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26 नॉन-कंफर्मिंग इंडस्ट्रियल एरिया का होगा पुनर्विकास, छह लाख लोगों को मिलेगा रोजगार

दिल्ली सरकार नॉन-कंफर्मिंग इंडस्ट्रियल एरिया का पुनर्विकास करने जा रही है, जिससे युवाओं के लिए तकरीबन 6 लाख नई नौकरियां पैदा होंगी. इसको लेकर बुधवार को सीएम अरविंद केजरीवाल ने उद्योग विभाग के अधिकारियों के साथ एक समीक्षा बैठक की.

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Published : Jun 21, 2023, 8:23 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली सरकार दिल्ली में स्थित 26 नॉन-कंफर्मिंग इंडस्ट्रियल एरिया का पुनर्विकास करने जा रही है. इसके विकसित होने से युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे. इसके मद्देनजर बुधवार को सीएम अरविंद केजरीवाल ने उद्योग विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ एक उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक की.

सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली के 26 नॉन कंफर्मिंग औद्योगिक क्षेत्रों को कंफर्मिंग एरिया बनाने के लिए सभी क्षेत्रों का पुनर्विकास किया जाएगा. इससे यहां तकरीबन 6 लाख नई नौकरियां पैदा होंगी. उन्होंने बताया कि नॉन कंफर्मिंग इंडस्ट्रियल एरिया में ले-आउट प्लान बनाने का 90 फीसद खर्च दिल्ली सरकार उठाएगी. केवल 10 फीसद हिस्सा इंडस्ट्रीज एसोसिएशन से लिया जाएगा, जिससे इंडस्ट्री की भागीदारी भी सुनिश्चित की जा सके. पुनर्विकास कार्य पूरा होने के बाद इसे कंफर्मिंग एरिया घोषित कर दिया जाएगा. इन नॉन-कंफर्मिंग नोटिफाइड इंडस्ट्रियल एरिया का पुनर्विकास कर विश्व स्तरीय औद्योगिक क्षेत्रों में बदला जाएगा.

रिहायशी इलाकों में चल रही औद्योगिक गतिविधियां: समीक्षा बैठक के दौरान उद्योग विभाग के अधिकारियों ने बताया कि दिल्ली के मास्टर प्लान के अनुसार आवासीय, वाणिज्यिक और औद्योगिक इस्तेमाल के लिए जमीन का सीमांकन करना दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) की जिम्मेदारी है. लेकिन जब दिल्ली में रेजिडेंशियल, कमर्शियल और इंडस्ट्रीयल गतिविधियों का विस्तार हुआ था, उस दौरान डीडीए दिल्ली की विकास की गति के साथ नहीं चल पाया.

ऐसे में दिल्ली में रेजिडेंशियल कॉलोनियों की उपलब्धता न होने के कारण बड़े स्तर पर अनधिकृत कॉलोनियां पनपने लगीं. दिल्ली में जमीन का इस्तेमाल मास्टर प्लान के अलावा अन्य उद्देश्यों के लिए किया जाने लगा, क्योंकि डीडीए द्वारा समय पर नियमित इंडस्ट्रियल क्लस्टर नहीं बनाए गए. ऐसे में अवैध या नॉन कंफर्मिंग इंडस्ट्रियल एरिया बनते गए.

नर्विकास से लाखों युवाओं को मिलेंगे रोजगार के अवसर: सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली सरकार इन 26 नॉन-कंफर्मिंग नोटिफाइड औद्योगिक क्षेत्रों के पुनर्विकास के लिए औद्योगिक एसोसिएशन की हर संभव मदद करने को हमेशा तैयार है. इन औद्योगिक क्षेत्रों में दिल्ली का एक बड़ा तबका नौकरी करता है. ये सभी इंडस्ट्रीयल इलाकें दिल्ली की जीडीपी का एक बड़ा हिस्सा हैं. इन नॉन कंफर्मिंग औद्योगिक क्षेत्रों के पुनर्विकास से लाखों युवाओं के लिए रोजगार का सृजन भी होगा. इससे सरकार को भी राजस्व की प्राप्ति होगी. इनके कंफर्म इंडस्ट्रीयल एरिया जोन बनने के बाद सारी असुरक्षाएं खत्म हो जाएंगी. साथ ही इंडस्ट्रीयल एरिया में व्यापारी और श्रमिक सुविधा के साथ काम कर सकेंगे और विकास पर ध्यान केंद्रित कर सकेंगे.

