नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) ने सेना भर्ती की अग्निपथ स्कीम को लेकर अपना आदेश सुरक्षित रखा है. गुरुवार को कोर्ट छात्रों के एक समूह की याचिका पर विचार कर रहा था. याचिका में पुरानी व्यवस्था बहाल करने का निर्देश देने की मांग की गई थी.
केंद्र सरकार ने कुछ महीने पहले सैन्य भर्ती को लेकर बड़ा बदलाव किया था, जिसके तहत अब तीनों सेनाओं में भर्ती अग्निपथ योजना के तहत हो रही थी. इस योजना को लेकर छात्रों के कुछ समूह ने दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दी थी. दिल्ली हाईकोर्ट ने सभी याचिकाओं को एक जगह पर लाकर न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की बेंच द्वारा इसकी सुनवाई की जा रही थी. कोर्ट ने इस मामले में केंद्र से जवाब मांगा था. अब इस केस की सुनवाई पूरी हो गई और कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है.
कोर्ट ने याचिकाकर्ता से पूछे सवालः इससे पहले की सुनवाई के दौरान दिल्ली हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ताओं से ही सवाल किया था. खंडपीठ ने उनसे पूछा कि क्या इस योजना के आने से किसी के अधिकारों का उल्लंघन हुआ है? क्या इसमें कुछ गलत है? ये तो स्वैच्छिक है. जिन लोगों को इससे समस्या है, वो इसमें ना शामिल हों.
कोर्ट ने ये भी कहा कि इस योजना को तीनों सेनाओं के विशेषज्ञों ने तैयार किया है, आप (याचिकाकर्ता) और हम सैन्य विशेषज्ञ नहीं हैं. आप ये सिद्ध करिए कि इसके जरिए आपका अधिकार को छीन लिया गया है.
केंद्र ने क्या कहा? केंद्र की ओर से दिल्ली हाईकोर्ट में पेश एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने इस योजना की खूबियां बताईं. उन्होंने कहा कि अब युवा लड़कियों को भी सेना में शामिल किया जा रहा है. इसके अलावा कई अन्य बदलाव हो रहे हैं. चार साल की सेवा के बाद जो युवा रिटायर होंगे, उनको सशस्त्र बलों में 10 प्रतिशत आरक्षण दिया जाएगा. इसके अलावा इग्नू के साथ एक MoU साइन किया गया है. जिसके तहत अग्निवीरों को डिप्लोमा या डिग्री दी जाएगी. केंद्र सरकार ने अग्निवीरों के लिए निश्चित फंड की भी व्यवस्था की है.
याचिकाकर्ता ने उठाए ये सवालः याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि सरकार को ये बताना होगा कि पंजीकरण के बाद वो अग्निवीरों को क्या-क्या सुविधाएं और वो किन शर्तों पर देंगे? अग्निवीर रिटायर होने के बाद सेना के गुप्त ठिकानों के राज नहीं खोले, इसके लिए क्या योजना है. अभी तक तो ऑफिशियल सीक्रेट एक्ट जवानों पर लागू होता था, लेकिन अब सरकार कह रही कि वो इस पर काम कर रहे. फिलहाल सभी पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने अब अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है.