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गाजियाबाद: पीएम मोदी ने किया यूनानी चिकित्सा संस्थान का लोकार्पण, वीके सिंह ने कही बड़ी बात - नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ युनानी मेडिसिंस का लोकार्पण

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गाजियाबाद में रविवार को नवनिर्मित राष्ट्रीय यूनानी चिकित्सा संस्थान (Unani Medical Institute) का वर्चुअल मोड में उद्घाटन किया. करीब 300 करोड़ रुपये की लागत से 10 एकड़ में बना यह संस्थान पश्चिमी उत्तर प्रदेश का सबसे बड़ा यूनानी अस्पताल है. इसमें 5 से 7 हजार मरीजों का रोज इलाज हो सकेगा.

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Published : Dec 11, 2022, 7:48 PM IST

पीएम मोदी ने किया यूनानी चिकित्सा संस्थान का लोकार्पण

नई दिल्ली/गाजियाबाद: उत्तर भारत के सबसे बड़े यूनानी अस्पताल का रविवार को लोकार्पण किया गया. इसमें प्रधानमंत्री मोदी ने वर्चुअल तौर पर इस अस्पताल का लोकार्पण किया. इस दौरान गाजियाबाद के सांसद और केंद्रीय परिवहन एवं सड़क राज्य मंत्री वीके सिंह भी मौजूद रहे, जिन्होंने रस्सी खींचकर पर्दे को खोला और लोकार्पण कार्यक्रम की औपचारिकता पूरी की.

इस लोकार्पण के लिए गाजियाबाद समेत पूरे उत्तर भारत के लोगों में काफी उत्साह देखने को मिला. लोगों के लिए भी यह मौका इसलिए खास है, क्योंकि इस नवनिर्मित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ यूनानी मेडिसिंस का उद्घाटन उनके लिए एक बड़ी सौगात से कम नहीं है. यह यूनानी अस्पताल पश्चिमी उत्तर प्रदेश ही नहीं बल्कि उत्तर भारत का का सबसे आधुनिक और बड़ा यूनानी अस्पताल है. राष्ट्रीय यूनानी चिकित्सा संस्थान में यूनानी पद्धति ने पीएचडी की शिक्षा लेने के लिए मेडिकल संस्थान भी बनाया गया है.

इन आधुनिक सुविधाओं से लैस है यूनानी अस्पताल

गाजियाबाद के कमला नेहरू नगर में इस यूनानी अस्पताल का निर्माण हुआ है. नवनिर्मित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ यूनानी मेडिसिंस का लोकार्पण रविवार को खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया, जिसके लिए तमाम तैयारियां पहले से थी.

प्रधानमंत्री का संबोधन भी लोगों ने यहां पर वर्चुअल सुना. अस्पताल को पूरी तरह से सजाया गया था. हालांकि, प्रधानमंत्री यहां वर्चुअल कार्यक्रम में उपस्थित रहे. यह अस्पताल एम्स की तर्ज पर तैयार किया गया है, जिसे बनाने में 300 करोड रुपए की लागत आई है. करीब 10 एकड़ में यह अस्पताल तैयार हुआ है, जिसमें 200 बेड मौजूद हैं. इस अस्पताल में एक्स-रे के अलावा सिटी स्कैन ऑपरेशन थिएट, पैथोलॉजी, लैब अलग-अलग तरह के स्टीम बाथ ट्रीटमेंट की सुविधा उपलब्ध होगी.

पश्चिमी उत्तर प्रदेश का यह सबसे बड़ा हाई टेक्निक से लैस हॉस्पिटल है, जो यहां के लोगों के लिए किसी बड़े उपहार से कम नहीं है. इस अस्पताल में ओपीडी की सुविधा करीब हजारों मरीजों से ज्यादा की होगी. रोजाना यहां 5 से 7 हजार से ज्यादा मरीजों को ओपीडी की सुविधा मिलेगी. इसके अलावा क्योंकि यह इंस्टिट्यूट भी है. यहां पर यूनानी पढ़ाई की व्यवस्था भी मौजूद होगी. यह साफ है कि गाजियाबाद से भी अब देश भर को यूनानी डॉक्टर मिल पाएंगे. इस यूनानी चिकित्सा संस्थान में 14 विभाग होंगे. यही नहीं इसमें स्टूडेंट्स के लिए गर्ल्स हॉस्टल की व्यवस्था की गई है. वहीं अगर पार्किंग की बात करें तो 400 से ज्यादा गाड़ियों की पार्किंग की व्यवस्था इस यूनानी अस्पताल में होगी.