केजरीवाल सरकार ने उठाया निर्णायक कदम: इन नॉन कंफर्मिंग इंडस्ट्रियल इलाकों में पानी, बिजली, अपशिष्ट उपचार, आग आदि तमाम सुविधाएं इंडस्ट्रियल यूज के हिसाब से प्लान नहीं की गई थी. ऐसे में अनियोजित इंफ्रास्ट्रक्चर के चलते कई हादसे होते है. आग लगने सहित अन्य घटनाओं के चलते जानमाल का नुकसान उठाना पड़ता है. अक्सर अलग-अलग सरकारी संस्थाओं पर व्यापारियों से जबरन वसूली का आरोप लगता है. नॉन कंफर्मिंग इंडस्ट्रियल क्षेत्रों में उद्यमियों के पास पर्याप्त दस्तावेज उपलब्ध नहीं होते हैं. इस वजह से उन्हें अधिकारियों को पैसे देने पड़ते हैं और कई भ्रष्टाचार से जुड़ी गतिविधियां होती हैं. जब भी यहां कोई हादसा होता है, तो कोई भी विभाग उसकी जिम्मेदारी लेने के लिए तैयार नहीं होता है. ऐसे में स्थिति का स्थाई समाधान करने के लिए केजरीवाल सरकार ने इन नॉन-कंफर्मिंग इंडस्ट्रियल एरियाज को कंफर्म इंडस्ट्रीयल एरिया बनाने का निर्णायक कदम उठाया है.

नॉन-कंफर्मिंग इंडस्ट्रियल इलाकों का तीन चरणों में किया जाएगा पुनर्विकास:- इंडस्ट्रियल एरिया

  1. ले-आउट तैयार करना और अप्रूवलः दिल्ली सरकार के पैनलबद्ध सलाहकारों द्वारा सेफ्टी और अपग्रेडेड फैसिलिटी को सुनिश्चित करने के लिए एमपीडी-2041 की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए एक ले-आउट योजना तैयार की जाएगी. यह ले-आउट योजना स्थानीय उद्योग एसोसिएशन या सोसायटी के साथ साझेदारी में सलाहकारों द्वारा तैयार की जाएगी.
  2. बुनियादी ढांचे का पुनर्विकासः केजरीवाल सरकार द्वारा औद्योगिक क्षेत्रों को हरा-भरा, स्वच्छ और बेहतर बनाने की दिशा में काम किया जाएगा. सीवेज, सामान्य अपशिष्ट उपचार संयंत्र, पेयजल आपूर्ति, औद्योगिक अपशिष्ट निपटान की व्यवस्था और सड़कों को बेहतर किया जाएगा. इन क्षेत्रों में बुनियादी ढांचा उपलब्ध कराने के लिए डेवलपर्स को इंगेज किया जाएगा.
  3. कॉमन फैसिलिटी सेंटर्स का निर्माणः औद्योगिक क्षेत्र की जरूरत के हिसाब से यहां एक्सपीरियंस सेंटर, टूल रूम, प्रोसेसिंग सेंटर, अनुसंधान एवं विकास, मान्यता प्राप्त टेस्ट लैब, ट्रेनिंग सेंटर, बिजनेस कन्वेंशन सेंटर, रॉ मेटिरियल बैंक और लॉजिस्टिक सेंटर समेत तमाम तरह की सुविधाओं उपलब्ध होगी.

इन नॉन-कंफर्मिंग इंडस्ट्रियल एरिया का होगा पुनर्विकास: दिल्ली सरकार जिन नॉन-कंफर्मिंग इंडस्ट्रीयल एरिया का पुनर्विकास करने जा रही है, उनमें आनंद पर्वत, शाहदरा, समयपुर बादली, जवाहर नगर, सुल्तानपुर माजरा, हस्तसाल पॉकेट-ए, नरेश पार्क एक्सटेंशन, लिबासपुर, पीरागढ़ी गांव, ख्याला, हस्तसाल पॉकेट-डी, शालीमार गांव, न्यू मंडोली, नवादा, रिठाला, स्वर्ण पार्क मुंडका, हैदरपुर, करावल नगर, डाबरी, बसई दारापुर, प्रह्लादपुर बांगर, मुंडका उद्योग नगर दक्षिण, फिरनी रोड मुंडका, रणहोला, नंगली सकरावती, टिकरी कलां शामिल हैं.

