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छावला सामूहिक दुष्कर्म: दिल्ली महिला आयोग ने पुलिस से पीड़िता के परिजनों की सुरक्षा की मांग की

दिल्ली महिला आयोग (Delhi Commission for Women) की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल (Swati Maliwal) ने छावला सामूहिक दुष्कर्म की शिकार पीड़िता के परिजनों की सुरक्षा की मांग की है. उन्होंने दिल्ली पुलिस को नोटिस भेजकर परिजनों को सुरक्षा देने को कहा.

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Published : Nov 9, 2022, 5:06 PM IST

नई दिल्लीः दिल्ली महिला आयोग (Delhi Commission for Women) की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल (Swati Maliwal) ने सामूहिक दुष्कर्म की 19 वर्षीय पीड़िता के परिवार की सुरक्षा मामले में स्वत: संज्ञान लिया है. लड़की छावला, दिल्ली की निवासी थी और उसका 2012 में कुतुब विहार से अपहरण कर लिया गया था. उसका मृत शरीर अपहरण के तीन दिन बाद हरियाणा में क्षत-विक्षत अवस्था में पाया गया था. उसकी बेरहमी से हत्या करने से पहले लड़की के साथ क्रूरता की गयी थी.

दिल्ली महिला आयोग ने मीडिया रिपोर्ट्स का हवाला देते हुए कहा कि उसके मुताबिक लड़की के साथ सामूहिक दुष्कर्म किया गया, उसकी आंखों में तेजाब डाला गया, उसके गुप्तांगों में कांच की बोतल डाली गई, उसे सिगरेट और लोहे की रॉड से जलाया गया और अंत में उसकी हत्या कर दी गई. 2014 में निचली अदालत ने आरोपी व्यक्तियों को दोषी ठहराया और उन्हें मौत की सजा दी. दिल्ली उच्च न्यायालय ने भी इस मामले को दुर्लभतम मामला मानते हुए फैसले को बरकरार रखा. सर्वोच्च न्यायालय ने मामले की जांच और परीक्षण पर अपनी नाराजगी व्यक्त की है और कुछ अन्य चूकों के साथ अपर्याप्त सबूत और अनुचित जांच का हवाला देते हुए सभी तीन अभियुक्तों को बरी कर दिया है.

डीसीडब्ल्यू चेयरमैन स्वाति मालीवाल ने पुलिस को नोटिस भेज मांगी सुरक्षा
डीसीडब्ल्यू चेयरमैन स्वाति मालीवाल ने पुलिस को नोटिस भेज मांगी सुरक्षा

महिला आयोग ने दिल्ली पुलिस को जारी नोटिस में कहा है कि मामला बेहद संवेदनशील है और इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि अपराधी खुले घूम रहे हैं, मृतक लड़की के परिवार के सदस्यों को तुरंत उच्च स्तरीय सुरक्षा प्रदान की जानी चाहिए. आयोग ने पुलिस से मामले में की गई कार्रवाई की रिपोर्ट मांगी है और पुलिस से पीड़िता के परिवार के सदस्यों को मुहैया कराई गई सुरक्षा की जानकारी देने को कहा है. दिल्ली पुलिस को उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए उठाए गए अन्य कदमों के बारे में 48 घंटों में आयोग को सूचित करने के लिए भी कहा गया है.

दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने कहा, "मैं उस जघन्य अपराध और मामले की प्रगति से बहुत दुखी हूं, जिसके कारण अंततः मृतका और उसके परिवार को न्याय से वंचित होना पड़ा. यह कई स्तरों पर गहराई से परेशान करने वाला है और हमारे सिस्टम पर कई सवाल उठाता है. आयोग मामले में कानूनी राय ले रहा है. हालांकि, इस बीच परिवार की सुरक्षा चिंता का विषय है और इसलिए हमने इसे सुनिश्चित करने के लिए दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया है."