दवाइयों की भी पूरी व्यवस्था

खुद प्रधानमंत्री ने इसका लोकार्पण किया, जिससे लोगों में काफी उत्साह देखा गया. अस्पताल में आज बकायदा वर्चुअल कार्यक्रम की व्यवस्था की गई थी. इसमें देश विदेश के छात्रों को यूनानी चिकित्सा पद्धति शिक्षा का मौका मिलने की बात सामने आने के बाद स्टूडेंट्स में भी काफी उत्साह है. ओपीडी का काम भी रविवार से यहां पर शुरू कर दिया गया. दवाइयों की भी पूरी व्यवस्था अस्पताल में हो चुकी है.

2019 में शुरू हुआ काम

यूनानी चिकित्सा संस्थान का निर्माण 1 मार्च 2019 को तत्कालीन केंद्रीय आयुष राज्य मंत्री ने किया था. साथ में गाजियाबाद के सांसद जनरल वीके सिंह भी मौजूद थे. इसको पूरा करने का लक्ष्य सितंबर 2022 का रखा गया था. कोरोना के दौरान भी इसका निर्माण कार्य चलता रहा था. हालांकि, कार्य धीमा जरूर हुआ था.

इस संस्थान को बनाने में सिर्फ 50 करोड़ इसकी लैब के निर्माण में खर्च हुआ है. इसमें ऑपरेशन थिएटर, नर्सरी सामान्य वार्ड, प्राइवेट वार्ड, एक्टिव प्रेशर रूम, फिजियोथैरेपी रूम, आईसीयू, सेमिनार हॉल, म्यूजियम लाइब्रेरी, मल्टीडिसीप्लिनरी रिसर्च डिपार्टमेंट लैब, युनानी फार्मेसी, कंप्यूटर कक्ष, एडमिनिस्ट्रेशन डिपार्टमेंट के अलावा अन्य कई आधुनिक सुविधाएं हैं.

ये भी पढ़ें : गाजियाबाद में तौलिया उतारने के दौरान दादी पोती को लगा करंट


बेंगलुरु से होगी मॉनिटरिंग

यहां यह जानना बेहद जरूरी है कि अभी तक देश में इस तरह के 70 सेंटर हैं और 5 सैटेलाइट सेंटर भी हैं. इस सेंटर की निगरानी बेंगलुरु से होगी. जहां पर यहां के कार्यों की समीक्षा भी की जाएगी. नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ यूनानी मेडिसिन सेंटर गाजियाबाद की अगर बात करें, तो इसका मुख्य इंस्टीट्यूट, यानी सेटेलाइट इंस्टिट्यूट ऑफ़ नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ यूनानी मेडिसिन बेंगलुरु में है.


केंद्रीय सड़क एवं परिवहन राज्यमंत्री वीके सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री की सोच बहुत दूर की है. हमारे लोग रोजगार पाएंगे और बहुत दूर तक जाएंगे. हमारे यहां अलग-अलग जो दवाइयां चाहिए उनके लिए औषधि के पौधे उगाए जाएंगे, क्योंकि आज डब्ल्यूएचओ का ट्रेडीशनल मेडिसिन सेंटर भारत में खुल गया है.

वहीं, उन्होंने गाजियाबाद में खुले यूनानी संस्थान के बारे में कहा कि आयुष मंत्रालय ने इसकी नींव रखी थी. आज यह पूरी तरह से फंक्शनल हो गया है. पिछले 1 महीने में ट्रायल के तौर पर इसे चलाया गया है. रोजाना पांच सौ के करीब ओपीडी मैं मरीजों का इलाज किया जा रहा है. यह बहुत बड़ी उपलब्धि है.

