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बस एक क्लिक पर जानें दिल्ली का इतिहास, सरकार ने बनाई वेबसाइट

नई दिल्ली: दिल्ली से संबंधित ऐतिहासिक व अन्य जरूरी दस्तावेज देखना चाहते हैं, तो इसके लिए अब दर-दर भटकने की जरूरत नहीं होगी. अब आप अपने कंप्यूटर पर बस एक क्लिक में यह दस्तावेज घर बैठे देख सकेंगे. दिल्ली सरकार की पहल पर दिल्ली अभिलेखागार ने अपने तमाम पुराने दस्तावेजों का डिजिटल संस्करण तैयार किया है.

बस एक क्लिक पर जानें दिल्ली का इतिहास
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Published : Feb 14, 2019, 7:40 PM IST


पहले चरण में तकरीबन 60 लाख दस्तावेजों को अभिलेख पोर्टल पर अपलोड भी कर दिया है, जिसे अब कोई भी इन्हे देख सकता है. दिल्ली अभिलेखागार के प्रमुख संजय गर्ग ने ईटीवी भारत से बातचीत में कहा कि 13 फरवरी से देश-दुनिया का कोई भी शख्स कहीं से भी दिल्ली से संबंधित वर्ष 1803 से लेकर वर्ष 1993 तक के 60 लाख दस्तावेज ऑनलाइन वह देख सकता है. इसे वेबसाइट पर अपलोड कर दिया गया है.

बस एक क्लिक पर जानें दिल्ली का इतिहास
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सबसे पुराना मुगल काल
संजय ने बताया कि जिन दस्तावेजों का डिजिटाइजेशन किया गया है, उनमें सबसे पुराना मुगल काल में बहादुर शाह जफर पर जो सरकार ने मुकदमा चलाया था और उस मुकदमे से संबंधित दस्तावेज की प्रति है. साथ ही भगत सिंह व अन्य स्वतंत्रता सेनानियों के खिलाफ जो दिल्ली में मुकदमे हुए मामले चले उनके दस्तावेज सब को भी इसमें अपलोड किया गया है.

इस तरह देख सकते हैं दस्तावेज
website- http://archive.delhi.gov.in/abhilekh इस वेबसाइट पर e-अभिलेख पोर्टल में रजिस्टर्ड कर कोई भी शख्स संबंधित दस्तावेज देख सकता है.

मार्च 2020 में पूरा होगा काम
संजय गर्ग ने कहा कि योजना के अनुसार मार्च 2020 तक करीब 4 करोड़ दस्तावेजों को ऑनलाइन उपलब्ध कराने का लक्ष्य तय किया गया है. इस मद में तकरीबन 25.40 करोड़ रुपये खर्च होंगे. दिल्ली सरकार ने इसे तय समय सीमा के भीतर पूरा करने का निर्देश दिया है.

अगस्त 2017 से शुरू हुआ था काम
उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के दिशा निर्देश पर मार्च अगस्त 2017 से डिजिटाइजेशन और दस्तावेजों को माइक्रोफिल्मिंग का काम शुरू किया गया था. कुल चार करोड़ दस्तावेज में से अब तक 1.60 करोड़ दस्तावेजों का स्कैन किया जा चुका है इसमें 60 लाख दस्तावेजों को पोर्टल पर उपलब्ध कराया जा चुका है. संजय गर्ग कहते हैं कि अभिलेखागार में करीब 10 करोड़ अभिलेख उपलब्ध हैं. जिनमें से चार करोड़ अभिलेखों के डिजिटाइजेशन और माइक्रोफिल्मिंग करने का निर्णय दिल्ली सरकार ने लिया था.

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दिल्ली अभिलेखागार की वेबसाइट पर वर्ष 1993 तक की भूमि और संपत्तियों की रजिस्ट्रेशन भी लोग आसानी से देख सकेंगे. इसके पोर्टल पर जाने पर लोगों को ऐतिहासिक दस्तावेज और संपत्तियों की रजिस्ट्रेशन के दो विकल्प मिलेंगे. विकल्पों में से जो दस्तावेज वे देखना चाहते हैं वह एक क्लिक पर उपलब्ध होगा.

