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गाजियाबाद: जिला कारागार में कैदी कर सकेंगे कमाई, जेल में तैयार कर रहे कई डिजाइन की राखियां

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Published : Aug 15, 2023, 5:31 PM IST

गाजियाबाद की जिला जेल में बंद कैदी अब कमाई कर सकेंगे. जिला कारागार में कैदी कई डिजाइन की राखियां तैयार कर रहे हैं. जेल के बाहर स्टॉल लगाकर इन राखियों को बेचा जाएगा और इससे होने वाली आमदनी को बंदियों के खाते में जमा कराया जाएगा.

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जेल में राखियां तैयार कर रहे कैदी

नई दिल्ली/गाजियाबाद: जिला कारागार गाजियाबाद में बंद कैदी अब कमाई करेंगे. दरअसल आगामी रक्षाबंधन के त्यौहार को मद्देनजर रखते हुए डासना जेल में कैदियों से राखियां तैयार कराई जा रही हैं. जेल प्रशासन की तरफ से राखियों को तैयार करने के लिए दिल्ली से कच्चा मैटेरियल मंगाया गया है. कैदियों द्वारा कुल 24 तरह के डिजाइन की राखियां तैयार की जा रही हैं. जेल परिसर में मौजूद एक्टिविटी सेंटर में कैदी राखियां तैयार कर रहे हैं.

करीब 15 कैदियों की टीम राखियों को तैयार करने में जुटी हुई है. इनमें चार कैदी एंब्रॉयडरी जानते हैं जो एंब्रॉयडरी वाली राखियां तैयार कर रहे हैं. एंब्रॉयडरी से ओम, स्वास्तिक आदि चिह्न तैयार कर राखियों पर लगा रहे हैं. जिला कारागार गाजियाबाद में कैदियों को एंब्रॉयडरी भी सिखाई जाती है. तकरीबन डेढ़ हफ्ते से राखियां बनाने कवायद जारी है. रक्षाबंधन से चंद रोज पहले कैदियों द्वारा तैयार की गई राखियों को आम लोगों को बेचा जाएगा.

ये भी पढ़ें: आजीवन कारावास की सजा काट रहा कैदी बन गया आर्टिस्ट, अब तक बनाई 60 से अधिक वॉल पेंटिंग्स


दरअसल जेल प्रशासन की तरफ से समय-समय पर इस तरह की विभिन्न पहलें की जाती हैं. जिससे कैदी काम में व्यस्त रहने के साथ ही कुछ नया सीखते हैं. इस तरह कैदियों का प्रोग्रेसिव माइंडसेट डेवलप होता है. साथ ही यदि जेल में रहकर कोई स्किल सीखते हैं तो जेल से रिहा होने के बाद अपने स्किल की मदद से वे कोई व्यवसाय या फिर नौकरी से जुड़ सकते हैं.

जेल अधीक्षक आलोक सिंह के मुताबिक इस तरह की मुहिम के जरिए बंदियों को क्रिएटिव वर्क में इंगेज रखने का प्रयास किया जाता है. इस तरह की एक्टिविटी से जब कैदी जुड़ते हैं तो अन्य कैदी भी प्रोत्साहित होते हैं. जिला कारागार में बंदी कोऑपरेटिव सोसायटी संचालित है. जेल के बाहर स्टॉल लगाकर राखियों को बेचा जाएगा. इसमें जो भी लाभ होगा वह कोऑपरेटिव सोसाइटी के माध्यम से बंदियों के खाते में जमा कराया जाएगा.

ये भी पढ़ें: Changing Mind: जेल में रहकर प्रशिक्षित हो रहे हैं कैदी, रिहाई के बाद मिलेगा 10 लाख तक का लोन

जेल में राखियां तैयार कर रहे कैदी

नई दिल्ली/गाजियाबाद: जिला कारागार गाजियाबाद में बंद कैदी अब कमाई करेंगे. दरअसल आगामी रक्षाबंधन के त्यौहार को मद्देनजर रखते हुए डासना जेल में कैदियों से राखियां तैयार कराई जा रही हैं. जेल प्रशासन की तरफ से राखियों को तैयार करने के लिए दिल्ली से कच्चा मैटेरियल मंगाया गया है. कैदियों द्वारा कुल 24 तरह के डिजाइन की राखियां तैयार की जा रही हैं. जेल परिसर में मौजूद एक्टिविटी सेंटर में कैदी राखियां तैयार कर रहे हैं.

करीब 15 कैदियों की टीम राखियों को तैयार करने में जुटी हुई है. इनमें चार कैदी एंब्रॉयडरी जानते हैं जो एंब्रॉयडरी वाली राखियां तैयार कर रहे हैं. एंब्रॉयडरी से ओम, स्वास्तिक आदि चिह्न तैयार कर राखियों पर लगा रहे हैं. जिला कारागार गाजियाबाद में कैदियों को एंब्रॉयडरी भी सिखाई जाती है. तकरीबन डेढ़ हफ्ते से राखियां बनाने कवायद जारी है. रक्षाबंधन से चंद रोज पहले कैदियों द्वारा तैयार की गई राखियों को आम लोगों को बेचा जाएगा.

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दरअसल जेल प्रशासन की तरफ से समय-समय पर इस तरह की विभिन्न पहलें की जाती हैं. जिससे कैदी काम में व्यस्त रहने के साथ ही कुछ नया सीखते हैं. इस तरह कैदियों का प्रोग्रेसिव माइंडसेट डेवलप होता है. साथ ही यदि जेल में रहकर कोई स्किल सीखते हैं तो जेल से रिहा होने के बाद अपने स्किल की मदद से वे कोई व्यवसाय या फिर नौकरी से जुड़ सकते हैं.

जेल अधीक्षक आलोक सिंह के मुताबिक इस तरह की मुहिम के जरिए बंदियों को क्रिएटिव वर्क में इंगेज रखने का प्रयास किया जाता है. इस तरह की एक्टिविटी से जब कैदी जुड़ते हैं तो अन्य कैदी भी प्रोत्साहित होते हैं. जिला कारागार में बंदी कोऑपरेटिव सोसायटी संचालित है. जेल के बाहर स्टॉल लगाकर राखियों को बेचा जाएगा. इसमें जो भी लाभ होगा वह कोऑपरेटिव सोसाइटी के माध्यम से बंदियों के खाते में जमा कराया जाएगा.

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