नई दिल्ली: राजधानी की तीस हजारी कोर्ट ने पोक्सो और दुष्कर्म के मामले में आरोपी युवक को जमानत देते हुए महिलाओं के लिए बनाए गए कानूनों के दुरुपयोग पर टिप्पणी की. कोर्ट ने कहा कि महिलाओं के हित के लिए बनाए गए कानूनों का दुरुपयोग अपनी स्वार्थ सिद्धि के लिए नहीं किया जाना चाहिए. मामला दो पड़ोसियों से जुड़ा हुआ था. जिसमें एक 19 वर्ष के युवक पर पड़ोस की एक 17 वर्षीय किशोरी पर दुष्कर्म करने का आरोप लगाया गया था.
तीस हजारी कोर्ट स्थित अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश रिचा परिहार की अदालत ने पोक्सो और दुष्कर्म के मामले में एक आरोपी युवक को चार्जशीट पेश होने से पहले ही जमानत दे दी. कोर्ट ने माना की पीड़िता और आरोपी ने शिकायत दर्ज होने से पहले ही आर्य समाज मंदिर में विवाह कर लिया था, जिसके दस्तावेज बचाव पक्ष ने पेश किए.
बचाव पक्ष की तरफ से पेश अधिवक्ता अंकित मान ने बताया दोनों पिछले 5 वर्षों से प्रेम संबंध में थे. ऐसे में उन्होंने सहमति के साथ संबंध स्थापित किए और आर्य समाज मंदिर में जाकर विवाह कर लिया था. हालांकि विवाह के कुछ दिन बाद ही दोनों अलग-अलग हो गए, जिसके बाद पीड़ित पक्ष ने आरोपी के खिलाफ पोक्सो और दुष्कर्म का मुकदमा दर्ज करा दिया. इसकी शिकायत दिल्ली महिला आयोग में दी गई थी. महिला आयोग की शिकायतें पत्र के आधार पर पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू की.
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महिला कानूनों का दुरुपयोग बंद हो
पोक्सो के अलग-अलग मामलों में सुनवाई करते हुए कोर्ट पहले भी कह चुका है कि महिला अपराधों से बचाव के लिए बनाए गए कानूनों का दुरुपयोग पारिवारिक मसले को हल करने के लिए ना किया जाए. यह दोनों आरोपी और पीड़ित आपस में पहले से परिचित हैं और इनके बीच पारिवारिक विवाद चल रहा है. ऐसे मे मध्यस्थ केंद्रों का इस्तेमाल करें ना कि कोर्ट का कीमती वक्त जाया करें.
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