नई दिल्ली: दिल्ली सरकार दिल्ली में स्थित 26 नॉन-कंफर्मिंग इंडस्ट्रियल एरिया का पुनर्विकास करने जा रही है. इसके विकसित होने से युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे. इसके मद्देनजर बुधवार को सीएम अरविंद केजरीवाल ने उद्योग विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ एक उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक की.

सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली के 26 नॉन कंफर्मिंग औद्योगिक क्षेत्रों को कंफर्मिंग एरिया बनाने के लिए सभी क्षेत्रों का पुनर्विकास किया जाएगा. इससे यहां तकरीबन 6 लाख नई नौकरियां पैदा होंगी. उन्होंने बताया कि नॉन कंफर्मिंग इंडस्ट्रियल एरिया में ले-आउट प्लान बनाने का 90 फीसद खर्च दिल्ली सरकार उठाएगी. केवल 10 फीसद हिस्सा इंडस्ट्रीज एसोसिएशन से लिया जाएगा, जिससे इंडस्ट्री की भागीदारी भी सुनिश्चित की जा सके. पुनर्विकास कार्य पूरा होने के बाद इसे कंफर्मिंग एरिया घोषित कर दिया जाएगा. इन नॉन-कंफर्मिंग नोटिफाइड इंडस्ट्रियल एरिया का पुनर्विकास कर विश्व स्तरीय औद्योगिक क्षेत्रों में बदला जाएगा.

रिहायशी इलाकों में चल रही औद्योगिक गतिविधियां: समीक्षा बैठक के दौरान उद्योग विभाग के अधिकारियों ने बताया कि दिल्ली के मास्टर प्लान के अनुसार आवासीय, वाणिज्यिक और औद्योगिक इस्तेमाल के लिए जमीन का सीमांकन करना दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) की जिम्मेदारी है. लेकिन जब दिल्ली में रेजिडेंशियल, कमर्शियल और इंडस्ट्रीयल गतिविधियों का विस्तार हुआ था, उस दौरान डीडीए दिल्ली की विकास की गति के साथ नहीं चल पाया.

ऐसे में दिल्ली में रेजिडेंशियल कॉलोनियों की उपलब्धता न होने के कारण बड़े स्तर पर अनधिकृत कॉलोनियां पनपने लगीं. दिल्ली में जमीन का इस्तेमाल मास्टर प्लान के अलावा अन्य उद्देश्यों के लिए किया जाने लगा, क्योंकि डीडीए द्वारा समय पर नियमित इंडस्ट्रियल क्लस्टर नहीं बनाए गए. ऐसे में अवैध या नॉन कंफर्मिंग इंडस्ट्रियल एरिया बनते गए.

नर्विकास से लाखों युवाओं को मिलेंगे रोजगार के अवसर: सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली सरकार इन 26 नॉन-कंफर्मिंग नोटिफाइड औद्योगिक क्षेत्रों के पुनर्विकास के लिए औद्योगिक एसोसिएशन की हर संभव मदद करने को हमेशा तैयार है. इन औद्योगिक क्षेत्रों में दिल्ली का एक बड़ा तबका नौकरी करता है. ये सभी इंडस्ट्रीयल इलाकें दिल्ली की जीडीपी का एक बड़ा हिस्सा हैं. इन नॉन कंफर्मिंग औद्योगिक क्षेत्रों के पुनर्विकास से लाखों युवाओं के लिए रोजगार का सृजन भी होगा. इससे सरकार को भी राजस्व की प्राप्ति होगी. इनके कंफर्म इंडस्ट्रीयल एरिया जोन बनने के बाद सारी असुरक्षाएं खत्म हो जाएंगी. साथ ही इंडस्ट्रीयल एरिया में व्यापारी और श्रमिक सुविधा के साथ काम कर सकेंगे और विकास पर ध्यान केंद्रित कर सकेंगे.

