नई दिल्ली: दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने एम्स के साइबर हमले की जांच शुरू कर दी है. साथ ही अगले सप्ताह के मध्य में एम्स की सेवाएं शुरू हो जाएंगी. इस बीच लगभग 3,000 कंप्यूटरों को स्कैन किया गया है और भविष्य की सुरक्षा के लिए एंटी वायरस भी अपलोड किया गया है.
इससे पहले मंगलवार को एम्स ने भी एक बयान जारी किया था, जिसमें बताया गया कि ई-हॉस्पिटल डेटा बहाल कर दिया गया है. बयान में कहा गया है कि अस्पताल के डेटा को सर्वर पर बहाल कर दिया गया है और सेवाओं को बहाल करने से पहले नेटवर्क को क्लीन किया जा रहा है. डेटा की मात्रा और सर्वर की बड़ी संख्या के कारण इस प्रक्रिया में कुछ समय लग रहा है.
बयान में बताया गया कि इस मामले में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) भी जांच में शामिल हो गई है. हालांकि, इंडिया कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पांस टीम, दिल्ली पुलिस, इंटेलिजेंस ब्यूरो, केंद्रीय जांच ब्यूरो और गृह मंत्रालय के प्रतिनिधि पहले से ही जांच कर रहे हैं. जांच एजेंसियों की सिफारिशों के बाद एम्स दिल्ली में इंटरनेट सेवाएं बंद रहेंगी. इसके अलावा लैब्रोटरी इनफार्मेशन सिस्टम डेटाबेस और अन्य महत्वपूर्ण डेटाबेस को बहाल कर दिया गया है.
न्यूज एजेंसी ANI के अनुसार, एम्स ने अपने जारी बयान में कहा है कि सभी अस्पताल सेवाएं, जिनमें आउट पेशेंट, इन-पेशेंट, प्रयोगशालाएं आदि शामिल हैं, वह सब मैनुअल मोड पर चलती रहेंगी. जांच एजेंसी ने प्रस्तावित किया है कि स्वास्थ्य सुविधा में इंटरनेट सेवाएं भी ब्लाक रहती हैं, इसलिए एम्स ने ई-अस्पताल के डाउन होने तक मैन्युअल रूप से किए जाने वाले मरीजों को भर्ती, डिस्चार्ज और स्थानांतरण के लिए स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर का एक नया सेट भी जारी किया है.
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23 नवंबर से एम्स का सर्वर बंद
बता दें, 23 नवंबर को दिल्ली एम्स का सर्वर हैक हो गया था, जिसके बाद यह करीब 6 दिन तक डाउन रहा. बुधवार को ही एम्स के सर्वर बहाल कर लिया गया है. एम्स दिल्ली के सर्वर में देश की सबसे बड़ी और नामचीन हस्तियों के मेडिकल रिकॉर्ड और अन्य जानकारियां हैं. इसमें राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, पूर्व प्रधानमंत्री और कई मंत्रियों का डेटा शामिल है. ऐसे में सर्वर पर मौजूद जानकारी काफी संवेदनशील मानी जा रही है. इसी वजह से जब हैकिंग की संभावना आई तो तुरंत साइबर सेल को सूचित किया गया.
(ANI)
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