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ग्रेटर कैलाश सीटः क्या सौरभ भारद्वाज का किला भेद पाएगी कांग्रेस या BJP? लगातार तीन बार से जीत रहे - GREATER KAILASH ASSEMBLY SEAT

साल 2013 से अब तक लगातार तीन बार से जीत रहे आम आदमी पार्टी के सौरभ भारद्वाज

ग्रेटर कैलाश सीट से प्रत्याशी हैं आप के सौरभ भारद्वाज
ग्रेटर कैलाश सीट से प्रत्याशी हैं आप के सौरभ भारद्वाज (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Jan 11, 2025, 12:34 PM IST

नई दिल्ली : नई दिल्ली लोकसभा सीट के अंतर्गत आने वाले ग्रेटर कैलाश विधानसभा क्षेत्र दिल्ली की पॉश सीट मानी जाती है. यह विधानसभा सीट वर्ष 2008 में परिसीमन आयोग द्वारा पुनर्गठन के बाद बना है. दिल्ली के ग्रेटर कैलाश ईलाके में पॉश रिहायशी इलाके और मशहूर मार्केट है. जीके 1 और जीके 2 मार्केट दिल्ली की नहीं दुनियाभर में मशहूर है. ग्रेटर कैलाश दिल्ली का 50 नंबर विधानसभा सीट है. इस विधानसभा में भी एक दर्जन से अधिक गांव और कई अनाधिकृत कॉलोनियां हैं.

राजनीतिक परिदृश्य: ग्रेटर कैलाश विधानसभा सीट बनने के बाद यहां से बीजेपी के विजय कुमार मल्होत्रा विधायक निर्वाचित हुए थे. उन्हें कुल वोटो में से 53 फीसद वोट प्राप्त हुआ था. उसके बाद वर्ष 2013 के बाद से अब तक तीन बार हुए विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी के सौरभ भारद्वाज ही विजय हुए हैं. अभी तक कांग्रेस ने 70 में से 48 विधानसभा सीटों पर प्रत्याशियों के नाम का ऐलान किया है. जिसमें से ग्रेटर कैलाश विधानसभा सीट से गर्वित सिंघवी को प्रत्याशी बनाया है. वहीं बीजेपी ने अभी यहां पर प्रत्याशी के नाम का ऐलान नहीं किया है. पिछले तीन विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने अलग-अलग उम्मीदवार यहां पर उतारे हैं. लेकिन वह विजय नहीं हुए. वर्ष 2013 में बीजेपी ने अजय कुमार मल्होत्रा को टिकट दिया था. वह चुनाव हार गए. वर्ष 2015 में राकेश कुमार गुलिया को प्रत्याशी बनाया था, वहीं 2020 में शिखा राय को बीजेपी ने टिकट दिया था. मगर तीनों ही बार बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा है.

जीत-हार में भूमिका: ग्रेटर कैलाश को भौगोलिक दृष्टि से देखा जाए तो यहां की आबादी बढ़ी है. इस विधानसभा सीट में सरकारी नौकरी पेशा करने वाले लोगों की संख्या अच्छी खासी है. चितरंजन पार्क जो मिनी बंगाल के नाम से जाना जाता है यहां बंगाली समुदाय के लोग भी किसी को एकतरफा वोट करते हैं. जीत-हार काफी हद तक यहां अनधिकृत कॉलोनी में रहने वाले मतदाताओं पर निर्भर करता है. इस विधानसभा में बड़े-बड़े बिजनेस हाउस मार्केट व शोरूम है. पंजाबी समुदाय का वोट भी निर्णायक है.

विधानसभा का राजनीतिक मिजाज: वर्ष 2008 से अब तक चार बार हुए विधानसभा चुनाव में यहां से एक बार बीजेपी ने बाजी मारी है. जबकि लगातार तीन बार आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार ने जीत हासिल की. दरअसल, इस इलाके में मतदाता चुनाव के वक्त के माहौल के साथ नहीं बल्कि मुद्दे के साथ जाते हैं. वर्ष 2008 में यहां बीजेपी ने जीत हासिल की तो उसके बाद सौरभ भारद्वाज ने लगातार तीन बार बीजेपी के प्रत्याशी को हराकर जीत हासिल की.

इस विधानसभा चुनाव के मुद्दे: ग्रेटर कैलाश विधानसभा क्षेत्र के चुनावी मुद्दे कई हैं. जिनमें यहां के इलाकों में खस्ताहाल सड़कें, साफ-सफाई का मुद्दा, स्कूलों हॉस्पिटल के पास अतिक्रमण की समस्या और प्रदूषण से यहां के लोगों खासे परेशान हैं. ट्रैफिक जाम व पार्किंग की समस्या इस बार भी यह चुनावी मुद्दे कायम है. क्योंकि आम आदमी पार्टी के विधायक सौरभ भारद्वाज लगातार तीन विधानसभा चुनाव से यहां निर्वाचित हुए हैं. ऐसे में इन समस्याओं को दूर करने में क्या अड़चनें आई, वोट देने से पहले यहां के मतदाता जरूर विचार करेंगे.

