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गाजीपुर मुर्गा मंडी में लॉकडाउन का दिख रहा असर, 60 फीसदी कम हुई मुर्गों की आवक - गाजीपुर मुर्गा मंडी भाव कम

लॉकडाउन के कारण दिल्ली गाजीपुर मुर्गा मंडी में मुर्गों की आवक लगभग 60 फीसदी तक कम हुई है, जिससे मुर्गों के दाम में बढ़ोतरी हुई है. लॉकडाउन के पहले थोक बाजार में मुर्गों की कीमत 60 से 70 रुपये प्रति किलो थी, लेकिन अभी के समय थोक बाजार में मुर्गे 100 रुपये किलो बिक रहे हैं.

demand of chicken decreased in delhi biggest chicken mandi
गाजीपुर मुर्गा मंडी में लॉकडाउन का असर
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Published : May 23, 2021, 5:54 PM IST

नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली में कोरोना की चेन को तोड़ने के लिए लगाए गए लॉकडाउन के कारण हर दूसरी चीज प्रभावित हुई है. गाजीपुर स्थित मुर्गा मंडी भी इससे अछूता नहीं है. लॉकडाउन लगने के बाद से ही गाजीपुर मुर्गा मंडी में मुर्गों की आवक लगभग 60 फीसदी तक कम हुई है. गाजीपुर मुर्गा मंडी दिल्ली की सबसे बड़ी मंडी है और पूरे दिल्ली में यहीं से मुर्गों की सप्लाई होती है.

गाजीपुर मुर्गा मंडी में लॉकडाउन का असर

दाम में आई है तेजी

गाजीपुर मुर्गा मंडी में मुर्गों का थोक व्यवसाय करने वाले व्यवसाय मोहम्मद इरशाद ने बताया कि लॉकडाउन के बाद से मुर्गों के दाम में बढ़ोतरी हुई है. लॉकडाउन के पहले थोक बाजार में मुर्गों की कीमत 60 से 70 रुपये प्रति किलो थी. लेकिन अभी के समय थोक बाजार में मुर्गे 100 रुपये किलो बिक रहे हैं. मुर्गा मंडी से छोटे दुकानदार अपने इलाकों में ले जाकर उन्हें 150 से 160 रुपये किलो तक बेच रहे हैं. अगर कुछ दिनों तक लॉकडाउन और जारी रहा तो मुर्गों के दाम में और तेजी आ सकती है.

यह भी पढ़ेंः-दिल्ली में एक हफ्ते और बढ़ा लॉकडाउन, अब 31 मई सुबह 5 बजे तक रहेगा लागू

खपत में आई कमी

मुर्गे का व्यवसाय करने वाले मोहम्मद इरशाद ने बताया कि लॉकडाउन के पहले गाजीपुर मुर्गा मंडी में पूरे देश से मुर्गों की आवक होती थी. प्रतिदिन 100 से 125 ट्रक मुर्गे मंडी में पहुंचते थे, लेकिन अभी के समय मुर्गा मंडी में मात्र 35 से 40 गाड़ियां पहुंच रही हैं. ज्यादातर गाड़ियां अभी के समय हरियाणा से आ रही हैं.

लॉकडाउन के कारण होटल और सभी बैंकट हॉल भी बंद है, जिस कारण मुर्गे की खपत में भी काफी कमी आई है. यह मौसम शादियों का मौसम है और इस दौरान मुर्गों की ज्यादा खपत होती थी. लेकिन लॉकडाउन के कारण अभी सभी तरह के आयोजनों पर प्रतिबंध है जिस कारण बाजार में मुर्गों की मांग कम है.

'मुर्गा पालने से बच रहे व्यवसायी'

मुर्गे का व्यवसाय करने वाले फुरकान ने बताया कि अभी के समय मुर्गे का व्यवसाय करने वाले लोग इसका व्यवसाय करने से बच रहे हैं. लॉकडाउन के कारण व्यवसाई के पास पूंजी नहीं है, जिस कारण हरियाणा के कई इलाकों में लोगों ने मुर्गे को पालना छोड़ दिया है.

