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cbse board exam: 12वीं की परीक्षा को लेकर छात्रों की अलग-अलग राय

सीबीएसई की 12वीं की परीक्षा (cbse 12th exam) आयोजित कराए जाने को लेकर असमंजस की स्थिति बरकरार है. कुछ छात्र भविष्य को देखते हुए और बेहतर परीक्षा परिणाम के लिए बोर्ड परीक्षा के आयोजन को लेकर सहमत हैं. वहीं, अन्य छात्र परीक्षा देने से कतराते नजर आए.

cbse board exam
परीक्षा को लेकर छात्रों की अलग राय
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Published : May 29, 2021, 8:24 PM IST

नई दिल्लीः केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ( Central Board of Secondary Education ) की 12वीं की परीक्षा आयोजित कराए जाने को लेकर असमंजस की स्थिति बरकरार है. जहां राज्य सरकारें परीक्षा के आयोजन पर अपनी सहमति व्यक्त कर रही हैं, वहीं कुछ राज्य अभी भी इसे छात्रों के लिए खतरा मान कर इसे रद्द किए जाने की मांग कर रहे हैं. इस बीच ईटीवी भारत ने बात की छात्रों और अभिभावकों से और जानने की कोशिश की कि 12वीं की बोर्ड परीक्षा (cbse board exam) के आयोजन को लेकर, उनका क्या कहना है. इस दौरान भी मिली-जुली प्रतिक्रिया देखने को मिली. कुछ छात्र भविष्य को देखते हुए और बेहतर परीक्षा परिणाम के लिए बोर्ड परीक्षा के आयोजन को लेकर सहमत हैं. हालांकि, उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि फिजिकल मोड से परीक्षा आयोजित कराने की बजाय, उसके अन्य विकल्प तलाशने की जरूरत है. वहीं, अन्य छात्र जान जोखिम में डालकर परीक्षा देने से कतराते नजर आए.

परीक्षा को लेकर छात्रों की अलग राय

परीक्षा से केवल छात्रों को मौत के मुंह में झोंकना है

इस संबंध में 12वीं के छात्र अर्णव गौतम का कहना है कि इस समय कोरोना के मामलों में लगातार इजाफा हो रहा है. कई राज्यों में केस बहुत ज्यादा बढ़ रहे हैं. ऐसे में यदि परीक्षा फिजिकल मोड से आयोजित कराई जाती है, तो वह छात्रों की जान को पूरी तरह से जोखिम में डालना होगा. उनका कहना है कि बहुत से छात्र अभी 18 वर्ष की आयु तक नहीं पहुंचे हैं. ऐसे में वह वैक्सीन के लिए भी एलिजिबल नहीं हैं. ऐसे समय में, जब सभी बड़े अधिकारियों की मीटिंग ऑनलाइन हो रही है. ऐसे में खुद से आधी उम्र के बच्चों की ऑफलाइन परीक्षा करवाकर, उन्हें मौत के मुंह में झोंकना पूरी तरह से गलत फैसला है.

ये भी पढ़ें-CBSE: 12वीं परीक्षा पर अभी नहीं हुआ कोई फैसला, किसी भी अफवाह से बचें छात्र

प्री-बोर्ड के आधार पर न हो मूल्यांकन

छात्रा अनन्या वर्मा का कहना है आंतरिक मूल्यांकन किसी भी छात्र को अगली क्लास में भेजने के लिए सटीक आधार नहीं है. उनका कहना है कि छात्र कई प्रवेश परीक्षाओं की तैयारी करते हैं. ऐसे में कई बार ऐसा होता है कि उनका आंतरिक मूल्यांकन ज्यादा अच्छा नहीं हो पाता, पर परीक्षा को लेकर उनकी तैयारी बेहतर होती है और उसी के परीक्षा परिणाम से ही उनका आगामी भविष्य तय होता है. ऐसे में छात्रा का कहना है कि बोर्ड परीक्षाएं जरूर आयोजित की जानी चाहिए. हालांकि, उन्होंने यह जरूर कहा कि इसके अन्य विकल्प निकाले जाने की जरूरत है. परीक्षाएं ऑनलाइन मोड से आयोजित की जा सकती हैं या किसी अन्य तरीके से, जिससे छात्रों की सुरक्षा को किसी भी तरीके से खतरे में ना डाला जाए.