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नई दिल्ली : नई दिल्ली लोकसभा सीट के अंतर्गत आने वाले ग्रेटर कैलाश विधानसभा क्षेत्र दिल्ली की पॉश सीट मानी जाती है. यह विधानसभा सीट वर्ष 2008 में परिसीमन आयोग द्वारा पुनर्गठन के बाद बना है. दिल्ली के ग्रेटर कैलाश ईलाके में पॉश रिहायशी इलाके और मशहूर मार्केट है. जीके 1 और जीके 2 मार्केट दिल्ली की नहीं दुनियाभर में मशहूर है. ग्रेटर कैलाश दिल्ली का 50 नंबर विधानसभा सीट है. इस विधानसभा में भी एक दर्जन से अधिक गांव और कई अनाधिकृत कॉलोनियां हैं.

राजनीतिक परिदृश्य: ग्रेटर कैलाश विधानसभा सीट बनने के बाद यहां से बीजेपी के विजय कुमार मल्होत्रा विधायक निर्वाचित हुए थे. उन्हें कुल वोटो में से 53 फीसद वोट प्राप्त हुआ था. उसके बाद वर्ष 2013 के बाद से अब तक तीन बार हुए विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी के सौरभ भारद्वाज ही विजय हुए हैं. अभी तक कांग्रेस ने 70 में से 48 विधानसभा सीटों पर प्रत्याशियों के नाम का ऐलान किया है. जिसमें से ग्रेटर कैलाश विधानसभा सीट से गर्वित सिंघवी को प्रत्याशी बनाया है. वहीं बीजेपी ने अभी यहां पर प्रत्याशी के नाम का ऐलान नहीं किया है. पिछले तीन विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने अलग-अलग उम्मीदवार यहां पर उतारे हैं. लेकिन वह विजय नहीं हुए. वर्ष 2013 में बीजेपी ने अजय कुमार मल्होत्रा को टिकट दिया था. वह चुनाव हार गए. वर्ष 2015 में राकेश कुमार गुलिया को प्रत्याशी बनाया था, वहीं 2020 में शिखा राय को बीजेपी ने टिकट दिया था. मगर तीनों ही बार बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा है.

जीत-हार में भूमिका: ग्रेटर कैलाश को भौगोलिक दृष्टि से देखा जाए तो यहां की आबादी बढ़ी है. इस विधानसभा सीट में सरकारी नौकरी पेशा करने वाले लोगों की संख्या अच्छी खासी है. चितरंजन पार्क जो मिनी बंगाल के नाम से जाना जाता है यहां बंगाली समुदाय के लोग भी किसी को एकतरफा वोट करते हैं. जीत-हार काफी हद तक यहां अनधिकृत कॉलोनी में रहने वाले मतदाताओं पर निर्भर करता है. इस विधानसभा में बड़े-बड़े बिजनेस हाउस मार्केट व शोरूम है. पंजाबी समुदाय का वोट भी निर्णायक है.

विधानसभा का राजनीतिक मिजाज: वर्ष 2008 से अब तक चार बार हुए विधानसभा चुनाव में यहां से एक बार बीजेपी ने बाजी मारी है. जबकि लगातार तीन बार आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार ने जीत हासिल की. दरअसल, इस इलाके में मतदाता चुनाव के वक्त के माहौल के साथ नहीं बल्कि मुद्दे के साथ जाते हैं. वर्ष 2008 में यहां बीजेपी ने जीत हासिल की तो उसके बाद सौरभ भारद्वाज ने लगातार तीन बार बीजेपी के प्रत्याशी को हराकर जीत हासिल की.

इस विधानसभा चुनाव के मुद्दे: ग्रेटर कैलाश विधानसभा क्षेत्र के चुनावी मुद्दे कई हैं. जिनमें यहां के इलाकों में खस्ताहाल सड़कें, साफ-सफाई का मुद्दा, स्कूलों हॉस्पिटल के पास अतिक्रमण की समस्या और प्रदूषण से यहां के लोगों खासे परेशान हैं. ट्रैफिक जाम व पार्किंग की समस्या इस बार भी यह चुनावी मुद्दे कायम है. क्योंकि आम आदमी पार्टी के विधायक सौरभ भारद्वाज लगातार तीन विधानसभा चुनाव से यहां निर्वाचित हुए हैं. ऐसे में इन समस्याओं को दूर करने में क्या अड़चनें आई, वोट देने से पहले यहां के मतदाता जरूर विचार करेंगे.

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