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केजरीवाल सरकार जल्द शुरू करेगी ये योजना, 20 हजार किसानों को मिलेगा फायदा - Delhi government launch Kishan Mitra Scheme

केजरीवाल सरकार दिल्ली के किसानो के लिए मुख्यमंत्री किसान मित्र योजना के तहत किसानों को उनकी लागत से 50 फीसदी ज्यादा दाम देने की तैयारी कर रही है.

केजरीवाल सरकार शुरू करेगी मुख्यमंत्री किसान मित्र योजना, etv bharat
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Published : Sep 19, 2019, 10:06 AM IST

नई दिल्ली: चुनावी साल में केजरीवाल सरकार प्रस्तावित मुख्यमंत्री किसान मित्र योजना को जल्द लागू करने की तैयारी कर रही है. विकास विभाग ने कैबिनेट नोट तैयार कर सरकार के पास भेज दिया है. जल्द ही इस पर कैबिनेट की मुहर लगने की संभावना है.

केजरीवाल सरकार शुरू करेगी मुख्यमंत्री किसान मित्र योजना

प्रस्तावित मुख्यमंत्री किसान मित्र योजना के तहत किसानों को उनकी फसल की लागत से 50 फीसदी ज्यादा दाम दिया जाएगा. जोकि गेहूं के लिए तकरीबन 2616 रुपये और धान के लिए 2667 रुपये प्रति क्विंटल होता है.

स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट होगी लागू!
दिल्ली सरकार इस योजना के तहत स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट लागू करने जा रही है. प्रस्तावित न्यूनतम समर्थन मूल्य गेहूं के लिए केंद्र की ओर से घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य से 776 रुपये और धान के लिए 897 रुपये प्रति क्विंटल ज्यादा है.
दिल्ली सरकार यह बात साफ कर चुकी है कि दिल्ली में अन्य राज्यों की तुलना में उत्पादन लागत ज्यादा है. इसे देखते हुए सभी बिंदुओं पर विचार किया गया है.

इसके आधार पर मुख्यमंत्री किसान मित्र योजना के तहत फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारित किया गया है.

20 हजार किसान परिवारों को होगा फायदा
दिल्ली सरकार के आंकड़ों के मुताबिक दिल्ली में 20 हजार किसान परिवार हैं. AAP सरकार इस माह के अंत तक इस योजना को लागू करने के पक्ष में है.

तैयार किए गए कैबिनेट नोट के अनुसार इस योजना के लागू होने से सरकार पर तकरीबन 100 करोड़ रुपये का अतिरिक्त भार बढ़ेगा.

लाभ लेने के लिए यह है जरूरी
योजना का लाभ लेने के लिए किसान दिल्ली का स्थाई निवासी होना चाहिए. किसान की खुद की जमीन होनी चाहिए.

लाभ उसी को मिलेगा जो अपनी जमीन पर नियमित खेती करता है. किसी बैंक में उसका खाता और दिल्ली के पते पर बना आधार कार्ड होना चाहिए.

किसान के पास उसकी जमीन के पूरे दस्तावेज हो निवास प्रमाण पत्र और दिल्ली का मतदाता पहचान पत्र होना भी जरूरी है.

'तीन सदस्य विभागीय कमेटी का गठन'
बता दें कि किसानों को उनके फसल का न्यूनतम मूल्य व अन्य सुविधाएं देने के लिए 4 दिसंबर 2018 को दिल्ली सरकार के विकास विभाग ने एक तीन सदस्य विभागीय कमेटी बनाई गई थी.
इस कमेटी ने तेलंगाना और उड़ीसा सरकार द्वारा किसानों के लिए तैयार योजनाओं पर अध्ययन किया था.
दिल्ली में कुल कृषि योग्य भूमि 75 हजार एकड़ है और 20,000 से ज्यादा किसान हैं.
नरेला, नजफगढ़, अनाज मंडी में हर साल करीब 17000 टन अनाज जाता है इसमें अधिकतर अनाज दिल्ली के होते हैं.

क्या है स्वामीनाथन कमिटी की रिपोर्ट
बता दें कि देश मे अनाज की आपूर्ति को भरोसेमंद बनाने और किसानों की आर्थिक हालत को बेहतर बनाने के लिए तत्कालीन यूपीए सरकार ने 18 नवंबर 2004 को एमएस स्वामीनाथन की अध्यक्षता में राष्ट्रीय किसान आयोग का गठन किया था.

आयोग ने 2 साल बाद 2006 में 5 रिपोर्ट सौंपी थी. स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट में भूमि सुधारों को बढ़ाने पर जोर दिया गया है. अतिरिक्त और बेकार जमीनों को भूमिहीनों में बांटने.

