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MCD की स्वायत्ता पर कोई समझौता स्वीकार नहीं करेगी बीजेपी: शिखा राय - DELHI NCR NEWS

दिल्ली बीजेपी प्रदेश कार्यालय में बीजेपी की तरफ से प्रेस कांफ्रेंस आयोजित की गई, जिसमें महापौर बीजेपी प्रत्याशी शिखा राय ने कई गंभीर आरोप दिल्ली सरकार और मेयर शैली ओबरॉय को लेकर लगाए हैं.

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Published : Apr 25, 2023, 5:23 PM IST

बीजेपी की प्रेस कांफ्रेंस

नई दिल्ली: दिल्ली नगर निगम के महापौर पद की प्रत्याशी शिखा राय ने निगम पार्षद योगेश वर्मा, संदीप कपूर और प्रदेश प्रवक्ता प्रवीण शंकर कपूर के साथ एक प्रेस कॉन्फ्रेंस किया. इसमें उन्होंने कहा कि यह खेदजनक है कि महापौर डॉ. शैली ओबरॉय की अनुभवहीनता के चलते आज दिल्ली की जनता एवं निगम कर्मी दोनों परेशान हैं. राय ने कहा कि महापौर ने मुख्यमंत्री के दबाव में नगर निगम की स्वायत्ता, जनसेवा चार्टर एवं कर्मचारी हित सभी पर समझौता कर लिया है और वह धीरे-धीरे नगर निगम को दिल्ली सरकार का एक विभाग बना देंगी.

दरअसल, दिल्ली सरकार ने एमसीडी को पत्र लिखकर PWD की सड़कों की जिम्मेदारी दिल्ली सरकार को सौपने को कही है. इसे लेकर शिखा राय ने कहा कि भाजपा दिल्ली नगर निगम की स्वायत्ता पर कोई समझौता स्वीकार नहीं करेगी. हम मांग करते हैं कि 1440 किलोमीटर सड़कों का सफाई कार्य दिल्ली सरकार को सौंपने से पहले निगम का विशेष सत्र बुला कर चर्चा हो. हम जानते हैं कि आम आदमी पार्टी हर काम को असंवैधानिक तरीके से करने में विश्वास रखती है. निगम के ओनरशिप वाली सड़कों को दिल्ली सरकार को सौपने की बातें बिल्कुल एक सोची समझी सजिश है. इस सजिश से खुद एमसीडी के अधिकारी राजी नहीं है, क्योंकि उन्हें भी पता है कि केजरीवाल सड़कों की साफ-सफाई के बहाने पैसे उगाही का एक और रास्ता बनाने की कोशिश कर रही है.

इसे भी पढ़ें: दिल्ली में कांग्रेस को लगा झटका, अमरपाल जोशी और सुनीता देवी AAP में शामिल

उन्होनें कहा कि आम आदमी पार्टी नेताओं को समझना होगा कि बिना स्थाई समिति के निर्माण के नगर निगम का कोई प्रशासनिक कार्य सम्भव नहीं. वहीं, निगम पार्षद संदीप कपूर ने कहा कि दिल्ली नगर निगम में जब से आम आदमी पार्टी की मेयर आई हैं तब से महापौर की लापरवाही से निगम के अस्थायी कर्मचारियों को पक्का करना तो दूर, इन कर्मचारियों को किसी न किसी तरीके से निकाला जा रहा है. जिससे इन कर्मचारियों के सामने परिवार के भरण पोषण की गंभीर समस्या उत्पन्न हो गई है.

मेयर की लापरवाही के कारण लगभग 20 साल से निगम में काम कर रहे 3500 डीबसी कर्मचारी, 2000 माली, 970 डाटा एन्ट्री ऑपरेटर और अन्य अस्थायी कर्मचारियों के सामने वेतन संकट उत्पन्न हो गया है. निगम पार्षद योगेश वर्मा ने कहा कि दिल्ली सरकार को अपने मेयर व पार्षदों की क्षमता पर शक है और इसलिए पीडब्ल्यूडी के माध्यम से सफाई व्यवस्था का निजीकरण करने व सफाई कर्मचारियों को निकालने की साजिश कर रही है. दिल्ली की सड़कों पर दो एजेंसियों के द्वारा सफाई करने पर सफाई व्यवस्था चौपट हो जाएगी.

