नई दिल्ली: चुनाव से ठीक पहले दिल्ली वक्फ बोर्ड के मस्जिदों के इमामों को वेतन बढ़ाकर देना केजरीवाल सरकार को भारी पड़ सकता है. बीजेपी इसकी शिकायत चुनाव आयोग से करने की तैयारी में है.
27 अप्रैल को दिल्ली वक्फ बोर्ड के चेयरमैन अमानतुल्लाह खान ने दिल्ली के सभी इमामों और मोइज्जानों को बढ़ा हुआ वेतन देने का ऐलान किया था. साथ ही कुछ को उसी दिन वेतन का चेक भी जारी कर दिया था. इमाम को 18 हजार और मोइज्जान को 16 हजार रुपये देने का फैसला लिया गया था.
विशेष समुदाय को लुभाने की कोशिश में केजरीवाल
बीजेपी नेता विजेंद्र गुप्ता का कहना है कि चुनाव के मद्देनजर आचार संहिता लागू है, इस बीच जिस तरह दिल्ली सरकार के निर्देश पर वक्फ बोर्ड ने इमामों के वेतन में बढ़ोतरी कर चेक बांटे, वो गलत है. साफ तौर पर देखा जा सकता है कि केजरीवाल सरकार एक समुदाय विशेष को लुभाने की कोशिश कर रही है.
बोर्ड के नियमों की उड़ाई धज्जियां
विजेंद्र गुप्ता ने कहा कि आप पार्टी को चुनावों में मतों का फायदा पहुंचाने के लिए दिल्ली वक्फ बोर्ड के चेयरमैन और विधायक अमानतुल्लाह खान ने बोर्ड के अधिनियमों की धज्जियां उड़ा दी. उन्होंने कहा कि चुनाव को लेकर लागू आचार संहिता से ठीक कुछ घंटे पहले 8 अप्रैल को वक्फ बोर्ड अधिनियम का उल्लंघन करते हुए लिपिकों, जूनियर इंजीनियरों, पटवारी, अकाउंटेंट, लीगल असिस्टेंट जैसे पदों पर कुल 33 कर्मचारियों की नियुक्तियां की गई.
इनमें से 24 बोर्ड के चेयरमैन अमानतुल्लाह खान के विधानसभा क्षेत्र से हैं. इन सभी की नियुक्तियों में भाई-भतीजावाद की बू आती है. इसके लिए न तो विज्ञापन निकाले गए, न योग्यता देखी गई. मनमाफिक तरीके से जिसे चाहा उसे रख लिया गया.