आदिवासी क्षेत्रों में पशु चराने का हक देने, आयोग की सिफारिशों में किसान आत्महत्या की समस्या के समाधान, राज्य स्तरीय किसान कमिशन बनाने, सेहत सुविधाएं बढ़ाने और बीमा की स्थिति पुख्ता बनाने पर भी विशेष जोर दिया गया है. लेकिन इन सिफारिशों को केंद्र सरकार ने अभी तक लागू नहीं किया है.

नई दिल्ली: चुनावी साल में केजरीवाल सरकार प्रस्तावित मुख्यमंत्री किसान मित्र योजना को जल्द लागू करने की तैयारी कर रही है. विकास विभाग ने कैबिनेट नोट तैयार कर सरकार के पास भेज दिया है. जल्द ही इस पर कैबिनेट की मुहर लगने की संभावना है.

केजरीवाल सरकार शुरू करेगी मुख्यमंत्री किसान मित्र योजना

प्रस्तावित मुख्यमंत्री किसान मित्र योजना के तहत किसानों को उनकी फसल की लागत से 50 फीसदी ज्यादा दाम दिया जाएगा. जोकि गेहूं के लिए तकरीबन 2616 रुपये और धान के लिए 2667 रुपये प्रति क्विंटल होता है.

स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट होगी लागू!
दिल्ली सरकार इस योजना के तहत स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट लागू करने जा रही है. प्रस्तावित न्यूनतम समर्थन मूल्य गेहूं के लिए केंद्र की ओर से घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य से 776 रुपये और धान के लिए 897 रुपये प्रति क्विंटल ज्यादा है.
दिल्ली सरकार यह बात साफ कर चुकी है कि दिल्ली में अन्य राज्यों की तुलना में उत्पादन लागत ज्यादा है. इसे देखते हुए सभी बिंदुओं पर विचार किया गया है.

इसके आधार पर मुख्यमंत्री किसान मित्र योजना के तहत फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारित किया गया है.

20 हजार किसान परिवारों को होगा फायदा
दिल्ली सरकार के आंकड़ों के मुताबिक दिल्ली में 20 हजार किसान परिवार हैं. AAP सरकार इस माह के अंत तक इस योजना को लागू करने के पक्ष में है.

तैयार किए गए कैबिनेट नोट के अनुसार इस योजना के लागू होने से सरकार पर तकरीबन 100 करोड़ रुपये का अतिरिक्त भार बढ़ेगा.

लाभ लेने के लिए यह है जरूरी
योजना का लाभ लेने के लिए किसान दिल्ली का स्थाई निवासी होना चाहिए. किसान की खुद की जमीन होनी चाहिए.

लाभ उसी को मिलेगा जो अपनी जमीन पर नियमित खेती करता है. किसी बैंक में उसका खाता और दिल्ली के पते पर बना आधार कार्ड होना चाहिए.

किसान के पास उसकी जमीन के पूरे दस्तावेज हो निवास प्रमाण पत्र और दिल्ली का मतदाता पहचान पत्र होना भी जरूरी है.

'तीन सदस्य विभागीय कमेटी का गठन'
बता दें कि किसानों को उनके फसल का न्यूनतम मूल्य व अन्य सुविधाएं देने के लिए 4 दिसंबर 2018 को दिल्ली सरकार के विकास विभाग ने एक तीन सदस्य विभागीय कमेटी बनाई गई थी.
इस कमेटी ने तेलंगाना और उड़ीसा सरकार द्वारा किसानों के लिए तैयार योजनाओं पर अध्ययन किया था.
दिल्ली में कुल कृषि योग्य भूमि 75 हजार एकड़ है और 20,000 से ज्यादा किसान हैं.
नरेला, नजफगढ़, अनाज मंडी में हर साल करीब 17000 टन अनाज जाता है इसमें अधिकतर अनाज दिल्ली के होते हैं.

क्या है स्वामीनाथन कमिटी की रिपोर्ट
बता दें कि देश मे अनाज की आपूर्ति को भरोसेमंद बनाने और किसानों की आर्थिक हालत को बेहतर बनाने के लिए तत्कालीन यूपीए सरकार ने 18 नवंबर 2004 को एमएस स्वामीनाथन की अध्यक्षता में राष्ट्रीय किसान आयोग का गठन किया था.

आयोग ने 2 साल बाद 2006 में 5 रिपोर्ट सौंपी थी. स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट में भूमि सुधारों को बढ़ाने पर जोर दिया गया है. अतिरिक्त और बेकार जमीनों को भूमिहीनों में बांटने.

