नई दिल्ली: दिल्ली की कड़कड़डूमा कोर्ट ने 2020 के उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगे से जुड़े बड़ी साजिश के मामले की सुनवाई के दौरान एक आरोपी की ओर से पेश वकील महमूद प्राचा की स्पेशल पब्लिक प्रोसिक्युटर अमित प्रसाद के खिलाफ बेतुके आरोप लगाने पर आलोचना की. एडिशनल सेशंस जज अमिताभ रावत ने कहा कि वह महमूद प्राचा के आरोपों में नहीं पड़ना चाहते हैं और अमित प्रसाद चाहे तो इन आरोपों के खिलाफ कार्रवाई कर सकते हैं.
गुरुवार को कोर्ट इस मामले के आरोपी तसलीम अहमद की जमानत याचिका पर सुनवाई कर रही थी. कोर्ट ने कहा कि वो स्पेशल पब्लिक प्रोसिक्युटर के खिलाफ लगाए गए किसी भी सबूत के बिना निराधारा आरोपों की निंदा करती है और खासकर तब जब यह मामले के गुण-दोष से संबंधित नहीं हैं. तब प्राचा और प्रसाद ने एक-दूसरे पर चिल्लाना शुरू कर दिया और निजी आरोप लगाए. इसके बाद कोर्ट ने मामले की सुनवाई स्थगित कर दी. सुनवाई स्थगित करने के बाद महमूद प्राचा ने मामले की जल्द सुनवाई के लिए अर्जी दाखिल किया. अर्जी में कहा गया था कि अमित प्रसाद ने प्राचा को मामले में फंसाने की धमकी दी थी.
प्राचा ने कहा कि उन्होंने एक निजी जांच कराई थी, जिसमें पाया गया था कि अमित प्रसाद पुलिस से नकद में पैसे ले रहे थे. महमूद प्राचा की अर्जी का जवाब देते हुए अमित प्रसाद ने कहा कि जब उनके खिलाफ लगाए गए तब आरोपों को साबित करने के लिए साक्ष्य पेश करने चाहिए. अमित प्रसाद ने कहा कि अभियोजन पक्ष को इस तरह से धमकाया नहीं जा सकता है.
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7 दिसंबर को अगली सुनवाई: अमित प्रसाद ने कहा कि महमूद प्राचा इस मामले में आरोपियों की ओर से पेश नहीं हो सकते, क्योंकि संरक्षित गवाहों में से एक स्मिथ ने प्राचा के नाम का उल्लेख किया था. उन्होंने कहा कि ये हितों का टकराव है क्योंकि प्राचा को गवाह के तौर पर तलब किया जा सकता है.
कोर्ट ने कहा कि वो इस मामले में नहीं पड़ सकती है कि किसी मामले में अभियोजन या वकील के रूप में किसे नियुक्त किया गया था और यह आरोपी को तय करना है कि वह वकील के रूप में किसे चाहता है. कोर्ट ने तसलीम अहमद की जमानत याचिका पर अगली सुनवाई के लिए 7 दिसंबर की तिथि तय की है.
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