नई दिल्ली/गाजियाबाद: सनातन धर्म में एकादशी का विशेष महत्व है. एकादशी तिथि भगवान विष्णु को बहुत प्रिय है. एकादशी तिथि के दिन भगवान विष्णु की विधि विधान से पूजा की जाती है. ज्येष्ठ मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी को अपरा एकादशी कहते हैं. इसे अचला एकादशी और भद्रकाली एकादशी भी कहा जाता है. इस बार अपरा एकादशी 15 मई को पड़ रही है.
अपरा एकादशी का व्रत करने से घर में शांति और लक्ष्मी की वृद्धि होने के साथ ही भूत-प्रेत आदि गति में पहुंची मृतात्माओं को मुक्ति मिलती है. अपरा एकादशी का व्रत रखने से समस्त पापों का नाश होता है. धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक पांडवों ने भी अपरा एकादशी का व्रत रखा था. एकादशी का व्रत रखने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. श्रीकृष्ण युधिष्ठिर से कहते हैं कि अपरा एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति ब्रह्म-हत्या आदि दोषों से भी मुक्त हो जाता है. जिन व्यक्तियों के पूर्वज अधोगति अर्थात भूत प्रेत आदि योनि में गए हुए हैं, उनको मुक्ति नहीं मिल रही है तो संकल्पपूर्वक इस इस व्रत को रखने से उन्हें मुक्ति मिलती है.
एकादशी के दिन भगवान विष्णु के साथ महालक्ष्मी की विधि विधान के साथ पूजा की जाती है. अपरा एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ-सुथरे कपड़े पहने. घर के मंदिर में दीप जलाएं और भगवान विष्णु का गंगाजल से अभिषेक करें. एकादशी के व्रत का संकल्प करें. भगवान विष्णु और लक्ष्मी का एक साथ पूजन करें. नैवेद्य आदि का भोग लगाएं और विष्णु सहस्रनाम श्री सूक्त गोपाल सहस्त्रनाम आदि का जाप या पाठ करें. इस दिन जल, शरबत, पंखा, घड़ा आदि का दान करना शुभ फलदायक हैं.
० अपरा एकादशी का शुभ मुहूर्त
- अपरा एकाद प्रारंभ: 15 मई (सोमवार) सुबह 2.46 बजे से.
- अपरा एकाद समाप्त: 16 मई (मंगलवार), सुबह 1.03 बजे.
- व्रत पारण का समय: 16 मई (मंगलवार), सुबह 6: 41 बजे से 8:13 बजे के बीच
० इन बातों का रखें विशेष ध्यान
- अपरा एकादशी पर तामसिक भोजन का सेवन ना करें. मांस, प्याज और लहसुन का सेवन ना करें. किसी भी तरह के नशे जैसे शराब, गुटखा, सिगरेट आदि से भी दूर रहें.
- पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक मकर संक्रांति, अमावस्या, चतुर्दशी, पूर्णिमा और एकादशी तिथि के दिन संबंध नहीं बनाने चाहिए. इस दिन ऐसा करना पाप माना गया है.
- हिंदू धर्म प्रत्येक व्यक्ति का सम्मान और उससे प्रेम से व्यवहार करना सिखाता है. अपरा एकादशी पर विशेष तौर पर ख्याल रखें कि किसी से गलत वाणी का प्रयोग ना करें. ना ही किसी पर गुस्सा करें. अपशब्द का प्रयोग करने से बचें.
यह भी पढ़ें-Mothers Day Special: सिंगल मदर को निभानी पड़ती है दोहरी भूमिका, जानें ऐसी ही मांओं के संघर्ष की कहानी
Apara Ekadashi: अपरा एकादशी आज या कल ? जानें तिथि, शुभ मुहूर्त, महत्व और पूजा विधि - muhoort of Apara Ekadashi
ज्येष्ठ मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी को अपरा एकादशी कहते हैं जो इस बार 15 मई को पड़ रही है.अपरा एकादशी का व्रत रखने से मनुष्य के समस्त पापों का नाश होता है.
नई दिल्ली/गाजियाबाद: सनातन धर्म में एकादशी का विशेष महत्व है. एकादशी तिथि भगवान विष्णु को बहुत प्रिय है. एकादशी तिथि के दिन भगवान विष्णु की विधि विधान से पूजा की जाती है. ज्येष्ठ मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी को अपरा एकादशी कहते हैं. इसे अचला एकादशी और भद्रकाली एकादशी भी कहा जाता है. इस बार अपरा एकादशी 15 मई को पड़ रही है.
अपरा एकादशी का व्रत करने से घर में शांति और लक्ष्मी की वृद्धि होने के साथ ही भूत-प्रेत आदि गति में पहुंची मृतात्माओं को मुक्ति मिलती है. अपरा एकादशी का व्रत रखने से समस्त पापों का नाश होता है. धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक पांडवों ने भी अपरा एकादशी का व्रत रखा था. एकादशी का व्रत रखने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. श्रीकृष्ण युधिष्ठिर से कहते हैं कि अपरा एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति ब्रह्म-हत्या आदि दोषों से भी मुक्त हो जाता है. जिन व्यक्तियों के पूर्वज अधोगति अर्थात भूत प्रेत आदि योनि में गए हुए हैं, उनको मुक्ति नहीं मिल रही है तो संकल्पपूर्वक इस इस व्रत को रखने से उन्हें मुक्ति मिलती है.
एकादशी के दिन भगवान विष्णु के साथ महालक्ष्मी की विधि विधान के साथ पूजा की जाती है. अपरा एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ-सुथरे कपड़े पहने. घर के मंदिर में दीप जलाएं और भगवान विष्णु का गंगाजल से अभिषेक करें. एकादशी के व्रत का संकल्प करें. भगवान विष्णु और लक्ष्मी का एक साथ पूजन करें. नैवेद्य आदि का भोग लगाएं और विष्णु सहस्रनाम श्री सूक्त गोपाल सहस्त्रनाम आदि का जाप या पाठ करें. इस दिन जल, शरबत, पंखा, घड़ा आदि का दान करना शुभ फलदायक हैं.
० अपरा एकादशी का शुभ मुहूर्त
- अपरा एकाद प्रारंभ: 15 मई (सोमवार) सुबह 2.46 बजे से.
- अपरा एकाद समाप्त: 16 मई (मंगलवार), सुबह 1.03 बजे.
- व्रत पारण का समय: 16 मई (मंगलवार), सुबह 6: 41 बजे से 8:13 बजे के बीच
० इन बातों का रखें विशेष ध्यान
- अपरा एकादशी पर तामसिक भोजन का सेवन ना करें. मांस, प्याज और लहसुन का सेवन ना करें. किसी भी तरह के नशे जैसे शराब, गुटखा, सिगरेट आदि से भी दूर रहें.
- पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक मकर संक्रांति, अमावस्या, चतुर्दशी, पूर्णिमा और एकादशी तिथि के दिन संबंध नहीं बनाने चाहिए. इस दिन ऐसा करना पाप माना गया है.
- हिंदू धर्म प्रत्येक व्यक्ति का सम्मान और उससे प्रेम से व्यवहार करना सिखाता है. अपरा एकादशी पर विशेष तौर पर ख्याल रखें कि किसी से गलत वाणी का प्रयोग ना करें. ना ही किसी पर गुस्सा करें. अपशब्द का प्रयोग करने से बचें.
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