नई दिल्ली: प्रदेश भाजपा अध्यक्ष श्री आदेश गुप्ता(BJP President Adesh Gupta) के कार्यकाल को पूरे एक साल हो गए हैं. इससे पहले दिल्ली भाजपा(Delhi BJP) के प्रदेश अध्यक्ष श्री मनोज तिवारी जी थे. जिनको 2 जून 2020 को दिल्ली भाजपा प्रदेश अध्यक्ष से हटाकर श्री आदेश गुप्ता को बनाया गया था. अपने एक साल के बीच आदेश गुप्ता लगातार चर्चा में बने रहे हैं.
इसी बीच केजरीवाल सरकार के जरिए शराब की होम डिलीवरी(home delivery of liquor in Delhi) करने के फैसले को भारतीय संस्कृति के खिलाफ बताते हुए श्री आदेश गुप्ता ने इसकी कड़ी आलोचना की है. साथ ही उन्होनें कहां कि कोरोना काल में जब सरकार को लोगों के स्वास्थ और चिकित्सा व्यवस्था बेहतर करने का काम करना चाहिए था, तब केजरीवाल सरकार शराब माफियाओं के साथ मिलकर इसकी होम डिलीवरी करने की नीति बना रही थी.
आदेश गुप्ता ने कहा कि बेहतर होता है कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल(Chief Minister Arvind Kejriwal) लोगों के अच्छे स्वास्थ्य और चिकित्सा के सेवाएं शुरू कराने का काम करते. कोरोना काल में लाखों लोग अस्पतालों में धक्के खाते हुए अपनी जान गवांते रहे, लेकिन सरकार हाथ पर हाथ धरे बैठी रही. घरों में उपचार लोगों को दवाइयां ऑक्सीजन और डॉक्टरी सहायता नहीं मिली. सरकार अगर आम लोगों के बारे में सोचती तो उन्हें ये सारी चीजें होम डिलीवरी करनी चाहिए थी.
गुप्ता ने कहा कि महामारी के दौरान कालाबाजारी, ऑक्सीजन और दवाइयों के घोटाले को रोकने के लिए केजरीवाल ने कोई कदम नहीं उठाया, लेकिन शराब माफियाओं के साथ मिलकर शराब जैसी जहर को घर-घर पहुंचाने का काम तुरंत करके दिखाया है. उन्होंने कहा कि दूसरे राज्यों में नशा मुक्ति की बात करने वाले केजरीवाल दिल्ली में शराब बांटने का काम कर रहे हैं. जिससे उनका दोहरा चेहरा सबके सामने आ चुका है.
महामारी के दौरान बेरोजगार हो चुके लोगों को रोजगार देने के लिए सरकार ने कोई योजना नहीं बनाई और ना ही केंद्र सरकार से गरीबों के लिए मिले मुफ्त अनाजों को बांटने का काम किया, क्योंकि उनका सारा ध्यान पैसे बटोरने और शराब माफियाओं को खुश करने में था.
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श्री आदेश गुप्ता ने कहा कि दिल्ली में दवाइयों और इंजेक्शन को लेकर जिस तरह खुलेआम कालाबाजारी की गई. उसका असर उन लोगों पर पड़ा जिनके अपने अस्पतालों में कोविड की वजह से जूझ रहे थे. दिल्ली उच्च न्यायालय ने भी इस बारे में दिल्ली सरकार को लताड़ भी लगाई कि प्रदेश में दवाओं की भारी कमी थी.
साथ ही कोर्ट ने केजरीवाल सरकार के उस दावे पर जमकर फटकारा जिसमें यह कहा गया था कि रेमेडेसीवर की केवल 2500 शीशियां प्राप्त की गईं जबिक रिकॉर्ड के अनुसार 52,000 शीशियों वितरित की गई. ऐसे में यह साफ है कि रेमेडेसवीर, फेविप्रारिर और इवरमेक्टिन की खूब कालाबाजारी हुई और खुलेआम कालाबाजारी करने वालो ने उन्हें खुदरा मूल्य से 10-15 गुना अधिक दरों पर बेचा.
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उन्होंने कहा कि यह सब दिल्ली में दिनदहाड़े होता रहा लेकिन केजरीवाल सरकार हाथ पर हाथ धरे बैठी रही. एक रेमेडेसीवर की बेसिक कीमत 2800 रुपये से 5400 रुपये तक है हालांकि इसकी कीमतों को कम करने का भी फैसला कई कंपनियों ने किया. 899 से 3490 रुपये तक की कमी की गई, लेकिन दिल्ली में इसे 35000 से 50000 हजार तक कि मोटी रकम वसूली गई.
साथ ही नकली रेमेडेसवीर की भी धड़ल्ले से कालाबाजारी दिल्ली में हुई. दवाइयों की कालाबाजारी का असर ही है कि दिल्ली में बेसिक दवाइयों की भी भारी किल्लत हो गई थी. विटामिन सी, डी और पारासिटीमल जैसी हमेशा उपलब्ध रहने वाली दवाइयां भी नहीं मिल रही थी.