Chhawla Gang Rape: कोर्ट के फैसले के बाद पीड़िता के परिजनों ने निकाला कैंडल मार्च, जताई नाराजगी

साथ ही राष्ट्रीय स्वाभिमान आंदोलन के राष्ट्रीय सह-संयोजक जगदीश ममगांई ने गृह मंत्री अमित शाह से छावला की रहने वाली 19 वर्षीय लड़की के साथ दुष्कर्म व बर्बरतापूर्ण हत्या की जांच व अभियोजन में लापरवाही बरतने और अभियुक्तों को सज़ा दिलाने में नाकाम रहने वाले दिल्ली पुलिस के जांच दल पर सख्त कार्रवाई करने का आग्रह किया है. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने भी पुलिस पर सवाल खड़े किए कि जांच अधिकारी द्वारा 14 फरवरी 2012 और 16 फरवरी 2012 को आरोपी और मृतक से संबंधित नमूने जांच के लिए प्राप्त किए गए लेकिन उन्हें 27 फरवरी 2012 को जांच के लिए सीएफएसएल भेजा गया, आखिर 11 दिन तक वे थाने के मालखाना में क्यों रहे? ऐसे में एकत्र किए गए नमूनों से भी छेड़छाड़ की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है.

नई दिल्लीः दिल्ली महिला आयोग (Delhi Commission for Women) की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल (Swati Maliwal) ने सामूहिक दुष्कर्म की 19 वर्षीय पीड़िता के परिवार की सुरक्षा मामले में स्वत: संज्ञान लिया है. लड़की छावला, दिल्ली की निवासी थी और उसका 2012 में कुतुब विहार से अपहरण कर लिया गया था. उसका मृत शरीर अपहरण के तीन दिन बाद हरियाणा में क्षत-विक्षत अवस्था में पाया गया था. उसकी बेरहमी से हत्या करने से पहले लड़की के साथ क्रूरता की गयी थी.

दिल्ली महिला आयोग ने मीडिया रिपोर्ट्स का हवाला देते हुए कहा कि उसके मुताबिक लड़की के साथ सामूहिक दुष्कर्म किया गया, उसकी आंखों में तेजाब डाला गया, उसके गुप्तांगों में कांच की बोतल डाली गई, उसे सिगरेट और लोहे की रॉड से जलाया गया और अंत में उसकी हत्या कर दी गई. 2014 में निचली अदालत ने आरोपी व्यक्तियों को दोषी ठहराया और उन्हें मौत की सजा दी. दिल्ली उच्च न्यायालय ने भी इस मामले को दुर्लभतम मामला मानते हुए फैसले को बरकरार रखा. सर्वोच्च न्यायालय ने मामले की जांच और परीक्षण पर अपनी नाराजगी व्यक्त की है और कुछ अन्य चूकों के साथ अपर्याप्त सबूत और अनुचित जांच का हवाला देते हुए सभी तीन अभियुक्तों को बरी कर दिया है.

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महिला आयोग ने दिल्ली पुलिस को जारी नोटिस में कहा है कि मामला बेहद संवेदनशील है और इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि अपराधी खुले घूम रहे हैं, मृतक लड़की के परिवार के सदस्यों को तुरंत उच्च स्तरीय सुरक्षा प्रदान की जानी चाहिए. आयोग ने पुलिस से मामले में की गई कार्रवाई की रिपोर्ट मांगी है और पुलिस से पीड़िता के परिवार के सदस्यों को मुहैया कराई गई सुरक्षा की जानकारी देने को कहा है. दिल्ली पुलिस को उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए उठाए गए अन्य कदमों के बारे में 48 घंटों में आयोग को सूचित करने के लिए भी कहा गया है.

दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने कहा, "मैं उस जघन्य अपराध और मामले की प्रगति से बहुत दुखी हूं, जिसके कारण अंततः मृतका और उसके परिवार को न्याय से वंचित होना पड़ा. यह कई स्तरों पर गहराई से परेशान करने वाला है और हमारे सिस्टम पर कई सवाल उठाता है. आयोग मामले में कानूनी राय ले रहा है. हालांकि, इस बीच परिवार की सुरक्षा चिंता का विषय है और इसलिए हमने इसे सुनिश्चित करने के लिए दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया है."

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