बता दें कि दिल्ली अभिलेखागार की स्थापना वर्ष 1972 में दिल्ली के अभिलेखों के संरक्षण और संवर्धन के लिए की गई थी. अभिलेखागार में ऐतिहासिक महत्व के दस्तावेज व अभिलेख संरक्षित हैं.


पहले चरण में तकरीबन 60 लाख दस्तावेजों को अभिलेख पोर्टल पर अपलोड भी कर दिया है, जिसे अब कोई भी इन्हे देख सकता है. दिल्ली अभिलेखागार के प्रमुख संजय गर्ग ने ईटीवी भारत से बातचीत में कहा कि 13 फरवरी से देश-दुनिया का कोई भी शख्स कहीं से भी दिल्ली से संबंधित वर्ष 1803 से लेकर वर्ष 1993 तक के 60 लाख दस्तावेज ऑनलाइन वह देख सकता है. इसे वेबसाइट पर अपलोड कर दिया गया है.

बस एक क्लिक पर जानें दिल्ली का इतिहास
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सबसे पुराना मुगल काल
संजय ने बताया कि जिन दस्तावेजों का डिजिटाइजेशन किया गया है, उनमें सबसे पुराना मुगल काल में बहादुर शाह जफर पर जो सरकार ने मुकदमा चलाया था और उस मुकदमे से संबंधित दस्तावेज की प्रति है. साथ ही भगत सिंह व अन्य स्वतंत्रता सेनानियों के खिलाफ जो दिल्ली में मुकदमे हुए मामले चले उनके दस्तावेज सब को भी इसमें अपलोड किया गया है.

इस तरह देख सकते हैं दस्तावेज
website- http://archive.delhi.gov.in/abhilekh इस वेबसाइट पर e-अभिलेख पोर्टल में रजिस्टर्ड कर कोई भी शख्स संबंधित दस्तावेज देख सकता है.

मार्च 2020 में पूरा होगा काम
संजय गर्ग ने कहा कि योजना के अनुसार मार्च 2020 तक करीब 4 करोड़ दस्तावेजों को ऑनलाइन उपलब्ध कराने का लक्ष्य तय किया गया है. इस मद में तकरीबन 25.40 करोड़ रुपये खर्च होंगे. दिल्ली सरकार ने इसे तय समय सीमा के भीतर पूरा करने का निर्देश दिया है.

अगस्त 2017 से शुरू हुआ था काम
उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के दिशा निर्देश पर मार्च अगस्त 2017 से डिजिटाइजेशन और दस्तावेजों को माइक्रोफिल्मिंग का काम शुरू किया गया था. कुल चार करोड़ दस्तावेज में से अब तक 1.60 करोड़ दस्तावेजों का स्कैन किया जा चुका है इसमें 60 लाख दस्तावेजों को पोर्टल पर उपलब्ध कराया जा चुका है. संजय गर्ग कहते हैं कि अभिलेखागार में करीब 10 करोड़ अभिलेख उपलब्ध हैं. जिनमें से चार करोड़ अभिलेखों के डिजिटाइजेशन और माइक्रोफिल्मिंग करने का निर्णय दिल्ली सरकार ने लिया था.

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दिल्ली अभिलेखागार की वेबसाइट पर वर्ष 1993 तक की भूमि और संपत्तियों की रजिस्ट्रेशन भी लोग आसानी से देख सकेंगे. इसके पोर्टल पर जाने पर लोगों को ऐतिहासिक दस्तावेज और संपत्तियों की रजिस्ट्रेशन के दो विकल्प मिलेंगे. विकल्पों में से जो दस्तावेज वे देखना चाहते हैं वह एक क्लिक पर उपलब्ध होगा.

बता दें कि दिल्ली अभिलेखागार की स्थापना वर्ष 1972 में दिल्ली के अभिलेखों के संरक्षण और संवर्धन के लिए की गई थी. अभिलेखागार में ऐतिहासिक महत्व के दस्तावेज व अभिलेख संरक्षित हैं.