आदिवासी क्षेत्रों में पशु चराने का हक देने, आयोग की सिफारिशों में किसान आत्महत्या की समस्या के समाधान, राज्य स्तरीय किसान कमिशन बनाने, सेहत सुविधाएं बढ़ाने और बीमा की स्थिति पुख्ता बनाने पर भी विशेष जोर दिया गया है. लेकिन इन सिफारिशों को केंद्र सरकार ने अभी तक लागू नहीं किया है.

Intro:नई दिल्ली. चुनावी वर्ष में केजरीवाल सरकार प्रस्तावित मुख्यमंत्री किसान मित्र योजना को जल्द लागू करने की तैयारी कर रही है. दिल्ली सरकार के विकास विभाग ने कैबिनेट नोट तैयार कर सरकार के पास भेज दिया है. जल्द ही इस पर कैबिनेट की मुहर लगने की संभावना है.


Body:प्रस्तावित मुख्यमंत्री किसान मित्र योजना के तहत किसानों को उनकी फसल की लागत से 50 फीसद ज्यादा दाम दिया जाएगा. जोकि गेहूं के लिए तकरीबन 2616 रुपये और धान के लिए 2667 रुपये प्रति क्विंटल होता है.

दिल्ली सरकार इस योजना के तहत स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट लागू करने जा रही है. प्रस्तावित न्यूनतम समर्थन मूल्य गेहूं के लिए केंद्र की ओर से घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य से 776 रुपये और धान के लिए 897 रुपये प्रति क्विंटल ज्यादा है. दिल्ली सरकार यह बात साफ कर चुकी है कि दिल्ली में अन्य राज्यों की तुलना में उत्पादन लागत ज्यादा है. इसे देखते हुए सभी बिंदुओं पर विचार किया गया है. इसके आधार पर मुख्यमंत्री किसान मित्र योजना के तहत फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारित किया गया है.

दिल्ली के 20 हज़ार किसान परिवारों को होगा फायदा

दिल्ली सरकार के आंकड़ों के मुताबिक दिल्ली में 20 हज़ार किसान परिवार हैं. आम आदमी पार्टी सरकार इस माह के अंत तक इस योजना को लागू करने के पक्ष में है. तैयार किए गए कैबिनेट नोट के अनुसार इस योजना के लागू होने से सरकार पर तकरीबन 100 करोड़ रुपये का अतिरिक्त भार बढ़ेगा.

योजना का लाभ लेने के लिए यह है जरूरी

योजना का लाभ लेने के लिए किसान दिल्ली का स्थाई निवासी होना चाहिए. किसान की खुद की जमीन होनी चाहिए. लाभ उसी को मिलेगा जो अपनी जमीन पर नियमित खेती करता है. किसी बैंक में उसका खाता और दिल्ली के पते पर बना आधार कार्ड होना चाहिए किसान के पास उसकी जमीन के पूरे दस्तावेज हो निवास प्रमाण पत्र और दिल्ली का मतदाता पहचान पत्र होना भी जरूरी है.


Conclusion:
बता दें कि किसानों को उनके फसल का न्यूनतम मूल्य व अन्य सुविधाएं देने के लिए 4 दिसंबर 2018 को दिल्ली सरकार के विकास विभाग ने एक तीन सदस्य विभागीय कमेटी बनाई गई थी. इस कमेटी ने तेलंगाना और उड़ीसा सरकार द्वारा किसानों के लिए तैयार योजनाओं पर अध्ययन किया था. दिल्ली में कुल कृषि योग्य भूमि 75 हज़ार एकड़ है और 20000 से ज्यादा किसान हैं. नरेला, नजफगढ़, अनाज मंडी में हर साल करीब 17000 टन अनाज जाता है इसमें अधिकतर अनाज दिल्ली के होते हैं.

क्या है स्वामीनाथन कमिटी की रिपोर्ट

बता दें कि देश मे अनाज की आपूर्ति को भरोसेमंद बनाने और किसानों की आर्थिक हालत को बेहतर बनाने के लिए तत्कालीन यूपीए सरकार ने 18 नवंबर 2004 को एमएस स्वामीनाथन की अध्यक्षता में राष्ट्रीय किसान आयोग का गठन किया था. आयोग ने 2 साल बाद 2006 में 5 रिपोर्ट सौंपी थी. स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट में भूमि सुधारों को बढ़ाने पर जोर दिया गया है, अतिरिक्त और बेकार जमीनों को भूमिहीनों में बांटने, आदिवासी क्षेत्रों में पशु चराने का हक देने, आयोग की सिफारिशों में किसान आत्महत्या की समस्या के समाधान, राज्य स्तरीय किसान कमिशन बनाने, सेहत सुविधाएं बढ़ाने और बीमा की स्थिति पुख्ता बनाने पर भी विशेष जोर दिया गया है. लेकिन इन सिफारिशों को केंद्र सरकार ने अभी तक लागू नहीं किया है.

समाप्त, आशुतोष झा
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