नई दिल्ली: दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष चौ. अनिल कुमार ने कहा कि राजधानी दिल्ली में अपराध का बढ़ते ग्राफ का संबंध दिल्ली में शिक्षित युवाओं व अन्य लोगों का गंभीर बेरोजगारी से जूझना है. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अपने चुनावी घोषणा पत्रों में युवाओं को बड़ी संख्या में रोजगार देने के वायदे तो किए, परंतु उन्हें कभी पूरा नहीं किया.
उन्होंने कहा कि बेरोजगारी पर दिल्ली सरकार के आए सर्वेक्षण में दिल्ली के युवाओं के भविष्य की एक गंभीर तस्वीर पेश की है, जिसके और अभी खराब होने की संभावना है, जबकि कोरोना महामारी की चौथी लहर से राजधानी दिल्ली भी गंभीर रूप से प्रभावित है.
मात्र 440 बेरोजगारों को मिला रोजगार
दिल्ली प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए चौ. अनिल कुमार ने कहा कि दिल्ली और देश की बदहाल आर्थिक स्थिति के कारण राजधानी का युवा पिछले 75 वर्षों में बेरोजगारी की सबसे खराब स्थिति से गुजर रहा है और कोरोना महामारी के चलते आर्थिक संकट से जूझ रहा है. दिल्ली कोरोना और प्रदूषित शहरों में नम्बर वन रहा है, जो दिल्ली सरकार की विफलताओं को उजागर करते हैं. दिल्ली की आम आदमी पार्टी ने चुनाव में अपने घोषणा पत्र में 8 लाख नौकरी देने का वायदा किया था, परंतु 2015 से अगस्त 2020 तक दिल्ली सरकार के रोजगार निदेशालय ने मात्र 440 बेरोजगारों को ही रोजगार दिया है.
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चौधरी अनिल कुमार ने कहा कि यह गंभीर चिंता का विषय है कि अरविंद केजरीवाल सरकार युवाओं की बेरोजगारी की संख्या में वृद्धि पर चिंतित नही है. उन्होंने मांग की कि दिल्ली सरकार तुरंत प्रभाव से शहरी गरीबों के लिए मनरेगा की तर्ज न्यूनतम रोजगार गांरटी योजना का गठन करके शिक्षित और अन्य बेरोजगार युवाओं को बेरोजगारी भत्ता देने का प्रावधान करें.
उन्होंने कहा कि दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार कांग्रेस की छत्तीसगढ़ और राजस्थान सरकारों की तरह कोरोना महामारी लॉकडाउन के कारण आर्थिक संकट से जूझ रहे लोगों को वित्तिय सहायता देकर अपने वादों को पूरा करना चाहिए. अभी के समय दिल्ली सरकार का रोजागार कार्यालय बंद होने की कगार पर है क्योंकि रोजगार मुहैया कराने वाले विभाग में ही 84 प्रतिशत पद रिक्त पड़े है.
आंकड़ें छुपाने की है कोशिश
चौ. अनिल कुमार ने उपमुख्यमंत्री एवं वित्त मंत्री मनीष सिसोदिया पर आरोप लगाया कि उन्होंने वर्तमान बजटीय भाषण में फरवरी 2020 के बेरोजगारी के वास्तविक आंकड़ों को छिपाने की कोशिश की है. कोरोना से पहले दिल्ली में बेरोजगारी दर 11.1 प्रतिशत थी और अक्टूबर-नवम्बर में 28.5 प्रतिशत हो गई.
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उन्होंने कहा कि नवम्बर 2020 में पुरुषों की बेरोजगारी दर 23.2 प्रतिशत जबकि फरवरी 2020 में बेरोजगारों का प्रतिशत 8.7 प्रतिशत था. इसी प्रकार नवम्बर 2020 में महिलाओं की बेरोजगारी दर 54.7 प्रतिशत पहुंच गई, जो फरवरी 2020 में 25.6 प्रतिशत थी. बजट के दौरान फरवरी 2021 के वास्तविक आंकड़ों को छिपाया गया और महिलाओं की बेरोजगारी दर 40 प्रतिशत बताई गई.
उन्होंने कहा कि मनीष सिसोदिया ने बजटीय भाषण में महिलाओं की बेरोजगारी दर की वास्तविक आंकड़ों को छिपाकर गलत आंकड़े पेश किए. चौ0 अनिल कुमार ने कहा कि फरवरी 2020 में महिलाओं की बेरोजगारी दर 25.6 प्रतिशत थी, लेकिन सर्वे में दिल्ली सरकार ने अक्टूबर-नवम्बर में बेरोजगारी दर 54 प्रतिशत बताई तो फिर फरवरी 2021 में इनकी दर 40 प्रतिशत कैसे हुई. क्योंकि फरवरी 2021 सर्वेक्षण की बेरोजगारी दर की रिपोर्ट अब तक सार्वजनिक नहीं की गई है.
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रोजगार देने में रही है असफल
चौ. अनिल कुमार ने कहा कि अरविन्द केजरीवाल सरकार द्वारा रोजगार बाजार पोर्टल 27 जुलाई, 2020 को लॉन्च किया गया. जिसमें केवल 3.6 प्रतिशत युवाओं ने ही पंजीकरण कराया. उन्होंने कहा कि एक सर्वे की रिपोर्ट के अनुसार, सर्वेक्षण में शामिल 9900 परिवारों में से केवल 0.51 प्रतिशत यानी सिर्फ 51 युवाओं को ही रोजगार के ऑफर मिले. उन्होंने कहा कि जब युवाओं को नौकरियों की ज्यादा जरूरत है. ऐसे समय में अरविन्द केजरीवाल सरकार युवाओं को रोजगार देने में पूरी तरह असफल रही है.