Intro:नई दिल्ली. दिल्ली से संबंधित ऐतिहासिक व अन्य जरूरी दस्तावेज देखना चाहते हैं, तो इसके लिए अब दर-दर भटकने की जरूरत नहीं होगी. अब आप अपने कंप्यूटर पर बस एक क्लिक में यह दस्तावेज घर बैठे देख सकेंगे. दिल्ली सरकार के पहल पर दिल्ली अभिलेखागार ने अपने तमाम पुराने दस्तावेजों का डिजिटल संस्करण तैयार किया है. पहले चरण में तकरीबन 60 लाख दस्तावेजों को अभिलेख पोर्टल पर अपलोड भी कर दिया है जिसे अब कोई भी इन्हे देख सकता है.


Body:दिल्ली अभिलेखागार के प्रमुख संजय गर्ग ने ईटीवी भारत से बातचीत में कहा कि 13 फरवरी यानी आज से देश-दुनिया का कोई भी शख्स कहीं से भी दिल्ली से संबंधित वर्ष 1803 से लेकर वर्ष 1993 तक के 60 लाख दस्तावेज ऑनलाइन वह देख सकता है. आज इसे वेबसाइट पर अपलोड कर दिया गया है. बताते हैं जो जिन दस्तावेजों का डिजिटाइजेशन किया गया है उनमें सबसे पुराना मुगल काल में बहादुर शाह जफर पर जो सरकार ने मुकदमा चलाया था और उस मुकदमे से संबंधित दस्तावेज की प्रति है. साथ ही भगत सिंह व अन्य स्वतंत्रता सेनानियों के खिलाफ जो दिल्ली में मुकदमे हुए मामले चले उनके दस्तावेज सब को भी इसमें अपलोड किया गया है.

इस तरह देख सकते हैं दस्तावेज

website- http://archive.delhi.gov.in/abhilekh इस वेबसाइट पर e-अभिलेख पोर्टल में रजिस्टर्ड कर कोई भी शख्स संबंधित दस्तावेज देख सकता है.

मार्च 2020 में पूरा होगा काम

संजय गर्ग ने कहा कि योजना के अनुसार मार्च 2020 तक करीब 4 करोड़ दस्तावेजों को ऑनलाइन उपलब्ध कराने का लक्ष्य तय किया गया है. इस मद में तकरीबन 25.40 करोड़ रुपये खर्च होंगे. दिल्ली सरकार ने इसे तय समय सीमा के भीतर पूरा करने का निर्देश दिया है.

अगस्त 2017 से शुरू हुआ था काम

उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के दिशा निर्देश पर मार्च अगस्त 2017 से डिजिटाइजेशन और दस्तावेजों को माइक्रोफिल्मिंग का काम शुरू किया गया था. कुल चार करोड़ दस्तावेज में से अब तक 1.60 करोड़ दस्तावेजों का स्कैन किया जा चुका है इसमें 60 लाख दस्तावेजों को पोर्टल पर उपलब्ध कराया जा चुका है. संजय गर्ग कहते हैं कि अभिलेखागार में करीब 10 करोड़ अभिलेख उपलब्ध हैं. जिनमें से चार करोड़ अभिलेखों के डिजिटाइजेशन और माइक्रोफिल्मिंग करने का निर्णय दिल्ली सरकार ने लिया था.


दिल्ली अभिलेखागार की वेबसाइट पर वर्ष 1993 तक की भूमि और संपत्तियों की रजिस्ट्रेशन भी लोग आसानी से देख सकेंगे. इसके पोर्टल पर जाने पर लोगों को ऐतिहासिक दस्तावेज और संपत्तियों की रजिस्ट्रेशन के दो विकल्प मिलेंगे. विकल्पों में से जो दस्तावेज वे देखना चाहते हैं वह एक क्लिक पर उपलब्ध होगा.

बता दें कि दिल्ली अभिलेखागार की स्थापना वर्ष 1972 में दिल्ली के अभिलेखों के संरक्षण और संवर्धन के लिए की गई थी. अभिलेखागार में ऐतिहासिक महत्व के दस्तावेज व अभिलेख संरक्षित हैं.

समाप्त, आशुतोष झा


Conclusion:
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