगाए आरोप

सरकारी स्कूल के बाहर खाना लेने के लिए आए लोग साफ कहते हैं कि जितनी उन्हें जरूरत होती है उसमें खाना नहीं मिलता. अगर घर के हर सदस्य खाना लेने आ जाएंगे तो भारी भीड़ लग जाएगी. इसलिए घर से एक या दो लोग आते हैं. मगर खाना सब को नहीं मिलता.

'विधायक भी नहीं सुनते फरियाद'

लोगों ने बताया कि जब वे शिकायत करने विधायक के पास जाते हैं तो उनकी बात सुनने की बजाय उन्हें वो भगा देते हैं. राशन कार्ड धारकों को राशन देने की सरकारी योजना को लेकर भी लोगों में काफी रोष है. जिन लोगों के पास राशन कार्ड नहीं हैं, उन लोगों को आधार कार्ड पर राशन देने की बात कही गई थी, लेकिन जब वे राशन की दुकान पर पहुंचते हैं तो उन्हें लौटा दिया जाता है.

संकट में मजदूर

लॉकडाउन के दौरान दिहाड़ी मजदूरों के सामने दो वक्त की रोटी का संकट गहरा गया है. इसे देखते हुए ही केजरीवाल सरकार ने गरीबों को मुफ्त भोजन देना शुरू किया. सरकार का दावा है कि प्रतिदिन फ्री खाना लेने वाले लोगों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है, लेकिन जहां खाना दिया जाता है वहां की हकीकत कुछ और ही है.

दिल्ली सरकार का दावा

फ्री खाना देने की शुरुआत 24 मार्च को 20 हज़ार लोगों से हुई थी. उसके बाद 27 मार्च को दो लाख, 28 मार्च को चार लाख, 31 मार्च को 6 लाख और 2 अप्रैल को 10 लाख से अधिक लोगों को सरकार प्रतिदिन फ्री खाना दे रही है.

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