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महिला श्रमिकों के बच्चों की देखभाल को लेकर DCPCR चिंतित, उठाएंगी ये कदम

डीसीपीसीआर सरकार और सिविल बॉडी की मदद से इन बच्चों की देखभाल के लिए सुविधा करेगा. इसके लिए संस्थाओं की मदद भी ली जाएगी, इसके अलावा मोबाइल क्रैच की संख्या भी बढ़ाई जाएगी.

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Published : Feb 28, 2020, 9:49 AM IST

Delhi child protection concerns the children of women workers
दिल्ली बाल संरक्षण को महिला श्रमिकों के बच्चों की चिंता

नई दिल्ली: दिल्ली बाल संरक्षण एवं अधिकारी आयोग ने महिला श्रमिकों के बच्चों के पालन पोषण को लेकर चिंता जाहिर की है, जिसको लेकर एक संगठित चर्चा आयोजित की गई जिसमें डीसीपीसीआर के चेयरपर्सन रमेश नेगी और मेंबर रीता सिंह समेत कई संस्था और सरकार के अधिकारी शामिल हुए.

दिल्ली बाल संरक्षण को महिला श्रमिकों के बच्चों की चिंता

महिला मजदूरों के पालन पोषण पर व्यक्त की चिंता

डीसीपीसीआर की मेंबर रीता सिंह ने बताया कि कई बार हम अपने आसपास महिला श्रमिकों को मजदूरी करते हुए देखते हैं. इस दौरान उनके साथ उनके बच्चे भी होते हैं जो या तो सड़क किनारे खेल रहे होते हैं या अच्छी हालत में नहीं होते ऐसे में उनके पालन-पोषण और देखभाल की चिंता बढ़ा विषय होता है जब हम ने इस पर उन महिलाओं से बात की तो उनका कहना था कि उनके पास मजदूरी के दौरान अपने बच्चों की देखभाल बड़ी चिंता होती है, क्योंकि ना तो वह किसी के पास अपने बच्चे को छोड़ सकते हैं और ना ही सरकार की तरफ से ऐसी कोई सुविधा है जिससे कि उनके बच्चों की देखभाल हो सके.

आंगनबाड़ी और मोबाइल क्रैच है उपलब्ध

रीता सिंह ने बताया कि मोबाइल क्रैच और आंगनबाड़ी की सुविधा हमारे बीच उपलब्ध हैं लेकिन हर जगह मोबाइल क्रैच नहीं है. वहीं आंगनबाड़ी में केवल बच्चा 3 से 4 घंटे की समय बता सकता है उसके बाद उस बच्चे की देखभाल कौन करेगा, यह सवाल सामने आता है क्योंकि ऐसे में बच्चों का ना तो मानसिक शारीरिक हो पाता है बल्कि इनकी सुरक्षा को लेकर भी बड़े सवाल खड़े हो जाते हैं.

बढ़ाई जाएगी मोबाइल क्रेज की सुविधा

रीता सिंह का कहना था कि इस विषय पर चर्चा के बाद डीसीपीसीआर सरकार और सिविल बॉडी की मदद से इन बच्चों की देखभाल के लिए सुविधा करेगा इसके लिए संस्थाओं की मदद भी ली जाएगी, इसके अलावा मोबाइल क्रैच की संख्या भी बढ़ाई जाएगी, जिससे कि इन बच्चों का सही से पालन पोषण के जरिए विकास हो सके.

नई दिल्ली: दिल्ली बाल संरक्षण एवं अधिकारी आयोग ने महिला श्रमिकों के बच्चों के पालन पोषण को लेकर चिंता जाहिर की है, जिसको लेकर एक संगठित चर्चा आयोजित की गई जिसमें डीसीपीसीआर के चेयरपर्सन रमेश नेगी और मेंबर रीता सिंह समेत कई संस्था और सरकार के अधिकारी शामिल हुए.

दिल्ली बाल संरक्षण को महिला श्रमिकों के बच्चों की चिंता

महिला मजदूरों के पालन पोषण पर व्यक्त की चिंता

डीसीपीसीआर की मेंबर रीता सिंह ने बताया कि कई बार हम अपने आसपास महिला श्रमिकों को मजदूरी करते हुए देखते हैं. इस दौरान उनके साथ उनके बच्चे भी होते हैं जो या तो सड़क किनारे खेल रहे होते हैं या अच्छी हालत में नहीं होते ऐसे में उनके पालन-पोषण और देखभाल की चिंता बढ़ा विषय होता है जब हम ने इस पर उन महिलाओं से बात की तो उनका कहना था कि उनके पास मजदूरी के दौरान अपने बच्चों की देखभाल बड़ी चिंता होती है, क्योंकि ना तो वह किसी के पास अपने बच्चे को छोड़ सकते हैं और ना ही सरकार की तरफ से ऐसी कोई सुविधा है जिससे कि उनके बच्चों की देखभाल हो सके.

आंगनबाड़ी और मोबाइल क्रैच है उपलब्ध

रीता सिंह ने बताया कि मोबाइल क्रैच और आंगनबाड़ी की सुविधा हमारे बीच उपलब्ध हैं लेकिन हर जगह मोबाइल क्रैच नहीं है. वहीं आंगनबाड़ी में केवल बच्चा 3 से 4 घंटे की समय बता सकता है उसके बाद उस बच्चे की देखभाल कौन करेगा, यह सवाल सामने आता है क्योंकि ऐसे में बच्चों का ना तो मानसिक शारीरिक हो पाता है बल्कि इनकी सुरक्षा को लेकर भी बड़े सवाल खड़े हो जाते हैं.

बढ़ाई जाएगी मोबाइल क्रेज की सुविधा

रीता सिंह का कहना था कि इस विषय पर चर्चा के बाद डीसीपीसीआर सरकार और सिविल बॉडी की मदद से इन बच्चों की देखभाल के लिए सुविधा करेगा इसके लिए संस्थाओं की मदद भी ली जाएगी, इसके अलावा मोबाइल क्रैच की संख्या भी बढ़ाई जाएगी, जिससे कि इन बच्चों का सही से पालन पोषण के जरिए विकास हो सके.

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