नई दिल्ली: कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण को चलते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूरे देश में 21 दिनों के लॉकडाउन करने की घोषणा की है. शैक्षणिक संस्थान पहले से ही बंद पड़े हैं. ऐसे में कई स्कूलों में तो सालाना परीक्षा भी पूरी नहीं हुई है और कहीं परीक्षा परिणाम घोषित नहीं किए गए हैं.
ऐसे में सरकार के सामने बहुत बड़ी चुनौती होगी कि स्कूल के सभी कार्य कैसे निपटाए जाएं और नया सत्र जोकि 1 अप्रैल से शुरू होना था उस में देरी के चलते कैसे चीजों को व्यवस्थित किया जाए. वहीं सूत्रों की मानें तो 220 दिन के शैक्षणिक कार्य को पूरा करना भी एक बहुत बड़ी चुनौती होगी जिसके तहत आगामी छुट्टियों में कटौती भी की जा सकती है.
समय में हो सकता है बदलाव
बता दें कि कोरोना महामारी के प्रकोप को देखते हुए सभी शैक्षणिक संस्थानों को मार्च महीने के मध्य से ही बंद कर दिया गया है. जिसके चलते परीक्षाएं अधूरी रह गई हैं. वहीं 21 दिन के लॉक डाउन के बाद 1 अप्रैल से शुरू होने वाला शैक्षणिक सत्र भी नहीं शुरू हो सकेगा. ऐसे में बच्चों की पढ़ाई का जो नुकसान हो रहा है, वह चिंता का विषय बनता जा रहा है.
CBSE के पास भेजा गया प्रस्ताव
इसको लेकर कई स्कूलों के प्रिंसिपल ने केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड(CBSE) के पास एक प्रस्ताव भेजा है जिसमें उन्होंने कहा है कि गर्मी की छुट्टियों के समय में बदलाव कर दिया जाए. इस सुझाव में तर्क दिया गया है कि मार्च से स्कूल बंद है और अप्रैल में भी स्कूल खुलने के आसार कम हैं.
ऐसे में इन छुट्टियों को ही गर्मी की छुट्टियां घोषित कर दिया जाए और मई और जून में स्कूल चलाए जाएं जिससे पाठ्यक्रम समय से पूरा किया जा सके.
छुट्टियों में हो सकती है कटौती
वही अटकलें लगाई जा रही है कि आगामी सत्र में पड़ने वाली छुट्टियों में भी कटौती की जा सकती है. हालांकि इस सुझाव पर अंतिम निर्णय लेने का अधिकार राज्य सरकार को ही है क्योंकि हर प्रदेश में गर्मी के मौसम में तापमान अलग-अलग होता है और बढ़ते हुए तापमान में स्कूल जाना संभव होगा या नहीं होगा यह राज्य सरकार के फैसले पर निर्भर करेगा.
बता दें कि कोरोना वायरस के संक्रमण के चलते बोर्ड परीक्षाओं को भी स्थगित कर दिया गया था.