नई दिल्ली: दिल्ली विश्वविद्यालय में शैक्षणिक सत्र 2020-21 के लिए चल रही दाखिला प्रक्रिया 31 दिसंबर को समाप्त हो रही है. वहीं डीयू प्रशासन द्वारा यूनिवर्सिटी-कॉलेज सीट के तहत प्रिंसिपल को 5 सीटों पर दाखिला देने का फैसला ठंडे बस्ते में पड़ गया है. प्रशासन का कहना है कि किसी भी कॉलेज की ओर से एडमिशन के लिए आवेदन नहीं आया है, साथ ही इस पर विवाद भी गहरा रहा है. ऐसे में इसके तहत अब दाखिला नहीं देने का फैसला किया गया है.
यूनिवर्सिटी-कॉलेज सीट पर दाखिले के लिए प्रिंसिपल पर दबाव
कोरोना महामारी को देखते हुए सभी कॉलेजों के प्रिंसिपल को 5 सीटों पर दाखिला देने का अधिकार डीयू प्रशासन की ओर से दिया गया था. वहीं यूनिवर्सिटी-कॉलेज सीट कोटा के तहत प्रिंसिपल को 5 में से 3 सीटों पर छात्रों का दाखिला ले सकते हैं. वहीं कई कॉलेजों के प्रिंसिपल का आरोप है कि इस तरह से दाखिला लेने से उन पर निरंतर दबाव पड़ रहा है .खासतौर पर उन प्रिंसिपल पर जिनका कॉलेज ट्रस्ट का है.
फैसला करने से पहले प्रिंसिपल से नहीं ली गई राय
वहीं डीयू से संबद्ध रामानुजन कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. एसपी अग्रवाल का कहना है कि दिल्ली विश्वविद्यालय प्रशासन ने इस तरह का निर्णय अपने आप लिया है. इस संबंध में किसी भी कॉलेज के प्रिंसिपल की राय नहीं ली गई. उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय प्रशासन का दावा है कि प्रिंसिपल और ईसी के कहने पर ही इस तरह का फैसला लिया गया है. अब वह प्रिंसिपल कहां है जिन्होंने इस तरह की मांग की थी. साथ ही उन्होंने स्पष्ट किया कि यह फैसला विवादित है और इसे लागू करने से पहले किसी भी प्रिंसिपल से बात नहीं की गई थी.
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भ्रष्टाचार और भाई भतीजावाद को बढ़ावा देगा सीट कोटा
वहीं एग्जीक्यूटिव काउंसिल की सदस्य प्रो. सीमा दास ने कहा कि दिल्ली विश्वविद्यालय प्रशासन एग्जीक्यूटिव काउंसिल और अकादमी काउंसिल से विचार विमर्श किए बिना इस तरह किसी भी फैसले को लागू नहीं कर सकता. उन्होंने कहा कि यूनिवर्सिटी कॉलेज सीट कोटा भ्रष्टाचार के साथ-साथ भाई भतीजावाद को बढ़ावा देगा. ऐसे में उन्होंने मांग की है कि इस तरह के कोटे से दाखिला लेने के फैसले को वापस लिया जाए.
डीयू प्रशासन ने नई सीटों पर दाखिला नहीं लेने का किया फैसला
वहीं दिल्ली विश्वविद्यालय के अधिकारी ने बताया कि डीयू द्वारा विभिन्न कॉलेजों में स्नातक पाठ्यक्रमों के लिए 315 सीटों पर दाखिला लेने का अधिकार प्रिंसिपल को दिया गया था जिसके तहत 63 कॉलेजों में 5-5 सीटें वितरित की थी जिस पर प्रिंसिपल दाखिला दे सकते हैं. लेकिन नोटिस जारी होने के बाद भी अब तक किसी भी कॉलेज में इन सीटों पर दाखिले के लिए कोई आवेदन नहीं किया है. साथ ही उन्होंने कहा कि इस तरह की प्रक्रिया को लेकर छात्र और शिक्षक भी विरोध कर रहे हैं. इन तमाम बातों को देखते हुए विश्वविद्यालय प्रशासन ने अब यूनिवर्सिटी कॉलेज सीट कोटा के तहत दाखिला न लेने का फैसला किया है.