इसे भी पढ़ें: PM मोदी की डिग्री पर उठ रहे सवालों पर बोले गौतम गंभीर, कहा- ध्यान भटकाने का प्रयास

बीजेपी की प्रेस कांफ्रेंस

नई दिल्ली: दिल्ली नगर निगम के महापौर पद की प्रत्याशी शिखा राय ने निगम पार्षद योगेश वर्मा, संदीप कपूर और प्रदेश प्रवक्ता प्रवीण शंकर कपूर के साथ एक प्रेस कॉन्फ्रेंस किया. इसमें उन्होंने कहा कि यह खेदजनक है कि महापौर डॉ. शैली ओबरॉय की अनुभवहीनता के चलते आज दिल्ली की जनता एवं निगम कर्मी दोनों परेशान हैं. राय ने कहा कि महापौर ने मुख्यमंत्री के दबाव में नगर निगम की स्वायत्ता, जनसेवा चार्टर एवं कर्मचारी हित सभी पर समझौता कर लिया है और वह धीरे-धीरे नगर निगम को दिल्ली सरकार का एक विभाग बना देंगी.

दरअसल, दिल्ली सरकार ने एमसीडी को पत्र लिखकर PWD की सड़कों की जिम्मेदारी दिल्ली सरकार को सौपने को कही है. इसे लेकर शिखा राय ने कहा कि भाजपा दिल्ली नगर निगम की स्वायत्ता पर कोई समझौता स्वीकार नहीं करेगी. हम मांग करते हैं कि 1440 किलोमीटर सड़कों का सफाई कार्य दिल्ली सरकार को सौंपने से पहले निगम का विशेष सत्र बुला कर चर्चा हो. हम जानते हैं कि आम आदमी पार्टी हर काम को असंवैधानिक तरीके से करने में विश्वास रखती है. निगम के ओनरशिप वाली सड़कों को दिल्ली सरकार को सौपने की बातें बिल्कुल एक सोची समझी सजिश है. इस सजिश से खुद एमसीडी के अधिकारी राजी नहीं है, क्योंकि उन्हें भी पता है कि केजरीवाल सड़कों की साफ-सफाई के बहाने पैसे उगाही का एक और रास्ता बनाने की कोशिश कर रही है.

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उन्होनें कहा कि आम आदमी पार्टी नेताओं को समझना होगा कि बिना स्थाई समिति के निर्माण के नगर निगम का कोई प्रशासनिक कार्य सम्भव नहीं. वहीं, निगम पार्षद संदीप कपूर ने कहा कि दिल्ली नगर निगम में जब से आम आदमी पार्टी की मेयर आई हैं तब से महापौर की लापरवाही से निगम के अस्थायी कर्मचारियों को पक्का करना तो दूर, इन कर्मचारियों को किसी न किसी तरीके से निकाला जा रहा है. जिससे इन कर्मचारियों के सामने परिवार के भरण पोषण की गंभीर समस्या उत्पन्न हो गई है.

मेयर की लापरवाही के कारण लगभग 20 साल से निगम में काम कर रहे 3500 डीबसी कर्मचारी, 2000 माली, 970 डाटा एन्ट्री ऑपरेटर और अन्य अस्थायी कर्मचारियों के सामने वेतन संकट उत्पन्न हो गया है. निगम पार्षद योगेश वर्मा ने कहा कि दिल्ली सरकार को अपने मेयर व पार्षदों की क्षमता पर शक है और इसलिए पीडब्ल्यूडी के माध्यम से सफाई व्यवस्था का निजीकरण करने व सफाई कर्मचारियों को निकालने की साजिश कर रही है. दिल्ली की सड़कों पर दो एजेंसियों के द्वारा सफाई करने पर सफाई व्यवस्था चौपट हो जाएगी.

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