राज्यसभा सांसद क्यों हुए नाराज

कार्यक्रम से राज्यसभा सांसद अनिल अग्रवाल अचानक वापस चले गए थे, जिन्होंने नाराजगी जाहिर की थी. उनका आरोप था कि उन्हें कार्यक्रम में कुर्सी नहीं मिली. केंद्रीय मंत्री वीके सिंह ने कहा कि अगर उन्होंने आयोजकों को सूचित किया था कि वह आएंगे तो उनके लिए चेयर रखी जानी चाहिए थी, लेकिन अगर उन्होंने सूचित नहीं किया था तो यह उनसे पूछा जाना चाहिए कि वह क्यों वापस चले गए.


ये भी पढ़ें: जानें, डासना जेल में कैदियों के साथ क्या कर रहा निठारी कांड का कुख्यात अपराधी मोनिंदर सिंह पंढेर

पीएम मोदी ने किया यूनानी चिकित्सा संस्थान का लोकार्पण

नई दिल्ली/गाजियाबाद: उत्तर भारत के सबसे बड़े यूनानी अस्पताल का रविवार को लोकार्पण किया गया. इसमें प्रधानमंत्री मोदी ने वर्चुअल तौर पर इस अस्पताल का लोकार्पण किया. इस दौरान गाजियाबाद के सांसद और केंद्रीय परिवहन एवं सड़क राज्य मंत्री वीके सिंह भी मौजूद रहे, जिन्होंने रस्सी खींचकर पर्दे को खोला और लोकार्पण कार्यक्रम की औपचारिकता पूरी की.

इस लोकार्पण के लिए गाजियाबाद समेत पूरे उत्तर भारत के लोगों में काफी उत्साह देखने को मिला. लोगों के लिए भी यह मौका इसलिए खास है, क्योंकि इस नवनिर्मित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ यूनानी मेडिसिंस का उद्घाटन उनके लिए एक बड़ी सौगात से कम नहीं है. यह यूनानी अस्पताल पश्चिमी उत्तर प्रदेश ही नहीं बल्कि उत्तर भारत का का सबसे आधुनिक और बड़ा यूनानी अस्पताल है. राष्ट्रीय यूनानी चिकित्सा संस्थान में यूनानी पद्धति ने पीएचडी की शिक्षा लेने के लिए मेडिकल संस्थान भी बनाया गया है.

इन आधुनिक सुविधाओं से लैस है यूनानी अस्पताल

गाजियाबाद के कमला नेहरू नगर में इस यूनानी अस्पताल का निर्माण हुआ है. नवनिर्मित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ यूनानी मेडिसिंस का लोकार्पण रविवार को खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया, जिसके लिए तमाम तैयारियां पहले से थी.

प्रधानमंत्री का संबोधन भी लोगों ने यहां पर वर्चुअल सुना. अस्पताल को पूरी तरह से सजाया गया था. हालांकि, प्रधानमंत्री यहां वर्चुअल कार्यक्रम में उपस्थित रहे. यह अस्पताल एम्स की तर्ज पर तैयार किया गया है, जिसे बनाने में 300 करोड रुपए की लागत आई है. करीब 10 एकड़ में यह अस्पताल तैयार हुआ है, जिसमें 200 बेड मौजूद हैं. इस अस्पताल में एक्स-रे के अलावा सिटी स्कैन ऑपरेशन थिएट, पैथोलॉजी, लैब अलग-अलग तरह के स्टीम बाथ ट्रीटमेंट की सुविधा उपलब्ध होगी.

पश्चिमी उत्तर प्रदेश का यह सबसे बड़ा हाई टेक्निक से लैस हॉस्पिटल है, जो यहां के लोगों के लिए किसी बड़े उपहार से कम नहीं है. इस अस्पताल में ओपीडी की सुविधा करीब हजारों मरीजों से ज्यादा की होगी. रोजाना यहां 5 से 7 हजार से ज्यादा मरीजों को ओपीडी की सुविधा मिलेगी. इसके अलावा क्योंकि यह इंस्टिट्यूट भी है. यहां पर यूनानी पढ़ाई की व्यवस्था भी मौजूद होगी. यह साफ है कि गाजियाबाद से भी अब देश भर को यूनानी डॉक्टर मिल पाएंगे. इस यूनानी चिकित्सा संस्थान में 14 विभाग होंगे. यही नहीं इसमें स्टूडेंट्स के लिए गर्ल्स हॉस्टल की व्यवस्था की गई है. वहीं अगर पार्किंग की बात करें तो 400 से ज्यादा गाड़ियों की पार्किंग की व्यवस्था इस यूनानी अस्पताल में होगी.