केजरीवाल सरकार ने उठाया निर्णायक कदम: इन नॉन कंफर्मिंग इंडस्ट्रियल इलाकों में पानी, बिजली, अपशिष्ट उपचार, आग आदि तमाम सुविधाएं इंडस्ट्रियल यूज के हिसाब से प्लान नहीं की गई थी. ऐसे में अनियोजित इंफ्रास्ट्रक्चर के चलते कई हादसे होते है. आग लगने सहित अन्य घटनाओं के चलते जानमाल का नुकसान उठाना पड़ता है. अक्सर अलग-अलग सरकारी संस्थाओं पर व्यापारियों से जबरन वसूली का आरोप लगता है. नॉन कंफर्मिंग इंडस्ट्रियल क्षेत्रों में उद्यमियों के पास पर्याप्त दस्तावेज उपलब्ध नहीं होते हैं. इस वजह से उन्हें अधिकारियों को पैसे देने पड़ते हैं और कई भ्रष्टाचार से जुड़ी गतिविधियां होती हैं. जब भी यहां कोई हादसा होता है, तो कोई भी विभाग उसकी जिम्मेदारी लेने के लिए तैयार नहीं होता है. ऐसे में स्थिति का स्थाई समाधान करने के लिए केजरीवाल सरकार ने इन नॉन-कंफर्मिंग इंडस्ट्रियल एरियाज को कंफर्म इंडस्ट्रीयल एरिया बनाने का निर्णायक कदम उठाया है.

नॉन-कंफर्मिंग इंडस्ट्रियल इलाकों का तीन चरणों में किया जाएगा पुनर्विकास:- इंडस्ट्रियल एरिया

  1. ले-आउट तैयार करना और अप्रूवलः दिल्ली सरकार के पैनलबद्ध सलाहकारों द्वारा सेफ्टी और अपग्रेडेड फैसिलिटी को सुनिश्चित करने के लिए एमपीडी-2041 की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए एक ले-आउट योजना तैयार की जाएगी. यह ले-आउट योजना स्थानीय उद्योग एसोसिएशन या सोसायटी के साथ साझेदारी में सलाहकारों द्वारा तैयार की जाएगी.
  2. बुनियादी ढांचे का पुनर्विकासः केजरीवाल सरकार द्वारा औद्योगिक क्षेत्रों को हरा-भरा, स्वच्छ और बेहतर बनाने की दिशा में काम किया जाएगा. सीवेज, सामान्य अपशिष्ट उपचार संयंत्र, पेयजल आपूर्ति, औद्योगिक अपशिष्ट निपटान की व्यवस्था और सड़कों को बेहतर किया जाएगा. इन क्षेत्रों में बुनियादी ढांचा उपलब्ध कराने के लिए डेवलपर्स को इंगेज किया जाएगा.
  3. कॉमन फैसिलिटी सेंटर्स का निर्माणः औद्योगिक क्षेत्र की जरूरत के हिसाब से यहां एक्सपीरियंस सेंटर, टूल रूम, प्रोसेसिंग सेंटर, अनुसंधान एवं विकास, मान्यता प्राप्त टेस्ट लैब, ट्रेनिंग सेंटर, बिजनेस कन्वेंशन सेंटर, रॉ मेटिरियल बैंक और लॉजिस्टिक सेंटर समेत तमाम तरह की सुविधाओं उपलब्ध होगी.

इन नॉन-कंफर्मिंग इंडस्ट्रियल एरिया का होगा पुनर्विकास: दिल्ली सरकार जिन नॉन-कंफर्मिंग इंडस्ट्रीयल एरिया का पुनर्विकास करने जा रही है, उनमें आनंद पर्वत, शाहदरा, समयपुर बादली, जवाहर नगर, सुल्तानपुर माजरा, हस्तसाल पॉकेट-ए, नरेश पार्क एक्सटेंशन, लिबासपुर, पीरागढ़ी गांव, ख्याला, हस्तसाल पॉकेट-डी, शालीमार गांव, न्यू मंडोली, नवादा, रिठाला, स्वर्ण पार्क मुंडका, हैदरपुर, करावल नगर, डाबरी, बसई दारापुर, प्रह्लादपुर बांगर, मुंडका उद्योग नगर दक्षिण, फिरनी रोड मुंडका, रणहोला, नंगली सकरावती, टिकरी कलां शामिल हैं.

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