पिछले साल लगाए गए लॉकडाउन से व्यवसयी अभी उबर ही रहे थे कि इस साल दोबारा सरकार ने लॉकडाउन लगा दिया. जिससे हमारे व्यवसाय पर काफी बुरा असर पड़ा है. मुर्गे के व्यापार में लगाने के लिए लोगों के पास पैसे तक नहीं है. लॉकडाउन में ज्यादातर दुकानें भी बंद है, जिस कारण माल की खपत भी काफी कम हो रही है.

नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली में कोरोना की चेन को तोड़ने के लिए लगाए गए लॉकडाउन के कारण हर दूसरी चीज प्रभावित हुई है. गाजीपुर स्थित मुर्गा मंडी भी इससे अछूता नहीं है. लॉकडाउन लगने के बाद से ही गाजीपुर मुर्गा मंडी में मुर्गों की आवक लगभग 60 फीसदी तक कम हुई है. गाजीपुर मुर्गा मंडी दिल्ली की सबसे बड़ी मंडी है और पूरे दिल्ली में यहीं से मुर्गों की सप्लाई होती है.

गाजीपुर मुर्गा मंडी में लॉकडाउन का असर

दाम में आई है तेजी

गाजीपुर मुर्गा मंडी में मुर्गों का थोक व्यवसाय करने वाले व्यवसाय मोहम्मद इरशाद ने बताया कि लॉकडाउन के बाद से मुर्गों के दाम में बढ़ोतरी हुई है. लॉकडाउन के पहले थोक बाजार में मुर्गों की कीमत 60 से 70 रुपये प्रति किलो थी. लेकिन अभी के समय थोक बाजार में मुर्गे 100 रुपये किलो बिक रहे हैं. मुर्गा मंडी से छोटे दुकानदार अपने इलाकों में ले जाकर उन्हें 150 से 160 रुपये किलो तक बेच रहे हैं. अगर कुछ दिनों तक लॉकडाउन और जारी रहा तो मुर्गों के दाम में और तेजी आ सकती है.

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खपत में आई कमी

मुर्गे का व्यवसाय करने वाले मोहम्मद इरशाद ने बताया कि लॉकडाउन के पहले गाजीपुर मुर्गा मंडी में पूरे देश से मुर्गों की आवक होती थी. प्रतिदिन 100 से 125 ट्रक मुर्गे मंडी में पहुंचते थे, लेकिन अभी के समय मुर्गा मंडी में मात्र 35 से 40 गाड़ियां पहुंच रही हैं. ज्यादातर गाड़ियां अभी के समय हरियाणा से आ रही हैं.

लॉकडाउन के कारण होटल और सभी बैंकट हॉल भी बंद है, जिस कारण मुर्गे की खपत में भी काफी कमी आई है. यह मौसम शादियों का मौसम है और इस दौरान मुर्गों की ज्यादा खपत होती थी. लेकिन लॉकडाउन के कारण अभी सभी तरह के आयोजनों पर प्रतिबंध है जिस कारण बाजार में मुर्गों की मांग कम है.

'मुर्गा पालने से बच रहे व्यवसायी'

मुर्गे का व्यवसाय करने वाले फुरकान ने बताया कि अभी के समय मुर्गे का व्यवसाय करने वाले लोग इसका व्यवसाय करने से बच रहे हैं. लॉकडाउन के कारण व्यवसाई के पास पूंजी नहीं है, जिस कारण हरियाणा के कई इलाकों में लोगों ने मुर्गे को पालना छोड़ दिया है.

पिछले साल लगाए गए लॉकडाउन से व्यवसयी अभी उबर ही रहे थे कि इस साल दोबारा सरकार ने लॉकडाउन लगा दिया. जिससे हमारे व्यवसाय पर काफी बुरा असर पड़ा है. मुर्गे के व्यापार में लगाने के लिए लोगों के पास पैसे तक नहीं है. लॉकडाउन में ज्यादातर दुकानें भी बंद है, जिस कारण माल की खपत भी काफी कम हो रही है.

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