दवाइयों की भी पूरी व्यवस्था

खुद प्रधानमंत्री ने इसका लोकार्पण किया, जिससे लोगों में काफी उत्साह देखा गया. अस्पताल में आज बकायदा वर्चुअल कार्यक्रम की व्यवस्था की गई थी. इसमें देश विदेश के छात्रों को यूनानी चिकित्सा पद्धति शिक्षा का मौका मिलने की बात सामने आने के बाद स्टूडेंट्स में भी काफी उत्साह है. ओपीडी का काम भी रविवार से यहां पर शुरू कर दिया गया. दवाइयों की भी पूरी व्यवस्था अस्पताल में हो चुकी है.

2019 में शुरू हुआ काम

यूनानी चिकित्सा संस्थान का निर्माण 1 मार्च 2019 को तत्कालीन केंद्रीय आयुष राज्य मंत्री ने किया था. साथ में गाजियाबाद के सांसद जनरल वीके सिंह भी मौजूद थे. इसको पूरा करने का लक्ष्य सितंबर 2022 का रखा गया था. कोरोना के दौरान भी इसका निर्माण कार्य चलता रहा था. हालांकि, कार्य धीमा जरूर हुआ था.

इस संस्थान को बनाने में सिर्फ 50 करोड़ इसकी लैब के निर्माण में खर्च हुआ है. इसमें ऑपरेशन थिएटर, नर्सरी सामान्य वार्ड, प्राइवेट वार्ड, एक्टिव प्रेशर रूम, फिजियोथैरेपी रूम, आईसीयू, सेमिनार हॉल, म्यूजियम लाइब्रेरी, मल्टीडिसीप्लिनरी रिसर्च डिपार्टमेंट लैब, युनानी फार्मेसी, कंप्यूटर कक्ष, एडमिनिस्ट्रेशन डिपार्टमेंट के अलावा अन्य कई आधुनिक सुविधाएं हैं.

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बेंगलुरु से होगी मॉनिटरिंग

यहां यह जानना बेहद जरूरी है कि अभी तक देश में इस तरह के 70 सेंटर हैं और 5 सैटेलाइट सेंटर भी हैं. इस सेंटर की निगरानी बेंगलुरु से होगी. जहां पर यहां के कार्यों की समीक्षा भी की जाएगी. नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ यूनानी मेडिसिन सेंटर गाजियाबाद की अगर बात करें, तो इसका मुख्य इंस्टीट्यूट, यानी सेटेलाइट इंस्टिट्यूट ऑफ़ नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ यूनानी मेडिसिन बेंगलुरु में है.


केंद्रीय सड़क एवं परिवहन राज्यमंत्री वीके सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री की सोच बहुत दूर की है. हमारे लोग रोजगार पाएंगे और बहुत दूर तक जाएंगे. हमारे यहां अलग-अलग जो दवाइयां चाहिए उनके लिए औषधि के पौधे उगाए जाएंगे, क्योंकि आज डब्ल्यूएचओ का ट्रेडीशनल मेडिसिन सेंटर भारत में खुल गया है.

वहीं, उन्होंने गाजियाबाद में खुले यूनानी संस्थान के बारे में कहा कि आयुष मंत्रालय ने इसकी नींव रखी थी. आज यह पूरी तरह से फंक्शनल हो गया है. पिछले 1 महीने में ट्रायल के तौर पर इसे चलाया गया है. रोजाना पांच सौ के करीब ओपीडी मैं मरीजों का इलाज किया जा रहा है. यह बहुत बड़ी उपलब्धि है.

राज्यसभा सांसद क्यों हुए नाराज

कार्यक्रम से राज्यसभा सांसद अनिल अग्रवाल अचानक वापस चले गए थे, जिन्होंने नाराजगी जाहिर की थी. उनका आरोप था कि उन्हें कार्यक्रम में कुर्सी नहीं मिली. केंद्रीय मंत्री वीके सिंह ने कहा कि अगर उन्होंने आयोजकों को सूचित किया था कि वह आएंगे तो उनके लिए चेयर रखी जानी चाहिए थी, लेकिन अगर उन्होंने सूचित नहीं किया था तो यह उनसे पूछा जाना चाहिए कि वह क्यों वापस चले गए.


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