अभिभावकों की है मिलीजुली प्रतिक्रिया

वहीं, अभिभावकों की बात करें तो कुछ चाहते हैं कि बोर्ड परीक्षाओं का आयोजन हो, जिससे छात्रा अच्छे अंक पाकर मनपसंद कॉलेज में पसंदीदा स्ट्रीम से पढ़ाई कर सकें. हालांकि, स्थिति को देखते हुए उन्हें भी चिंता जरूर है और वह भी ऑफलाइन एग्जाम को लेकर विकल्प पर विचार करने की मांग कर रहे हैं.

नई दिल्लीः केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ( Central Board of Secondary Education ) की 12वीं की परीक्षा आयोजित कराए जाने को लेकर असमंजस की स्थिति बरकरार है. जहां राज्य सरकारें परीक्षा के आयोजन पर अपनी सहमति व्यक्त कर रही हैं, वहीं कुछ राज्य अभी भी इसे छात्रों के लिए खतरा मान कर इसे रद्द किए जाने की मांग कर रहे हैं. इस बीच ईटीवी भारत ने बात की छात्रों और अभिभावकों से और जानने की कोशिश की कि 12वीं की बोर्ड परीक्षा (cbse board exam) के आयोजन को लेकर, उनका क्या कहना है. इस दौरान भी मिली-जुली प्रतिक्रिया देखने को मिली. कुछ छात्र भविष्य को देखते हुए और बेहतर परीक्षा परिणाम के लिए बोर्ड परीक्षा के आयोजन को लेकर सहमत हैं. हालांकि, उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि फिजिकल मोड से परीक्षा आयोजित कराने की बजाय, उसके अन्य विकल्प तलाशने की जरूरत है. वहीं, अन्य छात्र जान जोखिम में डालकर परीक्षा देने से कतराते नजर आए.

परीक्षा को लेकर छात्रों की अलग राय

परीक्षा से केवल छात्रों को मौत के मुंह में झोंकना है

इस संबंध में 12वीं के छात्र अर्णव गौतम का कहना है कि इस समय कोरोना के मामलों में लगातार इजाफा हो रहा है. कई राज्यों में केस बहुत ज्यादा बढ़ रहे हैं. ऐसे में यदि परीक्षा फिजिकल मोड से आयोजित कराई जाती है, तो वह छात्रों की जान को पूरी तरह से जोखिम में डालना होगा. उनका कहना है कि बहुत से छात्र अभी 18 वर्ष की आयु तक नहीं पहुंचे हैं. ऐसे में वह वैक्सीन के लिए भी एलिजिबल नहीं हैं. ऐसे समय में, जब सभी बड़े अधिकारियों की मीटिंग ऑनलाइन हो रही है. ऐसे में खुद से आधी उम्र के बच्चों की ऑफलाइन परीक्षा करवाकर, उन्हें मौत के मुंह में झोंकना पूरी तरह से गलत फैसला है.

ये भी पढ़ें-CBSE: 12वीं परीक्षा पर अभी नहीं हुआ कोई फैसला, किसी भी अफवाह से बचें छात्र

प्री-बोर्ड के आधार पर न हो मूल्यांकन

छात्रा अनन्या वर्मा का कहना है आंतरिक मूल्यांकन किसी भी छात्र को अगली क्लास में भेजने के लिए सटीक आधार नहीं है. उनका कहना है कि छात्र कई प्रवेश परीक्षाओं की तैयारी करते हैं. ऐसे में कई बार ऐसा होता है कि उनका आंतरिक मूल्यांकन ज्यादा अच्छा नहीं हो पाता, पर परीक्षा को लेकर उनकी तैयारी बेहतर होती है और उसी के परीक्षा परिणाम से ही उनका आगामी भविष्य तय होता है. ऐसे में छात्रा का कहना है कि बोर्ड परीक्षाएं जरूर आयोजित की जानी चाहिए. हालांकि, उन्होंने यह जरूर कहा कि इसके अन्य विकल्प निकाले जाने की जरूरत है. परीक्षाएं ऑनलाइन मोड से आयोजित की जा सकती हैं या किसी अन्य तरीके से, जिससे छात्रों की सुरक्षा को किसी भी तरीके से खतरे में ना डाला जाए.


अभिभावकों की है मिलीजुली प्रतिक्रिया

वहीं, अभिभावकों की बात करें तो कुछ चाहते हैं कि बोर्ड परीक्षाओं का आयोजन हो, जिससे छात्रा अच्छे अंक पाकर मनपसंद कॉलेज में पसंदीदा स्ट्रीम से पढ़ाई कर सकें. हालांकि, स्थिति को देखते हुए उन्हें भी चिंता जरूर है और वह भी ऑफलाइन एग्जाम को लेकर विकल्प पर विचार करने की मांग कर रहे हैं.

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