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प्रवासी दिवस विशेष: मजदूरों को अब भी है रोटी का संकट, रोजी का अनलॉक कब? - Workers after lockdown

लॉकडाउन के बाद भी प्रवासी मजदूरों की हालत सुधरने का नाम नहीं ले रही है. आज भी ये मजदूर कामकाज न मिलने से काफी परेशानियों का सामना कर रहे हैं. दो वक्त की खाना जुटाना भी इनके लिए भारी पड़ रहा है. आइए जानते है इन मजबूर मजदूरों के हालात...

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मजदूरों को रोटी का संकट
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Published : Dec 18, 2020, 5:20 AM IST

Updated : Dec 18, 2020, 6:57 AM IST

नई दिल्ली: कोरोना बीमारी के चलते लगाए गए लॉकडाउन ने कई लोगों की जिंदगियों को प्रभावित किया. इनमें से एक हैं मजदूर, जिन्होंने लॉकडाउन के दर्द को सबसे ज्यादा सहा है. अब लॉकडाउन हट चुका है, लेकिन मजदूरों के हालात सुधरने का नाम नहीं ले रहे हैं. लॉकडाउन में रोजगार खो चुके मजदूर आज भी काम की तलाश में दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं. आलम ये है कि इन मजदूरों को दो वक्त की खाना जुटाना भी इनके लिए भारी पड़ रहा है.

मजदूरों को अब भी है रोटी का संकट

मजदूरों ने झेला लॉकडाउन का दंश

कोरोना महामारी का सबसे ज्यादा दंश मजदूरों ने झेला है. कोरोना के कारण लगाए लॉकडाउन ने इनकी रोजी छीन ली, जिससे कुछ ही दिनों में रोटी भी बंद हो गई. ऐसे में उन्हें अपना आशियाना छोड़कर वापस जाना पड़ा. लॉकडाउन के कारण वाहनों के पहिए थमें थे, लेकिन भूखे पेटों ने उन्हें ताकत दी और वे पैदल ही निकल पड़े. हजारों किलोमीटर की यात्रा कर कुछ तो घर पहुंचे और कुछ ने रास्ते में ही दम तोड़ दिया.

बेरोजगारी ने फिर किया मजबूर

अपने गांव वापस आए मजदूरों को उम्मीद थी कि उन्हें अपने गांव में राेजगार मिलेगा और वे अब इन शहरों में वापस नहीं जाएंगे लेकिन सरकार ने रोजगार की कोई व्यवस्था नहीं की. ऐसे में उन्हें निराश होकर फिर शहरों की ओर पलायन करना पड़ा. जहां वे रोजी की तलाश में अब भी संघर्ष कर रहे हैं.

भरण पोषण हुआ मुश्किल

मजदूरों ने बताया कि महीनों से काम बंद होने के चलते उनके जीवन-यापन का संकट आ गया था. लॉकडाउन हटने के बाद उन्हें आशा की एक किरण दिखी, उन्हें लगा कि अब उनके हालात सुधरेंगे लेकिन अभी भी दो वक्त की रोटी का इंतजाम करना किसी चुनौती से कम नहीं है.

उन्होंने बताया कि वे हर सुबह काम की तलाश में लेबर चौक पर आ जाते हैं, लेकिन कई-कई दिन काम नसीब ही नहीं होता. इन हालातों में मजदूरों के लिए घर का किराया भरना तो दूर दो वक्त की रोटी व्यवस्था करना भी मुश्किल हो रहा है.


नहीं मिली कोई सरकारी सहायता
दिल्ली सरकार भले ही इन प्रवासी मजदूरों की मदद करने के लिए लाख दावे करती हो लेकिन धरातल पर इन मजदूरों ने इसे सिरे से नकार दिया है. इन मजदूरों का कहना कि उनके हालात लॉकडाउन से लेकर अभी तक दयनीय बने हुए हैं लेकिन अभी तक सरकार द्वारा उन्हें कोई सहायता मुहैया नहीं कराई गई.

नई दिल्ली: कोरोना बीमारी के चलते लगाए गए लॉकडाउन ने कई लोगों की जिंदगियों को प्रभावित किया. इनमें से एक हैं मजदूर, जिन्होंने लॉकडाउन के दर्द को सबसे ज्यादा सहा है. अब लॉकडाउन हट चुका है, लेकिन मजदूरों के हालात सुधरने का नाम नहीं ले रहे हैं. लॉकडाउन में रोजगार खो चुके मजदूर आज भी काम की तलाश में दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं. आलम ये है कि इन मजदूरों को दो वक्त की खाना जुटाना भी इनके लिए भारी पड़ रहा है.

मजदूरों को अब भी है रोटी का संकट

मजदूरों ने झेला लॉकडाउन का दंश

कोरोना महामारी का सबसे ज्यादा दंश मजदूरों ने झेला है. कोरोना के कारण लगाए लॉकडाउन ने इनकी रोजी छीन ली, जिससे कुछ ही दिनों में रोटी भी बंद हो गई. ऐसे में उन्हें अपना आशियाना छोड़कर वापस जाना पड़ा. लॉकडाउन के कारण वाहनों के पहिए थमें थे, लेकिन भूखे पेटों ने उन्हें ताकत दी और वे पैदल ही निकल पड़े. हजारों किलोमीटर की यात्रा कर कुछ तो घर पहुंचे और कुछ ने रास्ते में ही दम तोड़ दिया.

बेरोजगारी ने फिर किया मजबूर

अपने गांव वापस आए मजदूरों को उम्मीद थी कि उन्हें अपने गांव में राेजगार मिलेगा और वे अब इन शहरों में वापस नहीं जाएंगे लेकिन सरकार ने रोजगार की कोई व्यवस्था नहीं की. ऐसे में उन्हें निराश होकर फिर शहरों की ओर पलायन करना पड़ा. जहां वे रोजी की तलाश में अब भी संघर्ष कर रहे हैं.

भरण पोषण हुआ मुश्किल

मजदूरों ने बताया कि महीनों से काम बंद होने के चलते उनके जीवन-यापन का संकट आ गया था. लॉकडाउन हटने के बाद उन्हें आशा की एक किरण दिखी, उन्हें लगा कि अब उनके हालात सुधरेंगे लेकिन अभी भी दो वक्त की रोटी का इंतजाम करना किसी चुनौती से कम नहीं है.

उन्होंने बताया कि वे हर सुबह काम की तलाश में लेबर चौक पर आ जाते हैं, लेकिन कई-कई दिन काम नसीब ही नहीं होता. इन हालातों में मजदूरों के लिए घर का किराया भरना तो दूर दो वक्त की रोटी व्यवस्था करना भी मुश्किल हो रहा है.


नहीं मिली कोई सरकारी सहायता
दिल्ली सरकार भले ही इन प्रवासी मजदूरों की मदद करने के लिए लाख दावे करती हो लेकिन धरातल पर इन मजदूरों ने इसे सिरे से नकार दिया है. इन मजदूरों का कहना कि उनके हालात लॉकडाउन से लेकर अभी तक दयनीय बने हुए हैं लेकिन अभी तक सरकार द्वारा उन्हें कोई सहायता मुहैया नहीं कराई गई.

Last Updated : Dec 18, 2020, 6:57 AM IST
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