नई दिल्लीः साल में एक बार वाहनों की फिटनेस कराना अनिवार्य होता है, लेकिन राजधानी दिल्ली में पिछले करीब 6 महीने से कमर्शियल वाहन चालक वाहनों की फिटनेस नहीं होने के चलते काफी परेशान है. दिल्ली ऑटो टैक्सी यूनियन के उपाध्यक्ष राजेंद्र सोनी ने बताया की लॉक डाउन के बाद से ही वाहनों की फिटनेस नहीं हो पा रही है, जिसके चलते वाहन चालक सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटने को मजबूर हो रहे हैं. यहां तक की वाहनों की फिटनेस नहीं होने के कारण कई चालकों के चालान तक कट गए हैं.
हाईकोर्ट से ऑटो परमिट और फिटनेस को लेकर मांगी मंजूरी
ईटीवी भारत को राजेंद्र सोनी ने बताया कि कोर्णाक के चलते पहले से ही ट्रांसपोर्ट के बिजनेस में बेहद घाटा हो गया है. महामारी के कारण लोग आवाजाही नहीं कर रहे हैं. ऐसे में कमर्शियल वाहन चालक काफी मुश्किलों से अपना गुजारा कर रहे हैं. लेकिन इसी बीच वाहनों की फिटनेस नहीं हो पा रही है, उन्होंने बताया कि इस समस्या को लेकर वह दिल्ली सरकार के पास भी गए हैं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही है. वहीं दिल्ली हाईकोर्ट ने भी 7 दिसंबर 2020 को फिटनेस और ऑटो परमिट को लेकर मंजूरी दे दी है, बावजूद इसके वाहनों की फिटनेस नहीं हो पा रही है.
कमर्शियल वाहनों की नहीं हो पा रही फिटनेस
राजेंद्र सोनी ने कहा मौजूदा समय में ऑटो टैक्सी की फिटनेस नहीं हो पा रही है. यहां तक की चालक परमिट के लिए भी परेशान है, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही है. नौबत यह आ गई है कि हर एक छोटी छोटी समस्या के लिए हमें कोर्ट के चक्कर काटने पड़ रहे हैं. उन्होंने बताया कि इसी साल मई महीने में केंद्र सरकार की तरफ से फिटनेस पैलेंटी को माफ कर दी थी, लेकिन दिल्ली सरकार की तरफ से ऑटो परमिट और फिटनेस को लेकर अभी भी डालम डोर रवैया बना हुआ है.
सरकारी दफ्तरों में नहीं हो रहा कोई काम
वहीं ऑटो चालक पिंटू कुमार ने बताया कि पिछले 18 सालों से वह ऑटो चला रहे हैं, लेकिन इस प्रकार की समस्या कभी देखने को नहीं मिली है. उन्होंने कहा कि ऑटो की फिटनेस नहीं हो पा रही है. मीटर पास नहीं हो पा रहा है ऐसे में ट्रैफिक पुलिस चालान काट देती है, जिससे बड़ी परेशानी हो जाती है. सरकारी दफ्तरों के चक्कर काट रहे हैं, लेकिन कुछ काम नहीं हो रहा.