नई दिल्लीः दिल्ली सरकार ने कहा है कि वाहन चलाते समय मास्क पहनना अप्रैल महीने में ही अनिवार्य कर दिया गया था और यह आदेश अभी भी लागू है. एक वकील को कार में अकेले बिना मास्क के पकड़े जाने पर दिल्ली पुलिस की ओर से चालान काटे जाने के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार ने हलफनामा के जरिए हाईकोर्ट को ये बात कही.
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से वकील जोबी पी वर्गीश ने कहा कि 4 अप्रैल के आदेश के बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि अकेले वाहन चलाने वाले को मास्क पहनना जरूरी नहीं है. तब गृह मंत्रालय की ओर से पेश वकील फरमान अली मैगरे ने इसका जवाब देने के लिए समय देने की मांग की. तब कोर्ट ने 7 जनवरी तक इसका जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया.
9 सितंबर की घटना
पिछले 17 सितंबर को याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने नोटिस जारी किया था. याचिका वकील सौरभ शर्मा ने दायर की है. सौरभ शर्मा पिछले 20 सालों से प्रैक्टिस कर रहे हैं. पिछले 9 सितंबर को जब वे अपने दफ्तर जा रहे थे, तो गीता कॉलोनी में दिल्ली पुलिस ने उनकी कार को रोका. एक अधिकारी ने पहले कार में बैठे हुए उनकी फोटो ली और उन्हें कार से उतरने को कहा. कार से उतरकर पूछताछ करने पर पुलिस वालों ने बताया कि मास्क नहीं पहनने की वजह से पांच सौ रुपये का जुर्माना लगेगा.
अकेले कार में बिना मास्क के जा रहे थे
याचिकाकर्ता ने पुलिस अधिकारियों को ये समझाने की कोशिश की कि चूंकि वह कार में अकेले यात्रा कर रहे थे, इसलिए उसने कोई अपराध नहीं किया है. याचिकाकर्ता ने पुलिस अधिकारियों से वह आदेश दिखाने को कहा जिसमें कोई व्यक्ति अकेले निजी वाहन में यात्रा कर रहा है, तो उसे मास्क पहनना जरूरी करने का प्रावधान हो. लेकिन पुलिस अधिकारियों ने ऐसा कोई आदेश नहीं दिखाया. पुलिस अधिकारियों ने याचिकाकर्ता की बातों को अनसुना कर पांच सौ रुपये का चालान काट दिया गया. जब पुलिसवाले नहीं माने तो याचिकाकर्ता ने विरोधस्वरूप चालान की रकम जमा की.
दस लाख का हर्जाना देने की मांग
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से वकील केसी मित्तल, जोबी वर्गीश और युगनेश मित्तल ने मानसिक प्रताड़ना की एवज में याचिकाकर्ता को दस लाख रुपये का हर्जाना देने की मांग की थी. उन्होंने कहा था कि याचिकाकर्ता पर चालान गैरकानूनी रूप से काटा गया है और पुलिस वालों ने सार्वजनिक रूप से प्रताड़ित किया है.